नालायक बेटा – उमा वर्मा : Moral stories in hindi

” बाबूजी “बाबूजी, आप हमें छोड़ कर चले गये ।दुनिया से ।चले तो उस दिन ही गये थे जब हम दोनों भाई छोटे थे।कुल चार और पांच साल के।आज आप की बरसी है ।अम्मा बताती थी कि सौतेली माँ के खराब व्यवहार के चलते आपने अपना घर, स्त्री,और बेटे को छोड़ कर चले गए थे ।

लेकिन परिवार के लोगों ने कहा नौकरी में किसी ने हेर फेर किया और आप पर दोष मढ दिया था ।आप पर मुकदमा चला और फिर आप सभी से बहुत दूर हो गये ।एक दम गायब।फिर बारह साल आप किसी को भी नजर नहीं आए ।घर वालों ने आपकी आस ही छोड़ दी थी ।

अम्मा ने सिन्दूर  लगाना छोड़ दिया था ।पता नहीं क्या बात थी ।मै कभी समझ नहीं पाया ।हम दोनों भाई का जीवन बहुत कष्ट कर बीता।हमने कभी जाना ही नहीं कि पिता का प्यार क्या होता है ।अच्छे कपड़े पहनने को हम तरस गए थे ।

किसी तरह अम्मा के हाथ के सिले पजामा जिसमे लम्बी डोरी लटकी होती ।आपने कभी नहीं सोचा कि बच्चे क्या खा और पहन रहे हैं ।आपकी सौतेली माँ ठीक नहीं थी तो अपने बीवी ,बच्चों को तो ले जाते अपने साथ ।पर नहीं ।

आपने हमे एक दम छोड़ दिया ।धीरे-धीरे हम बडे हो रहे थे ।दादी का दिया हुआ मोटा अनाज खाकर ,और टाट के बिस्तर पर सो कर ।फिर बहुत साल के बाद गांव के किसी ने आपको देखा।आपने हमारा हाल चाल पूछा।और हमसे मिलने की इच्छा जाहिर की ।

फिर हम दोनों भाई को आपसे मिलने के लिए कहा गया ।गांव के हरि काका हमारे साथ थे।आपने हमे खूब सारी मिठाई और कपड़े दिलवा दिए।हमने आप से कहा घर चलिए ।” बाद में कोशिश करेंगे आने का “। 

कहकर हमें  भेज दिया ।आप नहीं आए ।हम किसी तरह मेहनत मजदूरी करके थोड़ी बहुत पढाई कर रहे थे ।समय अपनी गति से चल रहा था ।भैया की शादी की बात चलने लगी ।एक जगह बात तय हो गयी ।सब कुछ ठीक होता  नजर आने लगा था ।

आप को बुलाने हम दोनों भाई गये।आप ने कहा ” घर जाओ शादी के समय आ जाऊंगा “। आप नहीं  आए ।हम इन्तजार करते ही रहे ।शादी होनी थी, हो गई ।आप फिर गायब हो गये ।पांच साल और बीत गया ।फिर मेरी शादी  तय हो गयी ।


आप अचानक पटना स्टेशन  पर नजर आये ।हरि काका ने ही बताया था ।हम दोनों भाई फिर आप को बुलाने गये।भैया ने कहा, आखिरी शादी है बेटे के ब्याह का शोभा बढ़ा दीजिए ।आप का बेटा है ।अच्छा लगेगा ।आप ने दिलासा दिया ।

” हाँ ,इस बार जरूर आऊंगा ।”। हम पूरे परिवार राह देखते रह गए ।आप नहीं आए ।आप कैसे पिता थे कि आप को हमारी याद नहीं आई ।आप के प्यार  को हम तरसते रहे ।आप इतना बेरूखी  कैसे कर सकते हैं ।

हमारी शादी हो गई ।दूसरे शहर में अच्छी  नौकरी भी लग गई ।हम दोनों भाई अपने परिवार और अम्मा को लेकर शहर  आ गये ।

जिन्दगी अच्छी चल रही थी कि एक दिन सब्जी  खरीदते  हरि काका  मिल गये।हाल चाल हम पूछ ही रहे थे कि उनहोंने बताया ” का बताएँ बबुआ,तुम्हारे बाबूजी लखीसराय स्टेशन पर मिले थे  एक दिन ।” बहुत बीमार हैं ।

एक दम साधू बन गए हैं ।घर आने को कहा तो  बोले किस मुंह से जाऊं? कभी बाल बच्चे को कुछ भी नहीं किया ।पिता के प्यार को तरसते रहे बेटे।कभी एक टुकड़ा नहीं पहनाया ।नहीं मै नहीं जा सकता ।फिर मै हरि काका की बात सुनकर बहुत बेचैन हो गया ।

आखिर आप मेरे लिए बहुत खास थे बाबूजी ।मैंने तुरंत रूपये का इन्तजाम किया और आप को  लाने गया ।


आप फिर नानुकर  करने लगे थे ।फिर मै भी तो आप ही का बेटा था ।आप ही की तरह जिद वाला ।आप को पुलिस का डर  दिखाकर काँधे पे लादकर ले आया ।आप को देख कर अम्मा भडक गई ।” अब क्यो आए” जब बच्चे को पिता की जरूरत थी  ।

उसे खाना  कपड़े की जरूरत थी  तब तो आप ने कोई फर्ज नहीं निभाया ।अम्मा को हमने समझाया ।” जाने दो ना अम्मा ।वह बात तो बीत गयी ।बहुत दिनों बाद आपका आगमन  हमे बहुत अच्छा लगा ।आप हमारे बच्चे को बहुत प्यार करते थे ।

लेकिन अम्मा कभी खुश नहीं हुई ।सच में बाबूजी  दोषी तो आप  थे ही।कैसे कभी आप का मन नहीं करता था की  बेटे को प्यार करें, गोद में ले।हाँ हमने बहुत तकलीफ सहा आप के कारण ।लेकिन आप मेरे पिता थे  ।आप ने हमें जीवन दिया ।आप का बेटा था मै  ,आप का खून ।भले ही आप ने हमें छोड़ दिया पर मै हमेशा तड़पता रहा आप के लिए ।

आप बहुत दिनों तक रहे।मेरे बच्चों को प्यार किया ।पर मेरा जीवन तो  अधूरा ही रह गया ।और अम्मा के तो गुनाहगार तो आप थे ही।इस बात के लिए मै आपको शायद कभी माफ नहीं कर पाऊँ ।एक साल हो गया  इस बार  सचमुच आप चले गए  कभी नहीं आने के लिए ।मन का सारा गुस्सा आप पर निकाल दिया ।क्षमा प्रार्थी हूँ बाबूजी ।लाचार था।

जिन्दगी में जो तकलीफ हमने  सही आप के बिना ।क्या  कहें? गुस्सा भी  है  और माफी की  चाह भी ।अब आप पर है अपने बेटे को क्या  देंगे ।हो सके तो माफ ही कर दीजियेगा।बस।बहुत बोल गया ।इश्वर से प्रार्थना करता हूँ आप जहां भी हैं हमे आशीर्वाद देगें ।आप का नालायक बेटा हूँ

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