यादें – उमा वर्मा

आज मई की चौबीस तारीख है ।मेरे पति की बीसवीं बरसी।लगता है अभी कल ही की बात है ।समय कितना जल्दी बीत गया है ।वह दिन भुलाएँ तो कैसे? सुबह के आठ ही बजे थे पर उस दिन का सूरज मेरे लिए डूब चुका था ।सुबह उठे तो मैंने उन्हें  सहारा देकर  मुंह धुलाया।बाथरूम ले … Read more

नियति -तरन्नुम तन्हा

मैं कला प्रदर्शनी में देख तो वह पेंटिंग रही थी, लेकिन मेरा ज़ेहन मेरी बेटी की ओर ही था। वैसे मैंने अब तक शादी तो नहीं की है, लेकिन ग्यारह वर्ष की बेटी है मेरी, चित्रांशी, जो कमाल के चित्र बनाती है। वह नौ वर्ष की थी जब मुझे चाँदनी-चौक में एक औरत के साथ … Read more

तनु वेड्स मनु – अनुपमा 

नमस्कार दोस्तों आज जो कहानी मैं आप सभी को सुनाने वाली हूं वो आज की कहानी नही है , ये घटना है आज से तकरीबन पचास साल पहले की या उससे भी पहले की , लेकिन उस वक्त अगर ये कहानी कोई सुनता तो ये किसी को भी स्वीकार नहीं होती , हां आज के … Read more

तरसती ममता – गीतांजलि गुप्ता

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बीमार होना, पड़ गया भारी – गीता वाधवानी

  आप सोच रहे होंगे, बीमार पड़ना कैसे भारी पड़ गया? देखिए दोस्तों, कुछ लोग ऐसे होते हैं जो काम नहीं करना चाहते और आराम करने के लिए बीमार होने का नाटक करते हैं और उस पर कमाल है कि बीमारी भी ऐसी बताते हैं जो सामने वाले को दिखाई ना दे जैसे कि पेट दर्द, … Read more

कोला आजी – पुष्पा पाण्डेय

हमारा घर हवेली के नाम से जाना जाता था। गाँव के रईस घराने में गिनती होती थी। शाम होते ही मेरी दादी हवेली के दूसरे दरवाजे पर पल्ला मारकर अपनी छोटी मचिया लेकर बैठ जाती थी। वहीं बाहर की तरफ ओटा पर एक तरफ कोला आजी बैठती थी। गाँव के सभी लोग बूढ़े-बच्चे उन्हें कोला … Read more

मरदूद….- विनोद सिन्हा “सुदामा”

अरे कहाँ मर गया सुनता क्यूँ नहीं….. मार कर ही छोड़ेगा क्या……? राम प्रसाद जी अपनी खाँसी और हाँफती साँसों पर काबू करने की असफल चेस्टा करते हुए अपने बेटे को पुकारे जा रहे थे… अरे…..मरदूद सुनता क्यों नहीं..निकम्मा…काम का न काज़ का दुशमन अनाज का..दिन भर सिर्फ निठ्ल्ले की तरह इधर उधर घूमता रहता … Read more

विषवृक्ष – रवीन्द्र कान्त त्यागी

छोटे से कस्बे में मेरा आई.आई.टी में उच्च श्रेणी प्राप्त करना कई दिन चर्चा का विषय रहा था. पहले महीने ही एक अंत्तराष्ट्रीय कंपनी में अच्छे पॅकेज की नौकरी लग जाने के बाद पिताजी ने वधु तलाश कार्यक्रम शुरू कर दिया था और ये स्वाभाविक भी था. महानगर की एक पौष कॉलोनी में प्रशासनिक अधिकारी … Read more

ख्वाब,हकीकत – गोविन्द गुप्ता 

बहुत तेज बिजली कड़क रही थी रमन और राम्या अपने रूम में थे दोनो मोवाइल चलाते चलाते सो गये और घुप्प अंधेरा हो गया क्योकि बिजली चली गई, रमन साफ्टवेयर इंजीनियर था और राम्या डॉक्टर दोनो की जिंदगी बहुत खूबसूरत थी ,कोई कमी नही बस कोई बच्चा नही था शादी के दस वर्ष के बाद … Read more

अनोखी सौगात- गोविंद गुप्ता

सचिन एक मध्यम वर्गीय परिवार का संस्कारित लड़का था चार भाई एक बहन में सबसे बड़ा होने के कारण जिम्मेवारियां बहुत थी बचपन से ही सामाजिक कार्यो में रुचि लेने वाले सचिन ने समाज के दर्द को देखते हुये अपने छोटे से कस्वे में सामूहिक विवाह करवाने का निर्णय लिया उस समय सचिन की उम्र … Read more

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