सांवला समझूं काला समझूं- अंजु ओझा
संगत से गुण आवत है संगत गुण जावत है समझी ललित बहुरिया ! काहे तू कलपती है कि हमारा पोता तनिक काला है या समझो साँवला है तो क्या हुआ वो तुम्हारा पति है , तुम पर अपना सब कुछ न्यौछावर करता है । कृष्ण, राम व शिव भी काले हैं उन्हें तो हम पूजते … Read more