वैंपायर की मुहब्बत – नीलिमा सिंघल

आस्था बचपन से ही कल्पनाओं के सागर मे गोते लगाती रहती थी,,,कभी उसको लगता कहीं से ऐसी गाड़ी मिल जाए जो बटन दबाने से बड़ी हो जाए जो तैर सके उड़ सके,,,, कभी सोचती उसको सिंड्रैला की तरह परी मिल जाए जो उसको बहुत प्यार करे और अपनी जादू की छड़ी से सब कुछ अच्छा … Read more

नीनू चली जादू नगरी –  सरला मेहता

#जादुई_दुनिया दीवाली के लिए मम्मा ने गुजिया लड्डू बनाकर ऊँची रेक पर रख दिए।नीनू सोचने लगी मैं गुड़िया बहियन की छोटी गुजिया केही विधि पाऊँ ? लेकिन उसके सारे प्रयास विफ़ल।  नीनू ललचा कर माँगती है,” बस एक गुजिया दो ना मम्मा,सच्ची बस एक ही। “ माँ फटकार लगा देती है, ” बिलकुल नहीं, सब … Read more

स्त्री का चरित्र – पूजा मनोज अग्रवाल

नेहा एक स्वछन्द स्वभाव की हँसमुख सी लडकी थी । बचपन से ही आत्मविश्वास से लबरेज नेहा अपने दम पर कुछ करने की चाह रखती थी,,,एम बी ए  के आखिरी वर्ष मे ही थी,,,कि  माता-पिता ने लड़का देखना शुरु कर दिया । नेहा अभी अगले कुछ वर्षों  तक विवाह करने की इच्छुक ना थी,,,वह आत्मनिर्भर … Read more

“सच्चा प्यार दुर्लभ” – दीपा साहू

आर्या ने आर्यन से कहा- “यार ये प्यार व्यार का रिश्ता नही चाहिए यार तुम मेरे बड़े अच्छे दोस्त हो।” सफर ज़िन्दगी का कट रहा , प्यार की तोहमत न लगा मेरे दोस्ती पर। मैं तुमसे प्यार करता हूँ,आर्या तुम मेरी हो किसी और के बारे मे सोचना मत तुम  तुम सिर्फ मेरी बनोगी।तुम्हे कभी … Read more

मेरे पापा : मेरे हीरो! – प्रीति आनंद अस्थाना

आज सुबह दफ्तर पहुँचा ही था कि बॉस ने बुलवा भेजा। पता था कि आज क्लास लगेगी पर इतनी जल्दी? “देखो वर्मा, ये तीसरा प्रोजेक्ट भी हमारे पास से निकल गया। आजकल कुछ टिकता ही नहीं तुम्हारे हाथों में! एक एक कर तुम्हारे तीन प्रोजेक्ट कंपनी के हाथों से निकल गए हैं। अब एक ही … Read more

नरमुंडा की दुनिया   – अनुज सारस्वत

#जादुई_दुनिया “मेरा तो जीना ही बेकार है,इससे अच्छा तो कही कुएं में डूबकर मर जाऊँ” जंगल के रास्ते घर जाते हुए खैंचूमल इतना सोच ही रहा था कि उसका पैर एक दलदली जमीन पर पड़ा और उसका सारा शरीर उस जमीन में घुसता चला गया  “अरे मार दियो रे मार दियो रे ” के करूण  … Read more

माँ की सुगन्ध – दीप्ति सिंह

 पिछले वर्ष माँ की ब्रेस्ट कैंसर से मृत्यु होने के उपरांत सरिता का मन रीता हो गया था मन में सिर्फ  माँ की याद बसी रहती। कितनी अच्छी थी माँ? जब भी सरिता जाती माँ खुशियों की पोटली बाँध देती। सावन की तो बात ही निराली थी सासससुर के जोड़े से लेकर दोनों बच्चों और … Read more

प्लानचिट का जादू – कमलेश राणा

#जादुई_दुनिया करीब 55 साल पहले मेरे पापा किसी धार्मिक स्थान पर जाते थे,,वहां लोगों की समस्याओं का समाधान करने के लिए प्लानचिट चलाई जाती थी,,, बहुत सारे लोगों को समाधान  मिल भी  जाता था,,पारलौकिक शक्तियों के बारे में जानने की जिज्ञासा हर मन में होती है,,,मेरे पापा के मन में भी थी,,, उन्होंने प्लानचिट चलाने … Read more

तुम कहां चली गई??? – रंजीता अवस्थी

रीना तुम कहां चली गई? अब इन बच्चों को मैं अकेले कैसे पाल पाऊंगा? ये बच्चे किसके सहारे बड़े होंगे? मयंक दहाड़े मार मार कर रो रहा था और उसके बच्चे ये समझ ही नहीं पा रहे थे कि मां कहां चली गई और पापा इतना रो क्यों रहे हैं? शुभम रोते हुए बोला…मम्मी अभी … Read more

तुलसीदल – नीरजा कृष्णा

आज दीपू की गुलाबजामुन खाने की बहुत इच्छा हो रही थी। मन तो दादा जी का भी बहुत था पर संकोचवश चुप थे। शुगर की बीमारी के कारण मीठे पर बहुत कंट्रोल रहता था। आज दीपू के आग्रह पर दादी जी ने चौके में कमान कस ली थी।  थोड़ी देर में पूजाघर में घंटी बजने … Read more

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