सम्मान की रोटी ~~मधु मिश्रा

“अम्मा मैं बाबुजी को देखने के लिए बार बार नहीं आ सकती, मेरी भी घर की कुछ जिम्मेदारी है,अच्छा होगा कि इस घर के लिए कोई ग्राहक देखो और बेच कर वहीं मेरे पास चलकर रहो..!” कमला, अपनी माँ को अपना ये निर्णयात्मक फ़ैसला सुनाकर वापस अपने ससुराल चली गई l

माँ के सामने अब असमंजस की स्थिति आ गयी, क्योंकि कमला ही एकमात्र संतान थी उनकी, इधर कमला के पिता को लकवा मार देने के कारण वो अकेले उनकी देखरेख भी नहीं कर पा रहीं थीं l फ़िर बहुत सोच विचार के बाद उन्होंने अपने पति से कमला का निर्णय बताया,तो वो भी परेशान हो गये ; परन्तु कुछ देर बाद उन्होंने  इशारे से अपना फ़ैसला बताया कि-“अभी घर नहीं बेचते,गाड़ी किराये से ले लो और बेटी के पास चलते हैं,बाद में देखेंगे कि घर का क्या करना है ! “और अब ये लोग किराये की कार लेकर कमला के घर चले गये l

वहाँ समय से खाना पीना और अच्छी देखरेख के बीच माता पिता का मन भी अब बहलने लगा, कमला की माँ भी अब थोड़ी निश्चिंत महसूस कर रहीं थीं l

लेकिन ये क्या हफ़्ता बीतते ही कमला का व्यवहार अब बदलने लगा,हर बात में वो माँ को टोका टाकी करने लगी – ” माँ यहाँ पर बाबुजी का बर्तन मत रखा करो , उनके कपड़े यहाँ सामने क्यूँ सुखाती हो !” 



और कमरे में आकर चिड़चिड़ाते हुए नौकरानी से भी कहती “गौरी, अच्छे से फिनाइल देकर यहाँ पोछा लगाया करो भई, पूरे घर में पेशाब की बदबू आती है !” अपनी नाक सिकोड़ते हुए बोली 

और फ़िर एक दिन जब कमला नाश्ता लेकर माँ को देने आयी,तो माँ पिताजी को ब्रश करा रही थीं, उसने नाश्ता रखते हुए पूरे कमरे का मुआयना किया और बोली – “माँ, इस कमरे के पीछे का दरवाज़ा मैं खोल देती हूँ, और ये घर के अंदर वाला बंद कर रही हूँ! “उसके इतना कहते ही माँ को कमला की पूरी बात का अंदेशा समझ में आ गया ,, और तुरंत उन्होंने अपनी सहमति देते हुए सिर हिला दिया l पर कमला के जाते ही उसके बाबुजी इशारा करके ज़िद करने लगे कि अब… हम यहाँ नहीं रहेंगे…वापस घर चलो.! और अब उन्होंने अपना खाना पानी सब बंद कर दिया, कमला से जब माँ ने बाबुजी का इरादा बताया तो उसने बिना ना नुकुर किये उनकी वापसी के लिए गाड़ी ठीक करवा दी..! 

गाड़ी में बैठते ही कमला के बाबुजी ने पानी माँगा, और पत्नी से आधे-अधूरे टुकड़ों में वो बोले-” अच्छा किया हमने…. जो अपना घर नहीं बेचे…. कमला की माँ, मैं रहूँ न रहूँ… नमक रोटी खाकर अकेली रह जाना,पर… पर.. अपनी बेइज्जती अब नहीं करवाना… कमला की माँ के आँसू अब पति का हाथ थामकर मौन आश्वासन दे रहे थे.. ! 

मधु मिश्रा, ओडिशा.

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