सचिन एक मध्यम वर्गीय परिवार का संस्कारित लड़का था चार भाई एक बहन में सबसे बड़ा होने के कारण जिम्मेवारियां बहुत थी बचपन से ही सामाजिक कार्यो में रुचि लेने वाले सचिन ने समाज के दर्द को देखते हुये अपने छोटे से कस्वे में सामूहिक विवाह करवाने का निर्णय लिया उस समय सचिन की उम्र वाइस वर्ष की थी,
उसके इस निर्णय ओर कार्यक्रम की सफलता पर अविश्वास करने वाले लोगो ने मजाक उड़ाना शुरू कर दिया, उसी समय सचिन की एकमात्र बहन का विवाह तय हो गया तो लोगो ने यह कहना शुरू कर दिया कि उसका विवाह सामूहिक विवाह में ही हो तो सचिन ने सबकी सहमति से यह भी निर्णय ले लिया,
और बहन को खुशी खुशी विदा किया,
खुद भी सबसे बड़ा होने के कारण रिश्ते आने शुरू हो गये पर सचिन ने विना माता पिता की बेटी सुकन्या से दहेज रहित विवाह करने का निर्णय लिया,
सुकन्या तीन बहने थी जिसके माता पिता का देहांत बचपन मे ही हो गया था,
एक तय तारीख को दोनो का विवाह मन्दिर में परिवार के सदस्यों के मध्य हो गया,
धीरे धीरे दिन वर्ष बीतते रहे और सुकन्या तीन बेटियों की माँ बन गई,
तीनो सुंदर सी बेटियां बहुत संस्कारित थी,
पढ़ाई हेतु दूर शहरों में चली गई बड़ी बेटी की सर्विस एक कम्पनी में अस्थाई रूप से लग गई,
धीरे धीरे शादी के पच्चीस वर्ष आने को हुऐ तो बच्चो ने कहा कि इस बार जश्न होना चाहिये पर सचिन सोंच में पड़ गया कि किसी भी कार्यक्रम में धन की बहुत आवश्यकता होती है ,
उसे चिंता सिर्फ बच्चो की पढ़ाई की थी,
तो सुवह हवन ओर यज्ञ का आयोजन किया,
शाम को बच्चो ने बोला सभी को एक जगह चलना है ,
सभी लोग पहुंचे तो देखा एक हाल में विवाह जैसी तैयारी थी,सचिन की आंखों में आंसू थे कि आज बच्चो ने हमारी खुशी के लिये यह व्यवस्था की हम उनकी खुशी तलाश करते है,
सुकन्या तो फूली नही समा रही थी ,
खूब नृत्य हुआ सभी झूमे नाचे और फिर सांकेतिक बारात और जयमाल ओर मधुर संगीत यह कह रहा था कि आज सबसे बड़ी खुशी का दिन है उन बच्चों ने दिया जिन्हें गोद मे खिलाया,,
शायद एक माता पिता के लिये इससे बड़ा खुशियों भरा कौन सा दिन होगा,
सचिन मन ही मन खुश था कि सब की खुशी में उसकी खुशी है,
लेखक गोविन्द