तमन्ना – रणजीत सिंह भाटिया

#चित्रकथा    धनीराम जो शहर के बहुत बड़े व्यापारी थे अपने कुछ साथियों के साथ वापस अपने घर लौट रहे थे, रात बहुत अंधेरी थी, करीबन आधी रात होगी, एक घने जंगल से गुजरते हुए अचानक उनकी कार खराब हो गई ड्राइवर कोशिश कर रहा था पर उसे उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था … Read more

चित्कार – डॉ.अनुपमा श्रीवास्तवा

#चित्रकथा लगभग ढाई साल बाद मैं अपने गांव गई थी। माँ के गुजरने के बाद जैसे हमारा जहान ही लुट गया था। कभी इच्छा ही नहीं होती थी वहां जाने की। इस बार गर्मी की छुट्टियों में छोटे भाई और बच्चों की जिद की वज़ह से मैं अपने गांव गई। बच्चे बहुत खुश थे। भाई-भाभी … Read more

राय साहब – अरुण कुमार अविनाश

” राय साहब —— राय साहब — ।”– मैंने उच्च स्वर में पुकारा। राय साहब ने मेरी आवाज सुन ली थी। वे ठिठके फिर मेरी ओर देख कर उन्होंने मुझें अपनी ओर आने का इशारा किया। इस समय पार्क में मैं रोज़ की तरह वाकिंग और शारीरिक व्ययाम के लिये गया हुआ था। राय साहब … Read more

पश्चाताप – अनामिका मिश्रा

आज प्रशांत ने अपने बेटे से कहा, “चल बेटा जरा घूम कर आते हैं, तेरी छुट्टी भी है, और मुझे भी कुछ काम है!” प्रशांत बेटे को लेकर घूमने निकला। रास्ते में ट्रैफिक जाम लगा हुआ था। तभी एक औरत पास आकर पैसे मांगने लगे। प्रशांत ने अनदेखा किया और ट्रैफिक अभी खुली भी नहीं … Read more

“सुखद चीख” – ऋतु अग्रवाल

विधा : नाटक  #चित्रकथा परिमिता: रोहन! उठो!आह!आह! रोहन: सोने दो ना! नींद आ रही है बहुत। परिमिता:रोहन उठो भी! मुझे बहुत तकलीफ हो रही है। रोहन: अरे यार सो जाओ। ऐसे में थोड़ी बहुत तकलीफ तो होती ही है। परिमिता लेटने का उपक्रम करती है पर पीड़ा की वजह से उसे नींद नहीं आती। वह … Read more

वारिस – प्रीती सक्सेना

  ये एक सत्य कथा है,, जिसे मैं प्रीती सक्सेना आपके सामने एक कहानी के रुप में ,, प्रस्तुत कर, रही हूं,,  जया,,, स्कूल में टीचर है,, पिता भी टीचर हैं,,, एक भाई एक बहन हैं,,, साधारण सा ,,,पर प्यारा जीवन ,,, खुशहाल परिवार,,     शादी की उम्र होने पर पिता ने घर वर देखना शुरु किया,,, … Read more

इन हैवानों से खुद को भी बचाईये,,, – सुषमा यादव

,,आज का समय बहुत ही ख़राब है,, मासूम बच्चियों से लेकर उम्र दराज महिलाएं तक हैवानियत का शिकार हो रही हैं,,,, यहां तक कि लड़कों को भी लोग नहीं छोड़ रहे हैं,,हम सब आये दिन इन नापाक घटनाओं से अवगत हो रहें हैं,,, ऐसा नहीं है कि हम सबके जमाने में ऐसी ओछी हरकतें नहीं … Read more

गांव की गलियों का मोल – ज्योति अप्रतिम

********************** चन्दना जब भी अपने माँ -पापा के साथ दूसरे शहर जाती ,सहम जाती ।वहां के लोग ,दुकानें ,बस स्टैंड सब उसे एक दम अजीब और अजनबी नजर आते । धीरे -धीरे यही डर एक उसके मन में एक ग्रंथि बन गया ।पढ़ते हुए कॉलेज में पहुंच गई  ।पढ़ाई पूरी कर एक स्कूल में अध्यापिका … Read more

तुम्हें दादी का भी दिल रखना है – चाँदनी झा

क्या हुआ रिधिमा बेटा?? सोनिया ने काफी देर से उदास रिधिमा से पूछा। कुछ नहीं मम्मा, जाने दो। कोई तो बात मेरी बेटी को परेशान कर रही है? मम्मा वो..वो,,,वो। क्या बात है बताओ? आपने मुझसे कभी नहीं कहा कि मेंसुरेशन होने के बाद? तुम्हें अचार नहीं छूना है, रसोईघर में नहीं जाना है। पुरुषों … Read more

पूत सपूत तो क्यों धन संचय, पूत कपूत तो क्यों धन संचय – -पूनम वर्मा

नितिन बाबू शाम के समय दरवाजे पर बैठे चाय पी रहे थे तो देखा उनके बड़े भैया विपिन बाबू और भाभी रिक्शा से चले आ रहे हैं । अचानक इस तरह उनके गाँव आने से नितिन बाबू अचंभित थे । उन्होंमे उठकर स्वागत किया और हालचाल पूछने लगे । उनकी हालत दयनीय लग रही थी … Read more

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