सांवला समझूं काला समझूं- अंजु ओझा

संगत से गुण आवत है संगत गुण जावत है समझी ललित बहुरिया ! काहे तू कलपती है कि हमारा पोता तनिक काला है या समझो साँवला है तो क्या हुआ वो तुम्हारा पति है , तुम पर अपना सब कुछ न्यौछावर करता है । कृष्ण, राम व शिव भी काले हैं उन्हें तो हम पूजते हैं न !

लेकिन दादी ! मेरी सभी सहेलियाँ मेरा उपहास उड़ाती हैं कहती हैं कि गोरी चिट्टी हंसिनी को कौआ जैसा काला कलूठा हसबैंड मिला है । दोस्तों के हास्य परिहास से व्याकुल है मोहिनी?

मोहिनी अपने नाम के अनुकूल बला की  सुंदर , नख से लेकर शिख तक सौंदर्य  स्वामिनी मानों स्वर्ग की कोई अप्सरा हो । लेकिन ललित का रंग सांवलेपन से गहरा सांवला है या काला ही मानें ।पर है बहुत ऊंचे ओहदे पर है ललित , पुरे जिले का कलक्टर।  बहुत ही सुलझा , पढ़ा लिखा , विनम्र है । ललित का  यह गुण मोहिनी को नहीं दिखता है ना ही उसकी अच्छाई नजर आती है ?

अपने बेकारपरस्त आधी दिमाग वाली सहेलियों के चापलूसी से घिरी रहती है , वे सब कहतीं कि  अंकल ने  तेरी शादी बेमेल आदमी से कर दी है । तुम छोड़ दो / तलाक दे दो / इतना मानसिक तनाव दो कि वो ही तुम्हें छोड़ दे ? ऐसी ऊलजलूल सलाह देती रहतीं हैं मोहिनी की सहेलियाँ। “अधजल गगरी छलकत जाए”  तथ्य से जकड़ी है मोहिनी।  इनकी बातों से मोहिनी का दिमाग सातवें आसमान पर चढ़ गया है , सुंदरता के घमंड में मदमस्त है । कहते हैं घमंडी का सिर एक दिन नीचा होता ही है ।

दादी समझाती रहती हैं पर मोहिनी पे बेअसर है दादी की बातें?

ललित की माँ तटस्थ रहती हैं , वो मोहिनी को ज्यादा तवज्जो नहीं देती । जानती है कि इसको चढ़ाया है इसकी ऊलजलूल सहेलियों ने, अपने बकवास बातों के जरिए। कहाँ मेरा बेटा , कहाँ यह!


मोहिनी के पापा भी प्रशासनिक अधिकारी रह चुके थे । वही मोहिनी का रिश्ता लेकर आए थे मेरे दरवाजे | उसी समय कहा था मैंने कि आपकी बेटी बहुत गोरी है मेरे बेटे से , दोनों की जोड़ी  नहीं जमेगी ? मेरा बेटा आपकी बेटी से दस साल बड़ा है , पैंतीस का हो चुका है । पर मोहिनी के पापा हाथ जोड़कर विनयशील हो ललित के साथ रिश्ता जोड़ लेते हैं।

मैंने मोहिनी के पापा को आगाह किया था कि मेरा बेटा गहरा साँवला है,  कहीं  दोनों के बीच रंग और उमर आड़े ना आ जाए? लेकिन उन्हें मेरे बेटे के कलक्टरी पद के आगे कुछ नहीं सूझा ।

मामी जी , कहाँ हों आप ?

सरप्राइज सरप्राइज!

ललित की माँ के ननद का बेटा मनोहर की आवाज सुन चौंक  जाती है  मोहिनी ।

अचानक से बेधड़क बैठक में एक नवयुवक आ धमका  है , ना बेल बजाया ना दरवाजा  खटकाया ?

आपका परिचय, आप हैं कौन ?

जान न पहचान मैं तेरा मेहमान!

मोहिनी बहू! यह मेरी ननद का बेटा मनोहर है , तुम्हारा देवर है ,पीछे खड़ी सविता जी बता रही हैं । मनोहर की आवाज सुनकर आ गई हैं , उसे देखकर प्रफुल्लित हो गई हैं ललित की माँ।

आओ न बेटा ! बैठो , रामू काका , मनोहर के चाय नाश्ते का प्रबंध कीजिए। मोहिनी भौंचक हो मनोहर को देखे जा रही है , लंबा सा आकर्षक कद, गेंहुआ रंग , घुंघराले बाल , हाथ में एक बैग और एक बड़ा सा कैमरा लिए खड़ा है।


अच्छा यह मोहतरमा ललित भाई की श्रीमति जी हैं । आज सौभाग्य प्राप्त हुआ है भाभी से मिलने का , सादर प्रणाम भाभीश्री! मनोहर बेतकल्लुफ होकर मोहिनी के समक्ष अपना दाहिना हाथ बढ़ाता है । मोहिनी भी खुश हो हाथ बढ़ा रही होती है लेकिन बीच में ललित की माँ कह पड़ती हैं कि हमारे यहाँ बड़ी भाभी से हाथ नहीं मिलाते बल्कि पैर छूकर प्रणाम करते हैं । मनोहर सकपका गया है और थोड़ा सा झूककर अभिवादन का कोरम  करता है ।

मोहिनी कहती है कि आप हमारी शादी में शामिल नहीं थे इसलिए पहली बार आपसे मिल रही हूँ।

