कसक – कमलेश राणा

पिछ्ले वर्ष जनवरी में मेरे छोटे बेटे की सगाई हुई।सभी लोग बहुत खुश थे।खासतौर से बड़ा बेटा बहुत उत्साहित था। बोला,” पापा, इस बार सारा इन्तज़ाम मैं करूंगा।” अब booking का सिलसिला शुरू हुआ।शहर का सबसे अच्छा resort बुक किया गया,बैंड फोटोग्राफर,हलवाई सब अच्छे से अच्छे,,,,, जोरदार शॉपिंग हुई।बड़ी बहू और बेटी ने सुन्दर सुन्दर … Read more

निशीगंधा – अनु मित्तल “इंदु”

बात उन दिनों की है जब मैं M.A.Eng करने के लिये अमृतसर आई थी । उन दिनों मैं बेरी गेट में D.A.V.college of Education के होस्टल में रहती थी M.A.का मेरा सेकेंड year था । मैं अपने रूम में एक रात अपने exam की तैयारी कर रही थी । रात के 12बजे का टाईम था … Read more

पश्चाताप – कंचन शुक्ला

आर्यन अपनी माँ से मिलने नौ साल बाद लौटा है। इतने दिनों कहाँ था, ना किसी ने पूछा, ना किसी को उसने बताया। मन की पीड़ा अत्यधिक थी। चाहते हुए भी किसी से कुछ साझा नही करता।  प्राची और प्रथम, बच्चे आर्यन, निमिषा और अमीषा का सुखी समृद्ध परिवार था। बड़ा बेटा आर्यन और उससे … Read more

अपनापन   -किरन केशरे

शाम पांच बजे ‌ऑफिस का कार्य पुरा कर सलोनी घर जाने की तैयारी कर ही रही थी की , अचानक ही बॉस ने अतिरिक्त कार्य सौंप दिया, उन फाइलों को निपटाते रात के साढ़े सात बजने को आ गए थे, वह सोच रही थी, नमन भी ऑफिस से छह बजे तक आ जाते हैं ,सास … Read more

सेविंग – मीनाक्षी चौहान

दोनों बच्चे और उनकी माँ के मुँह बने हुए हैं मना जो कर दिया मैनें इस बार मॉल से शॉपिंग करने के लिये। दो महीने हो गए मॉल से घर का सामान लाते हुए। अच्छा भला अब तक बड़े बाज़ार के लाला की दुकान से सामान आया करता था लेकिन उस दिन मैडम ने अखबार … Read more

हम सफर-सीमा बी.

नैना को रोज मेट्रो से आना जाना होता है उसने अपनी छड़ी और कदमों की गिनती से रास्ते को पहचानना सीख लिया है ।अपने नाम के जैसे उसकी आँखें बहुत ही सुन्दर और बड़ी बड़ी हैं पर उन आँखों मे रोशनी नही है। अनुराग और नैना की मुलाकात रोज मेट्रो में ही होती हैं । … Read more

मृगतृष्णा – सीमा बी.

आज भी मुझे याद है,जब मेरे लिए अविनाश का रिश्ता आया था।अपनी अपनी माता पिता की एकलौती संतान हैं। पेशे से डॉक्टर होने के बावजूद  वो एक पढी- लिखी घरेलू लड़की से शादी करने को इच्छुक थे। इतना अच्छा रिश्ता सामने से आया तो ना करने की कोई वजह नहीं थी। छह महीने के छोटे … Read more

 लंगड़ी-कन्या – सीमा वर्मा

“लंगड़ी , हाँ यही उसका नाम है।” “जब भी मेरी यह भक्त कन्या अपने एक छोटे पाँव पर हिलक-हिलक कर अकेली ही कदम खींचती हुई आती है , मेरा ध्यान अपने समस्त भक्तों से हट कर उस पर ही केंद्रित हो जाता है, “अपनी हँसी उड़ाए जाने के डर से हमेशा एकाकी ही दिखती है … Read more

जिन्दगी बदल गयी  -पुष्पा पाण्डेय

सुबह चाय के साथ हाथ में अखबार लेते ही शर्मा जी बोले। “राधा! देखो तो ये कंचन जी की तस्वीर है?” ” अरे हाँ, ये तो कंचन ही है।” “इन्हें ‘राष्ट्रीय  साहित्य-रत्न’ पुरस्कार मिला है। मुख्य पृष्ठ पर ही तस्वीर छपी है। अब तुम्हारी बात नहीं होती है उनसे?” ” यहाँ आने पर  कुछ दिन … Read more

फैसला – रचना कंडवाल

शाम के चार बज रहे थे।  लड़का झील के किनारे बैठ कर किसी  का इंतजार कर रहा था।कभी खड़ा होता, कभी बैठ जाता। उसके अंदर अजीब सी बेचैनी थी। आसपास का मनोरम वातावरण भी उसे अपनी तरफ खींचने में असमर्थ था।उसी बेचैनी में वह झील में पत्थर मारकर पानी की खामोशी तोड़ रहा था। तभी … Read more

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