प्लानचिट का जादू – कमलेश राणा

#जादुई_दुनिया

करीब 55 साल पहले मेरे पापा किसी धार्मिक स्थान पर जाते थे,,वहां लोगों की समस्याओं का समाधान करने के लिए प्लानचिट चलाई जाती थी,,,

बहुत सारे लोगों को समाधान  मिल भी  जाता था,,पारलौकिक शक्तियों के बारे में जानने की जिज्ञासा हर मन में होती है,,,मेरे पापा के मन में भी थी,,,

उन्होंने प्लानचिट चलाने वाले व्यक्ति से बहुत आग्रह किया कि वो उन्हें यह विधा सिखा दे,,,वह व्यक्ति इस शर्त पर उन्हें सिखाने के लिए राजी हुआ कि,,,वह कभी अपने स्वार्थ के लिए या किसी को कष्ट पहुँचाने के लिए इसका उपयोग नहीं करेंगे,,,

करीब 15 साल गुजर गए इस बात को,,,एक बार उनके एक मित्र आये घर पर,,वो अपने ट्रांसफर को ले कर काफी परेशान थे,,बातों-बातों में उस दिन पता नहीं कैसे उन्हें ध्यान आया कि मैं इस बात की जानकारी निकल सकता हूँ,,उस दिन पहली बार हमें पता चला कि वो इसे चलाना जानते हैं,,,

एक से दूसरे को,,,फिर कई लोगों को पता चला,,2-4 लोगों को लाभ भी मिला,,,उस समय पापा के ट्रांसफर की बात भैंसदेही (मंडला)की चल रही थी,,वो मेरी कॉलेज की पढ़ाई को लेकर परेशान थे,,एक दिन प्लानचिट पर पूछा तो उसने बताया कि आपका ट्रांसफर टीकमगढ़ होगा,,और 10 दिन बाद ही टीकमगढ़ का ऑर्डर भी आ गया,,जबकि वहां की तो कोई चर्चा ही नहीं  थी डिपार्टमेंट में,,अब उनका confidence बढ़ने लगा,,,

तभी ऑफ़िस में कोई ऑडिटर आये ,,उनकी लड़की की उम्र 35 साल हो गई थी पर कोई योग्य लड़का नहीं मिल रहा था,,उन्होंने पापा से request की,,कि अगर आप प्लानचिट से पता लगा सकें तो बड़ी मेहरबानी होगी,,,

बस उसी दिन से गज़ब हो गया,,,

प्लानचिट में एक बड़े कोरे कागज़ पर एक तरफ अंग्रेजी के a,b,c,d लिखते हैं z तक और दूसरी तरफ 1 से 0 तक गिनती ,,फिर उसके ऊपर पारदर्शी कांच रखते हैं,,,बीच में यस नो लिखते हैं,,कांच के ऊपर कांच का गिलास रखते हैं,,इस गिलास में आत्मा बुलाते हैं,,गिलास के ऊपर 2 लोग हल्के से उंगली रखते हैं,,फिर वो आत्मा गिलास के सहारे वाक्य बना कर जवाब देती है,,,



उस दिन कोई दुष्ट आत्मा पीछे पड़ गई,,अब तो रात को 8 बजते ही उन्हें धुन लग जाती,,रोज बैठ जाते चलाने,,उसमें 2 लोगों की जरूरत होती है तो दूसरी मैं होती थी ,,

दुनियां जहान की बातें करते,,वो पापा की तारीफ करते नहीं अघाता,,अब अपनी तारीफ सुनना तो सभी चाहते हैं,,

धीरे-धीरे उसने पापा के दिमाग पर काबू करना शुरु किया,,उसे गुड़ पसंद था तो पापा ने सब्जी छोड़ ही दी,,गुड़ से ही रोटी खाने लगे,,वो कहता,,बीड़ी पी लो तो सिगरेट छोड़ कर बीड़ी पीने लगे,,

