ठोस जमीन – सुनीता मिश्रा

सुधा ने आकर रंभा के सामने लड़कों के पाँच-छ, फोटो रख दिए। रंभा ने पूछा “भाभी यह क्या है ?” जवाब मिला “आपके लिए यह फोटो भेजे गए हैं ,आप तय कर लें आपको कौन पसंद है ।यह सभी लड़के अच्छे घरों के,अच्छी पोस्ट पर,जॉब करने वाले और सुंदर सुशील हैं।अब आपकी मर्जी आप किसे … Read more

मेरी नहीं हम दोनो की दीदी – लतिका श्रीवास्तव 

   मैं अब यहां एक पल भी नहीं रुक सकती…मुझे अभी मेरे मायके ले चलो.. सुमी की दिन रात की यही रट अविनाश को परेशान कर रही थी। वो उसे कैसे समझाए कि मेरी बड़ी बहन मेरी मां जैसी ही है मेरे लिए.. मां तो बचपन में ही गुजर गई थीं रमा दीदी ने ही मुझे … Read more

छुपे रुस्तम – कंचन श्रीवास्तव

तुम्हें जो पैसे मिलते हैं आखिर  तुम उसे करती क्या हो,न अपने ऊपर खर्च करती हो न घर गृहस्थी में और न बच्चों पर। इतना कहकर रवि दूसरे काम में लग जाता।और राधा अपने काम में । सभी भाई बहनों में वो सबसे छोटी है इसलिए  सभी उसका ख्याल रखते पर शादी के बाद उसे … Read more

बन जाती सखी मेरी – सपना चन्द्रा

क्या बात है लाडो!.तू बहन तो मेरी है पर पक्ष हमेशा अपनी भाभी की लेती है। ऐसा क्यूँ बोल..? भैया आप नहीं समझोगे,जब माँ-पिता का साया न हो मायके में तो एक बेटी को कैसा लगता है। जबसे भाभी आई हैं सब बदल गया।माँ, सखी सब उनमें है। आती हूँ तो दिन कैसे निकल जाता … Read more

मूलमंत्र – सोनिया निशांत कुशवाहा

कितनी प्यारी सी थी वह, हमेशा सबको खुश रखने की कोशिश करती, सबकी पसंद पूछती, सबके मन का काम करती!शायद उसके मन की गहराइयों में बसा था कि सबको खुश रखना है। इसीलिए बिना अपने बारे में सोचे वो दिन भर कभी मम्मी के ,कभी समीर के तो कभी मेरे आगे पीछे घूमती। पापा से … Read more

मेरी ननंद, ननंद कम, सखी ज्यादा – हेमा दिलीप सोनी

सभी पाठकों को जय श्री कृष्णा हंसी मजाक से बड़ा होता है ननन भाभी का रिश्ता अच्छे बुरे दौर में साथ खड़े रहना सिखाता है यह रिश्ता एक दूसरे की गलतियों को कर देना माफ सुखी परिवार की नींव रख देता है यह रिश्ता भाभी, भाभी ,भाभी, कहां हो आप?? यह मेरी बड़ी ननन की … Read more

अमृता दीदी (ननद) – गीता वाधवानी

आज अमृता बहुत दिनों बाद मायके रहने आई थी। उसकी भाभी कविता ने बहुत ही प्यार से उसका स्वागत किया। कविता, उसके भाई सुमित की पत्नी थी जोकि अमृता से आयु में छोटा था।        अमृता सुबह ही पहुंची थी। सुमित के दोनों बच्चे नेहा और प्रतीक विद्यालय जा चुके थे और मां पिताजी चाय पी … Read more

रुप गर्विता – सुनीता मिश्रा

सौमित्र से मेरी मुलाकात मेरी कम्पनी मे हुई।मै रिसेप्स्निस्ट थी वहाँ,उसने मैनेजर की पोस्ट पर जौइन किया था। दुबला पतला शरीर,काली बेल बाटम पर डार्क नीली पूरी आस्तीन की कमीज।मै मन ही मन हँसी।मैनेजर साहेब का ड्रेस सेंस ,माशा अल्लाह। मै बहुत खूबसूरत,ये मेरा आइना ही नही,लोग भी बोलते थे।बहरहाल मैने उसकी जोइनिंग रिपोर्ट ली … Read more

रिश्ते- अनुपमा

अक्सर हम सभी ने देखा ही होगा अपने आसपास के लोग , बड़े बुजुर्ग कहते है जो लड़कियां अपने मायके मैं हर बात साझा करती है उनके ससुराल मैं लड़ाइयां होती ही है , है ना ? वैसे तो हर इंसान का अपना नजरिया है लेकिन सिर्फ एक ही तरीके से हर वक्त देखना भी … Read more

सिनेमाघर – कंचन शुक्ला

मात्र सोलह की चकोर को उन्नीस के रचित ने उतना भी बोल्ड नही समझा था, जितना वो आज यहाँ, सिनेमाघर में पेश आने का प्रयत्न कर रही है। अंटशंट अवस्थाओं के प्रारूप जैसे ही सीमा से बाहर हुए। उसे आँखे तरेरता हुआ, वह वहाँ से चला गया। चकोर ने पहले तो रचित के कंधे पर … Read more

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