वारिस – प्रीती सक्सेना

  ये एक सत्य कथा है,, जिसे मैं प्रीती सक्सेना आपके सामने एक कहानी के रुप में ,, प्रस्तुत कर, रही हूं,,  जया,,, स्कूल में टीचर है,, पिता भी टीचर हैं,,, एक भाई एक बहन हैं,,, साधारण सा ,,,पर प्यारा जीवन ,,, खुशहाल परिवार,,

    शादी की उम्र होने पर पिता ने घर वर देखना शुरु किया,,, अरे जया की मां,,,, सुनो आज एक लड़के और उसके परिवार के बारे में पता लगाकर आया हूं।

कौन हैं?? कहां के हैं,,, लड़का क्या करता है,,,, बताइए न,,,, सांस तो लेने दो,,,, ,,, जया,, अच्छी सी चाय पिला बेटा ,,, थक गया हूं,,,, हां पापा अभी लाई,,, मां,, आप भी लोगी,,, हां मेरे लिए भी थोडी चाय बना दे।

   हाथ तो चाय बना रहे थे,,,, पर ,,, कान,,, मम्मी,, पापा की बातों में ही लगे थे,, पापा कल मम्मी को लेकर रिश्ते के लिए जाने वाले थे

     आज़ तो स्कूल में भी मन नहीं लग रहा,,, पापा मम्मी जाने वाले हैं,,, न जाने कैसे लोग होंगे,, लड़का कैसा होगा??  मन में अलग सी खलबली मची थी

        मम्मी को अच्छे से तैयार किया,,, मम्मी भी उसके मन की हालत समझ रही थी,,,, वो लोग गए,,, जया टैस्ट की कॉपियां चैक करने बैठ गई,,,, कॉपियां निपटाकर,,, घड़ी देखी,, अरे समय हो गया,,, खाना बना लेती हूं, मम्मी भी खुश हो जाएंगी


     फ्रिज में देखा,,, गोभी रखा दिखा,, झटपट आलू गोभी की रसेदार सब्जी बनाई,,, और आटा गूंधकर रख दिया,,, रोटी या परांठा,,, जो,,,, कहेंगे बना दूंगी।

   पापा मम्मी आए,,, शक्ल से खुश दिख रहे थे,,, आकर बेटी के सिर पर प्यार से हाथ फेरा,,, दिल धड़क सा गया,,, क्या बाते हुईं,,, जल्दी से बताते क्यों नहीं।

   अच्छा घर परिवार है,, लड़का बैंक में क्लर्क है,, बढ़िया खेती किसानी है,, एक बहन शादीशुदा है,,, पास की कालोनी में रहती है। रविवार को वो लोग जया को देखने आ रहे है,,, सबसे अच्छी बात,,, उन्हें जया की नौकरी करने से कोई ऐतराज नहीं

  दो दिन का समय था,,, घर की सफाई,, अच्छे से की गई,, बैठक को नए तरीके से संवारा गया,,, नियत समय पर,, लड़के वाले आए,,, जया उन्हें पसंद आ गई,,,, दहेज की विशेष मांग नहीं थी,,, विवाह तय हो गया।

    दो महीने के अन्दर ,,,,,जया,, सरल की दुल्हन बनकर आ गई,,, एक ही शहर में शादी होने से,,, उसकी नौकरी भी यथावत  चल सकेगी,,, ये भी अच्छी बात थी।

शादी के कुछ महीने बाद ही सासू मां,, बच्चे के लिए बोलने लगी,,, संकोच वश जया ,, कुछ बोल नहीं पाती,,, सरल से कहती,,, तो वो हंसी में उड़ा देता।

एक साल होते होते,,,, तो सासू मां ने अल्टीमेटम दे दिया,,, जया को लगा,,, ठीक है,,, मां को दादी बनने की जल्दी है,,, बच्चे के बाद  तो शान्ति रहेगी,,,, सोचकर उसने,, बच्चे के बारे में सोचना शुरु किया।