मुझे बहुत चिढ़ होती थी क्यों कि जब तक प्लानचिट चलती वो मुझे उठने नहीं देता था वहां से,,

हाँ,मम्मी से बहुत डरता था ,,ज्यों ही वो ऊपर आती,,कहता ,अब बंद कर दो ,,सती आ रहीं हैं क्योंकि मम्मी पूजा बहुत करती थीं,,,

एक दिन पापा से बोला,,इसमें गुस्सा बहुत है,,इसे वो ताबीज़ पहना दो,,कौन सा,,वो तुम्हारी डायरी के कवर के अंदर रखा है,,,

मैं हैरान रह गई,,जब सचमुच कवर में से वो ताबीज़ निकला,,पापा के डर से स्टील की चैन में डाल कर गले में पहन लिया,,शाम को जब वो आया प्लानचिट पर,,तो बोला,,बेवकूफ लड़की,,इतना भी नहीं जानती,,गले में नहीं हाथ में पहनो ,,,

दूसरे दिन मैने हाथ में पहना तो ऐसा लगे जैसे कोई कभी गुदगुदी कर रहा है,,कभी नोच रहा है,,बड़ा अजीब सा,,मैंने अपनी बहन से कहा,,जरा तुम पहन कर देखो,,उसे भी ऐसा ही हुआ,,मम्मी से कहा,,आप पहनो जरा ,,उन्हें कुछ भी नहीं हुआ,,उस समय मेरी उम्र लगभग 18 साल और बहन की 15 साल थी,,अब हमें डर लगने लगा था ,,

पर पापा से कुछ कह भी नहीं सकते थे,,वह अब पापा पर दबाव बनाने लगा कि इन सब को गाँव भेज दो फिर हम तुम दोनों आराम से रहेंगे,,,पर हम सबने इसका विरोध किया,,

कुछ दिन बाद मम्मी को सपने में बड़ी दिव्य अनुभूति हुई और एक बहुत सुन्दर तराजू दिखा,,उन्होने पूछा,,क्या है ये,,तो पीतवस्त्रधारी उस दिव्य पुरुष ने कहा कि यह धर्म का तराजू है,,इस में एक तरफ धर्म और दूसरी तरफ दुष्ट आत्माएँ हैं,,सुबह मम्मी ने यह सपना मुझे बताया,,

उसी दिन शाम को पापा बोले,,चलो मंदिर चलते हैं,,मंगलवार था,,हम सब हनुमान जी के मंदिर गये,,



अचानक पापा को पता नहीं क्या हुआ,,मूर्ति के सामने आसन लगा कर बैठ गए और बड़ी रौबदार आवाज़ में पंडित जी से बोले,,प्रसाद दो ,,पंडित जी ने चना चिरोंजी का प्रसाद दे दिया,,बोले,,यह नहीं,,जो भोग लगाने के बाद मुंह से गिरता है वो,,

पंडित जी ने,,दे दिया,,अब उन्होंने वो पेड़े तो पैरों के तलवों पर मल लिए और चना चिरोंजी डालते जायें और पैरों से खूंदते जायें ,,,ऐसे तीन परिक्रमा कीं,,जो भी देखे,,सकते में आ जाये,,क्या कर रहे हैं ये,,

घर आ गए,,बोले ,,तुम सब नीचे जाओ,हम अकेले सोयेंगे ऊपर,,

रात को बहुत तेज उठापटक की आवाज़ से नींद खुली,,तो पापा बदहवास से चिल्लाते हुए नीचे उतर रहे थे,,मुझे बचा लो सावित्री,,दो या तीन सीढियां ही उतरे होंगे,,बाकी तो लुढ़कते हुए ही  आये नीचे,,

पूरे शरीर में नील और गूंमड़े  पड़े हुए थे,,आ कर मम्मी के पैर पकड़ लिये,,तुम्हीं बचा सकती हो मुझे,,,हम समझ गये कि आज हनुमान जी ने अपने अपमान का बदला लिया है इनसे,,,