जी हाँ ,  पिछले साल आपकी विवाह के वक्त, मैं आऊट ऑफ इंडिया गया था फोटो शूट करने , फोटोग्राफर हूँ इसलिए देश विदेश में बनजारा की भांति फोटो लेने हेतु भ्रमण करता  रहता हूँ । आज आप सबसे मिलने आया हूं खासकर आपसे ! मोहिनी की आँखों में झांककर बोल रहा है मनोहर। उसकी लच्चेदार बात से मोहिनी शरमा जाती है ।

मनोहर दिलफेंक और फ्लर्टबाज किस्म का बंदा है , घाट घाट का पानी पी चुका है । मनोहर के बारे में ललित और उसकी माँ जानते हैं कि अय्याश व रंगीन मिजाजी किस्म का है । ललित बिचारा सुबह ही निकल जाता ऑफिस । ललित की माँ भी कमरे आराम कर रहीं होती है और दादी अपने भजन सुनने और प्रभु की माला जपने में तल्लीन रहती ।

मनोहर को इतना आभास हो गया है कि मोहिनी ललित भाई को नापसंद करती है । कहीं न कहीं उसे मेरा यहाँ आना भा गया है । वो भी मोहिनी को देख मंत्रमुग्ध है , कितनी सुंदर है!  एकदम की अप्सरा है ।

रोज किसी न किसी बहाने से मोहिनी के आसपास मंडराता रहता मनोहर , मनोहर की चुहलबाजी को देवर का स्नेहपूर्ण व्यवहार समझती है मोहिनी ।

ललित की माँ और दादी किसी सत्संग में  सम्मिलित  होने के लिए गई हैं। मोहिनी अपने कमरे में आराम फरमा रही होती  है तभी मनोहर आ धमकता है , भाभीजान !  आपके हसीन चेहरे की फोटो ले लूं क्या ?

अरे नहीं मनोहर जी ! मुझे इसका शौक नहीं है।

आप मुझसे फोटो खींचा कर देखिए  , इतने अच्छे लुक्स आएगी आपकी कि आप भी खुद को पहचान नहीं पाओगी मोहिनी !

इसकी बेबाकी तो देखो कि लिहाज भी भूल गया है, भाभी से  आकर सीधे नाम पर। बेशरम कहीं का !

मोहिनी मन ही मन में खीझ रही है । खैर , ललित जी के फुआ का बेटा है अतिथी भी है तो औपचारिक तो बनना ही पड़ेगा।

क्या सोच रही हो मोहिनी ? अपने बेस्ट फोटोग्राफर देवर के कैमरा से एक फोटो तो खिंचावाना तो बनता है । थोड़ा-बहुत मेकअप कर लो , वैसे इसकी जरूरत नहीं है तुम्हारी खूबसूरत फोटो वैसे भी मस्त निकलेगी ।

ओ के , मोहिनी अपने पल्लू को कंधे से ओढ़कर सोफे पर अच्छे से बैठती है । मनोहर कैमरा से फोटो लेने का क्रम करता है ,ढोंग वश कभी इधर से लेने के लिए घुमता कभी मोहिनी के समीप आ जाता है । इतनी देर तक एक ही पोज में रहते मोहिनी को कोफ्त होने लगी है।


बस करिए मनोहर जी, अब हमें फोटो नहीं खींचवाना ?

क्यों परेशान हो रहो हो  ..

अभी एक झक्कास अंदाज बताता हूँ, उसमें हॉट लगोगी मोहिनी ।  ऐसा कहकर मोहिनी के कंधे से आँचल गिरा देता है ….. मोहिनी हतप्रभ रह गई,  फटाक से उठी है……. तेरी इतनी हिम्मत! झनाक से गाल पर तमाचा दे मारी मनोहर के , दिन में तारे नजर आने लगे उसे !

कमीने कुत्ते तू सोच रहा है कि मैं तुझ पर आसक्त हूँ और तुझसे फोटो खिंचवाने के लिए मरी जा रही हूँ , अपने को हीरो समझता है तू … निकल जा अभी मेरे कमरे से ? आने दे ललितजी को ,  तेरी सारी कारस्तानी बताऊंगी ?

ललित की सिट्टी पिट्टी गुम !

उसे लगा कि मोहिनी उसके आकर्षक व्यक्तित्व के आकर्षण में है ? पर यह तो शुद्ध भारतीय नारी निकली !

भागो बेटा , नहीं तो मामी और ललित भाई मिलकर मेरी खाट खड़ी कर देंगे?

मनोहर  अपना बोरिया बिस्तर समेटकर नौ दो ग्यारह!

आज की बुरी घटना से मोहिनी की आँखें खुल गई हैं ।

हृदय के सारे गुबार गंगा जमुना बनकर बह चले हैं ललित के लिए….

उनके जैसा कोई नहीं है, वो मेरे पति हैं , रूप रंग मायने नहीं रखता । अहमियत है चरित्र की , स्वस्थ व्यवहार की है। आज और अभी से उनके प्रति दुर्भावना को खत्म करती हूँ।

ललितजी मेरे भोलेनाथ स्वरूप हैं!

नहीं नहीं रामजी हैं वो!

नहीं कृष्ण भगवान हैं!

अब मोहिनी का मन तो तीनों देवों के रूप को ललित जी के प्रति मान चुका है ।

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