   पांच महीने निकल गए,,, पर गर्भ नहीं ठहरा,,,, सासू मां का बड़बड़ाना,,,, बदस्तूर जारी रहा,,,,,, डाक्टर को दिखाया गया,,,, टेस्ट वगैरह हुए,,, सरल में कुछ कमी निकली,,,,,,,, परिवार वाले आईवीएफ के लिए जोर देने लगे,,,, जया को समझ नहीं आ रहा था,,,,,, इतनी जल्दी क्यों है बच्चे की,,,, पर घर में सिवा बच्चे के कोई बात ही नहीं होती।


आईवीएफ के बारे में पूरी जानकारी लेने के बाद,,, जया ने आईवीएफ के लिए साफ साफ मना कर दिया,,, मैं इतनी तकलीफ नहीं उठाऊंगी।

    पारिवार में रोज नई नई खिचड़ी पकने लगी,,, जया नौकरी और घर के काम में ही व्यस्त रहती । उसे,, पता ही नहीं चलता,, घर में क्या षड्यंत्र रचा जा रहा है।

कुछ दिनो से सरल ज़रूरत से ज्यादा प्यार दिखा रहा था,,, रात को सोते समय खुद पानी का ग्लास लाता और ,,,, अपने हाथों से पिलाता,,, जया को अजीब तो लगा पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया,,, रात को गहरी नींद में जया को महसूस हुआ,,, उसके बाजू में कोई है,, आंखे खोलने की कोशिश व्यर्थ  गई,,, सुबह सुबह नंदोई को घर पर देखा तो ताज्जुब हुआ,,,, ताज्जुब इस बात का भी हुआ कि,,,,,,, नंदोई के चेहरे पर अर्थपूर्ण मुस्कान थी,,, जया ,,,, कुछ समझ नहीं पाई ,, स्कूल चली गई,,,, अब रोज सरल उसे पानी पिलाता,,, और वो गहरी नीद में सो जाती,,, अब घर में पूरी शान्ति रहने लगी,,, जया को अचरज तो था,,,, पर उसे कुछ पता ही नहीं  था ।

सरल कमरे में आया,,, पानी का ग्लास जया को जैसे ही दिया,,, अचानक उसका फोन बज उठा,,, इशारे से जया को पूरा पूरा पीने का कहकर ,,,,वो बाहर गया,,, जया को कुछ संदेह सा होने लगा था,,, उसने पानी नहीं पिया,,,, बाथरूम में जाकर फेंक दिया,, और सो गई,,,, नींद में उसे,,, किसी ने छुआ,,, ये स्पर्श सरल का नहीं था,,, अंधेरे में उसकी देह से छेड़छाड़,,, करने वाले  से परिचित खुशबू आई,, उसने उठकर जोरदार धक्का दिया,,,, उस इंसान को,, और भागकर लाइट जला दी,,,,, आश्चर्य की अधिकता से उसकी आंखे फट गई,,, सामने उसके ससुर थे,,,, नफरत से उसने,, उनके मुंह पर थूक दिया, सारी हकीकत उसके सामने थी,,, तुरंत घर से बाहर निकल गई,,, सरल ने रोकने की बहुत कोशिश की,,, पर जया ने उसका चेहरा तक नहीं देखा।

 सबसे पहले अपने माता पिता के पास गईं,, फिर पुलिस में जाकर कंप्लेंट लिखवाई,,, सबको गिरफ्तार किया गया,,,, कारण पूछने पर बताया,,, बेटा,,, बाप नहीं बन सकता था,,, हम किसी गैर की औलाद नहीं चाहते थे,, इसलिये ये तरीका अपनाया,,, जया ने तलाक का आवेदन कर दिया,,, इतने घृणित,, नीच,, अधर्मी,, परिवार की वो शक्ल भी नहीं देखना चाहती थीं।

   इस बात को करीब सात साल हो चुके हैं,,, शुक्र है,,, समझदारी से,,, जया,,, नर्क से बाहर आ गई ,,,,अब तक तो जया एक  नया जीवन शुरु कर चुकी होगी और ,,,,खुशहाल जीवन व्यतीत कर रही होगी।

प्रीती सक्सेना

इंदौर

 

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