अब उस दुष्ट की चालाकी समझ में आ रही थी हमारे,, कि भगवान को इनसे नाराज़ कर दो तो कोई इनकी मदद नहीं करेगा,,

हमारे लैटबाथ का रास्ता किचिन में से था,,उसी में मंदिर भी था,,अब पापा पूजा के कमरे में जाते,,तो उनके पैर जलते थे,,वो मम्मी से बोले,,बक्से में एक तस्वीर रखी है,,राम,लक्ष्मण,सीता और हनुमान जी की,,उसे निकालो,,

उस तस्वीर को छाती से चिपकाये वो घण्टों सीमेंट की पानी की टंकी में खड़े रहते,,जैसे ही बाहर आते,,तो बुरी तरह से चीखते,,मेरे शरीर में किरणें घुस रही हैं,,ऐसा कहते वक़्त उनकी आँखें चौंधिया जातीं और चेहरे पर पीड़ा साफ नजर आती,,कभी कहते मुझे कुत्ते नोंच रहे हैं,, कभी ,,मुझे काँटों में डाल दिया है,,

अब हमें मम्मी के सपने का मतलब साफ समझ में आ रहा था,,यह धर्मयुद्ध था,,एक मिटाने वाला तो दूसरा बचाने वाला ,,

बहुत सारे अनुत्तरित प्रश्न थे मन में,,तब मम्मी ने मुझसे कहा,,आज तुम प्लानचिट चलाओ और भगवान का आव्हान करो,,



कुछ-कुछ अंदाज़ तो था,,रोज ही देखते थे,,कोशिश की,,सफल हो गये,,सच में ही कोई देवदूत थे वो,,बताया उन्होने कि ईश्वर तुम्हारी रक्षा कर रहे हैं,,

पूछा ,जब आप हैं घर में तो आपने ऐसी दुष्ट आत्मा को आने क्यों दिया,,आप से अनुमति ले कर ही तो बुलाते हैं,,बोले,,बार-बार आग्रह पर हमने आने दिया,,पता नहीं था कि यह ऐसा करेगा,,

एक सवाल और गले में ताबीज़ पहनने पर कुछ क्यों नहीं हुआ,हाथ में पहनने पर गन्दा अहसास क्यों हुआ,,बोले,हृदय में ईश्वर का वास होता है,,इसलिए नहीं हुआ,,

अब जिस व्यक्ति को बुलाने का ये मना कर रहे हैं,,उन्हीं को बुलाओ,,वही इसका इन्तज़ाम करेंगे ,,

भाई को भेजकर उन पंडित जी को बुलवाया,,जिनके बारे में वो कह रहा था कि वो आपको बर्बाद करने के लिए कुन्डेश्वर में यज्ञ कर रहा है,,

बहुत खौफ से भरे हुए दिन थे वो,,जब पंडित जी आये तो उनके पैरों में गिर पड़ा,,आप क्यों आये हो,,मैने आपका क्या बिगाड़ा है,,

उन्होंने कुछ मन्त्र पढ़े और लोभान का होम किया,,कुछ अभिमंत्रित अगरबत्तियां  जलाने को दीं,,जब वो जाने लगे तो भद्दी-भद्दी गाली देने लगा उन्हें,,

कई दिन लग गये सब कुछ सामान्य होने में,,इस बीच भगवान ने हम सब से यह कसम भी ली कि आज के बाद आपके खानदान में कोई प्लानचिट नहीं चलायेगा,,

बहुत मुश्किल से जान बची,,हे प्रभु!!आपने समझा दिया कि भगवान अपने भक्तों का साथ कभी नहीं छोड़ते

(दुनियां में बहुत लोग भूतों के अस्तित्व को मानते हैं और बहुत नहीं भी,,,यह विषय आधारित कहानी है)

कमलेश राणा

ग्वालियर

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