क्या सच में सासु माँ नाराज़ नहीं है…. – रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

“ यार पहले हमें घर जाना होगा माँ ने बुलाया है…।” अपनी माँ से बात करने के बाद फ़ोन रखते हुए निकुंज ने राशि से कहा  “ पर मैं तो पहले अपने घर जाने वाली हूँ … उसके बाद माँ के पास जाने का प्रोग्राम बनाया था ताकि उधर ज़्यादा दिन रूक कर उधर से … Read more

एक कदम – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

अजीब सी चुप्पी थी घर में.., तूफान के बाद का सन्नाटा, वैसे भी कष्टकारी होता है। महेश को घर में घुसते ही समझ में आ गया, कुछ अनहोनी तो हुई है। रसोई की बत्ती भी बंद थी, घड़ी में समय देखा, “सात बजे ही रसोई में सन्नाटा “..। माँ के कमरे में झांका, माँ किताब … Read more

सास बहू का सुखद मिलन – शिव कुमारी शुक्ला : Moral Stories in Hindi

किरण अभी ग्रेएज्यूशन के अन्तिम वर्ष की छात्रा थी हँसी-खुशी मौज मस्ती में दिन गुजर रहे थे। मम्मी-पापा की स्नेहिल छत्र छाया ये दोंनों बहन भाई पल रहे थे। पढना लिखना आपस में नोंक-झोंक  घूमना-फिरना सिवा पढ़ाई के और  किसी काम की कोई चिन्ता नहीं थी। अब उसके मम्मी-पापा ने उसकी शादी की तैयारी शुरु … Read more

खिंचाव माटी का – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

 तेजस जी के बहनोई सुनील अमेरिका में जॉब करते थे।जब कभी भारत आते तो तेजस जी से भी मिलने आते।खूब सारे अमेरिकन गिफ्ट भी लाते।तेजस जी को किसी चीज की कमी नही थी खुद सम्पन्न थे,पर जब सुनील अमेरिकन गिफ्ट लाते तो उनमें एक हीन भावना घर जाती।एक कशिश दिल मे उठ जाती कि वे … Read more

दहेज – बिंदेश्वरी त्यागी : Moral Stories in Hindi

मेरे रिश्तेदार के यहां लड़की की शादी थी हम सब लोग वहां गए l उनकी सबसे बड़ी बेटी थी काफी खोज भी करने के बाद अच्छा रिश्ता मिला था l लड़का इंजीनियर था छोटा परिवार था l लड़के वालों को भी लड़की पसंद थी l वह काफी खुश थे l उन्होंने मुझे बताया की लड़के … Read more

नाराज़ – मधु वशिष्ठ : Moral Stories in Hindi

खुशी-खुशी माताजी ने घर में प्रवेश करा। उनकी आवाज सुनकर शोभा अपनी कमरे से बाहर निकली और मुस्कुराते हुए उनका स्वागत करके चाय बनाने रसोई में चली गई। उनकी बेटी राधिका कॉलेज गई हुई थी। बाबूजी भी खाना खाकर दुकान पर चले गए थे। विनय दोपहर को दुकान से खाना खाने घर आया था। नियम … Read more

देवकन्या (भाग-23) – रीमा महेन्द्र ठाकुर : Moral stories in hindi

जिज्ञासा “””” इनको सुनकर पवन के दबाब से् दृव एंव पदार्थों मे घर्षण होती है,जिससे स्वर निकलता है, जो स्वाभाविक क्रिया है”परन्तु अर्थहीन होते है ये स्वर”जिनका कोई सार नही”””पुत्री परन्तु बाबा”””‘ इनको सुनकर ऐसे मन उद्देलित होता है,जैसे पग मे  कुछ बांधकर  दौड जाऊं”और उससे कुछ ऐसा स्वर झकृत हो ,जैसा स्वर  इस घर्षण … Read more

देवकन्या (भाग-22) – रीमा महेन्द्र ठाकुर : Moral stories in hindi

सोलहा कलाओं की कन्या  का रहस्य “”” कंधे पर स्वेतम्बर की झोली”उसमे हृदय के समीप दक्षांक  को टुकुर टुकुर देखती अमरा   को लिऐ”आंगन मे प्रवेश  करते है! लकडियो का बोझ  धरा पर पटकते हुऐ”झोली मे झांक कर पुत्री की ओर देखते है”””दृष्टि डालते ही सारी थकान मिट जाती है”” गमछे से पसीना पोछकर पुत्री … Read more

देवकन्या (भाग-21) – रीमा महेन्द्र ठाकुर : Moral stories in hindi

मामत्व का त्याग- *************  देवी चन्द्रबाला के नेत्रों  से ममता द्रव की भांति  निरंतर बह रही थी! दक्षांक ने प्रश्नवाचक दृष्टि से देखा””” फिर दूसरी ओर मुहं करके हाथ जोड लिऐ “”” भगवन्  “”” क्षमा –पित्रवात्सल्य  के कारण””कही मुझ अधर्मी से अपराध तो नही हो गया! भगवन्  महावीर वात्सल्य वस्तु मुस्कुराते  हुऐ, देवी चन्द्रबाला पर … Read more

देवकन्या (भाग-20) – रीमा महेन्द्र ठाकुर : Moral stories in hindi

वैराग्य – ******”” मैने लडखडाते कदमों से ,मठ मे प्रवेश किया””” वहा काफी भीड थी””””” सभी मुझे आश्चर्य  से देख रहे थे”””” अचानक  से सबकी आवाजे एकसार  हो कर ,मेरे कानों मे गूजंने लगी” और मै अचेत हो गयी!!!!! जब आंख खुली तो मैने देखा सामने,भगवान महावीर ध्यानमुद्रा मे तल्लीन  थी””””मै उठकर उनके चरणो मे … Read more

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