एक टुकड़ा धूप.. – संगीता त्रिपाठी
#एक टुकड़ा जुहू बीच पर बैठी सुनंदा आती -जाती लहरों को सूनी आँखों से देख रही थी।नन्ही पीहू लगातार रोये जा रही,पत्थर बनी सुनंदा को किसी ने हिलाया। “बेटी तुम्हारी बच्ची कितनी देर से रो रही तुम्हे सुनाई नहीं दे रहा “। सुनंदा ने सूनी आँखों से हिलाने वाले को देखा। बड़ी सी बिंदी और … Read more