रिश्ते- अनुपमा

अक्सर हम सभी ने देखा ही होगा अपने आसपास के लोग , बड़े बुजुर्ग कहते है जो लड़कियां अपने मायके मैं हर बात साझा करती है उनके ससुराल मैं लड़ाइयां होती ही है , है ना ? वैसे तो हर इंसान का अपना नजरिया है लेकिन सिर्फ एक ही तरीके से हर वक्त देखना भी … Read more

सिनेमाघर – कंचन शुक्ला

मात्र सोलह की चकोर को उन्नीस के रचित ने उतना भी बोल्ड नही समझा था, जितना वो आज यहाँ, सिनेमाघर में पेश आने का प्रयत्न कर रही है। अंटशंट अवस्थाओं के प्रारूप जैसे ही सीमा से बाहर हुए। उसे आँखे तरेरता हुआ, वह वहाँ से चला गया। चकोर ने पहले तो रचित के कंधे पर … Read more

श्रवण कुमार – दीपनारायण सिंह

बिस्तर पर पड़ा हुआ एक लड़का,यही कोई चौदह पंद्रह साल का होगा |उसका बदन बुखार से तप रहा है |वह कई दिनों से बिस्तर पर पड़ा हुआ है |मल मूत्र का त्याग भी बिस्तर पर ही करने लगा है |माँ पूरे मनोयोग से सफाई कर रही है |सफाई कर,दवा आदि खिला,वह किचन में चली जाती … Read more

जज्बा – कंचन श्रीवास्तव

आव भगत में लगे लोगों को देखकर रिचा हैरान है सोचने पर मजबूर हैं कि क्या ये वही लोग हैं जिन्होंने वर्षों पहले नमक मांगने पर नहीं दिया था। दरअसल हुआ ये कि उन दिनों उसकी हालत पतली थी सास ससुर का देहांत हो गया था और कहते हैं ना कि औलाद चाहे जैसी हो … Read more

निमित्त मात्र – सुनीता मिश्रा

प्लेटफार्म पर लगभग दौड़ते हुए वे अपने  ट्रेन के कोच नम्बर एस  पांच तक पहुंचे ,गाड़ी ने रफ्तार ले ली थी।गाड़ी की उसी रफ्तार मे वे  दरवाजे की रॉड पकड़ लटक गये ।उनका  एक पैर पायदान पर और दूसरा पैर हवा मे लहरा रहा था।उनकी पीठ पर पिट्ठू बैग लदा था ,उसका वजन और गाड़ी … Read more

संयुक्त परिवार –  डॉ अंजना गर्ग

“शैलेश आज तुम फैसला कर लो मैं इस चकचक में अब और नहीं रह सकती।”कोमल ने अपने पति को लगभग चीखते हुए कहा। “कम्मो, धीरे बोल कोई सुन लेगा।”      ” सुनने दो । मैं इतनी भीड़ में कभी नहीं रही। चपाती बनाने लगो तो 2 घण्टे चपातिया बनाते जाओ,  कपड़े धो तो दोपहर हो जाए … Read more

“वो  लड़का उसके घर क्यों आता है ?” – दीपा साहू “प्रकृति”

मैंने तो कभी नहीं सोचा कि उस लड़की ने उस लड़के का हाथ क्यों पकड़ा है? अरे वो एक आदमी उसके घर रोज क्यों आता है?वो तो अकेली है उसका न पति है न पिता न भाई ।पर आस-पास की औरते बस ऐसे ही निंदा रस में मग्न रहती है। क्यों ?  कभी समझ ही … Read more

फौजी भैया – भगवती सक्सेना गौड़

रजनी दुल्हन बनी कार से उतरी, सब रिश्ते की भाभी, चाची सास, ताई सास कार को घेर कर खड़ी थी। तभी एक भारी सी आवाज़ आयी, “अरे भाई हवा तो आने दो, नई बहुरिया अंदर भी जाएगी, देख लेना।” फिर सासु जी ने कई रस्मों के साथ परछन किया और रजनी ने घूंघट डाले, रोशन … Read more

बड़े- भैया – सीमा वर्मा 

‘बबँडर’ यानी ‘ मृगतृष्णा’ का नाच तो आप सबने अपने बचपन में अवश्य देखा होगा मेरी अम्मा कहती थीं, ” वह गर्मी से भरी दुपहरिया में नाचती है और नाचते – नाचते सामने जो भी आ जाता है उसे दो फाड़ कर देती है। जैसे मेरी बड़की अम्मा और बड़े चाचाजी हो गए थे. उस … Read more

बड़ा भाई भी पिता समान होता है : Dr. Ashokalra

मनोज ऑफिस से आया और सोफे पर पसर गया। लिविंग-रूम में माँ के साथ बड़े भैया बैठे कुछ बात कर रहे थे। मनोज ने आँखें बंद कर लीं। पापा के गुज़र जाने के भूचाल के बाद बड़े भैया और भाभी ने ही माँ, स्नेहा और मनोज को सम्भाला था। मनोज से बड़ी स्नेहा के विवाह … Read more

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