इन्सान – विनय कुमार मिश्रा

अभी कुछ देर पहले जिस चमचमाती काली गाड़ी में रोहित ने फ्यूल भरा था वो कुछ दूर चलकर अचानक से रुक गई। थोड़ी देर रुकी रही फिर सामने गैरेज से एक मैकेनिक आया। फिर कुछ ही देर बाद उस गाड़ी का मालिक अपनी गाड़ी से उतरकर रोहित के करीब पहुंचा और लगभग चीखते हुए कहा

“तुमने क्या डाला मेरी गाड़ी में?” 

“जी..जी डीजल..”

“बेवकूफ! क्या कर दिया ये तुमने, हज़ारों का नुकसान कर दिया मेरा। इंजन में खराबी आ गई है। मेरी गाड़ी पेट्रोल इंजन है”

रोहित नया नया लगा है इस पेट्रोल पंप पर। सीधा सा लड़का है। पढ़ाई में होशियार मगर मजबूरी में इस काम पर लगा है। ये सुन वो हका बका रह गया। मैं स्थिति की गंभीरता समझ उनके पास गया

“साहब, गलती से हो गया, नया लड़का है”

उसने पहले एक भद्दी गाली दी मुझे और

“साले..तो मैं क्या करूँ, जानता है कितनी महँगी गाड़ी है मेरी”

इतने में हमारे मैनेजर आ गएं। उन्होंने भी बहुत समझाने की कोशिश की। पर उसके सिर पर मानो खून सवार था, उसने इसी बीच रोहित को एक थप्पड़ लगा दिया। उस गरीब मासूम लड़के की आँखों में आँसू आ गए। वे हाथ जोड़े खड़ा रहा


“मैं कुछ सुनना नहीं चाहता, अपने मालिक को बुलाओ”

मालिक का नाम सुनते ही मेरा गला सूख गया। पंप के मालिक यानी कर्नल साहब बहुत सख़्त आदमी हैं। उन्हें मुस्कुराते भी नहीं देखा हमने कभी। मैनेजर ने मालिक को फोन लगाया। इस बीच उस व्यक्ति ने रोहित को दो चार और गालियां दी। रोहित गर्दन झुकाए अपने आँसू छुपा रहा था। एक गुनहगार की तरह उसे एक बेंच पर बिठा दिया गया। उसे देख मुझे दया आ रही थी। पर मैं भी बहुत विवश था, आज ना सिर्फ उसकी नौकरी बल्कि उसे इतना बड़ा हर्जाना भी भरना होगा। उसका चेहरा देख मन करुणा से भरा जा रहा था कि तभी कर्नल साहब की गाड़ी आ चुकी थी, मारे डर के मेरे हाथ पैर में झुनझुनी सी दौड़ गई। वे पास ही खड़े मैनेजर के पास आये और सख़्त लहजे में पूछा

“क्या बात है?’

“सर वो जो नया लड़का रखा है हमने ,उसने गलती से पेट्रोल की जगह डीजल भर दिया इनकी गाड़ी में, ये कह रहे हैं इनका बहुत नुकसान हो गया है, हर्जाना माँग रहे हैं”


मैनेजर ने लगभग सारी बातें बताई। कर्नल साहब ने एकबार रोहित की तरफ देखा और फिर उस व्यक्ति के पास गए

“कितना नुकसान हुआ है आपका?”

“लगभग पंद्रह हजार रुपये का”

उसने गुस्से में कहा। कर्नल साहब ने मैनेजर को उसे पंद्रह हजार रुपये देने को कहा। वो रुपये लेकर जाने लगा कि तभी

“तुम्हें भी अपना हर्जाना चुकाना होगा”  कर्नल साहब ने सख्ती से कहा


“हर्जाना..?”

“हाँ तुम्हारे नुकसान की भरपाई तो हमने कर दी मगर उस मासूम का क्या जिसे तुमने थपड़ और गाली दी है! उसकी भरपाई हो पाएगी तुमसे!”

उस व्यक्ति ने हमारी तरफ देखा फिर कर्नल साहब को देखने लगा

“ऐसे मत देखो तुम! माफ़ी मांगों इस लड़के से”  कर्नल साहब ने कड़क कर बोला। उस व्यक्ति ने रोहित से माफ़ी माँगी और चला गया। रोहित गर्दन झुकाए अब भी खड़ा था

“इस नए लड़के को ठीक से काम सिखाओ तुम सब, हो सके तो सिर्फ पेट्रोल या सिर्फ डीजल वाले सिंगल पंप पर काम लो इससे”  फिर मैनेजर ने डरते हुए पूछा

“सर, तो क्या काम पर रहेगा ये?”

“हाँ क्यूँ नहीं, इसने कोई अपराध नहीं किया है, एक छोटी सी भूल हुई है इससे और भूल सुधारने का मौका तो मिलना ही चाहिए। तुम जाओ रोहित, काम पर लग जाओ और आगे से ध्यान रखना” 

मैंने जाते जाते भी कर्नल साहब के सख्त चेहरे पर हँसी तो नहीं देखी पर उनके चेहरे पर इंसानियत और मानवता देख मेरी आँखें भर आईं…!

 

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