निर्जला..!! – विनोद सिन्हा “सुदामा”

सुनो…मैं गई थी उस रोज़ भोले बाबा के मंदिर..थाल में बेलपत्र सजाए..हजारों सीढ़ियाँ ऊपर चढ़कर जल अर्पण कर मांगने तुम्हें ख़ुद निर्जला रहकर.! #निर्जला” जाने क्या सोच माँ बाबा ने भी मेरा नाम #निर्जला ही रखा था,अक्सर पूछती मैं ये क्या नाम रख दिया आपने मेरा जला वला सा #निर्जला..? माँ बाबा हँस देतें,कहतें भगवान … Read more

फौजी की पत्नी – भगवती सक्सेना गौर

सबने फौजी की तो बहुत सी कहानी सुनी होगी आज मैं एक फौजी की पत्नी के दिल की नगरी का हाल लिखूंगी । अनुराधा अपने फौजी पति का इंतेज़ार कर रही थी, फौजी तो सरहद पर ड्यूटी देता है पर फौजी की पत्नी घर मे रहते हुए भी हर क्षण डर और  आशंकाओं से घिरी … Read more

सूरज – भगवती सक्सेना गौर 

14 वर्षीय पोते सूरज की आवाज़ से नींद टूटी, “बाबा, उठिए, ब्रश करिए।” और  70 वर्षीय सत्येंद्र ने आंख खोली अब अपनी जिंदगी से हताश हो चुके सत्येंद्र पोते के लिए जीवित थे। वो जीना भी एक सजा ही मालूम होती थी. धरती नही समा पायी, तो बिस्तर ने ही अपने कब्जे में कर लिया। … Read more

दर्द – भगवती सक्सेना गौड़

एक उम्र गुजरने के बाद उस उम्र की यादे कभी कभी अचानक सामने आकर आश्चर्य में डाल देती है । वो दर्द की पराकाष्ठा ही थी, इसलिए उन यादों से शकुन दूर ही रहना चाहती थी । 45 साल पुराना वक़्त, जब शकुन 15 वर्ष की रही होगी, पड़ोस में उसकी सहेली शिखा रहती थी, … Read more

बेटी भी हूं मैं – लतिका श्रीवास्तव

मां मां नानी के घर कब चलोगी मेरी गर्मी की छुट्टियां शुरू हो गई हैं… छोटी तन्वी ने कल से एक ही रट लगा रखी थी और क्यों ना लगाती नानी के यहां कितने मज़े उसके रहते हैं नानी नाना भी तो साल भर से इंतजार करते रहते है …. मां पापा के बारे में … Read more

वापसी ( रिश्तों की) भाग–2 – रचना कंडवाल

पहले भाग में आपने पढ़ा कि बरखा रॉय की बेटी सुनिधि अपने ससुराल से गुस्सा हो कर अपने मायके (रॉय मेंशन ) वापस चली आती है। और कहती है कि अब वो वहां कभी नहीं जाएगी।अब आगे– नहीं मैं ऐसा नहीं होने दूंगी। सोचते हुए बरखा की आंखें भीग गई। आंखों से कुछ बूंदें निकल … Read more

लिव इन रिलेशनशिप बनाम शादी – रेखा पंचोली

वे नारीवादी लेखक थे ।महान लेखक बनना चाहते थे, और एक ऐसी ही तथाकथित नारीवादी फेमिनिस्ट लड़की के प्यार में पड़ गए। दोनों प्रतियोगी परीक्षाएं दे रहे थे ।पर कुछ खास सफलता नहीं मिली । वे अपनी कविता और लेखन के जरिए नारीवाद पर वाहवाही लूटते थे। लड़की शादी के बंधन में बंधना नहीं जाती … Read more

माँ जी….!! – विनोद सिन्हा “सुदामा”

आहहह….अताह दर्द से तड़पती हुई  “कौशल्या देवी”  जिन्हें मैं माँ जी कहता था अपने रक्तयुक्त हाथ सीने पर रखे भरी भरी आंखों से मुझे देख रहीं थी. ..दर्द ही दर्द था उनकी आँखों में उसपल..जो आँसूओं का सैलाब..बन बाहर आ रहा था.. हालांकि पलकें मेरी भी भरी थी..दर्द मुझे भी था…आँसू रुकने का नाम नहीं … Read more

डांसर – प्रीती सक्सेना

फेस बुक ऐसा जादू का पिटारा है, ऐसा जिन्न है, जिसमे सब कुछ है, जो चाहो वो निकाल लो , बस इसी कोशिश मे हमने अपनी दो सहेलियां ढूंढ ली जो ग्यारहवीं क्लास से BA तक हमारी सहपाठी थी, फिर क्या हम सब लग गए, और सहेलियों को ढूंढने में, कुछ एक मिल भी गईं, … Read more

अन्तर्मन की गांठ – पुष्पा जोशी 

सूर्यास्त का समय था। सूर्य की लालिमा क्षितिज पर छाई हुई थी। फूलों की सुगंध से वातावरण सुगंधित हो रहा था। पक्षी कोलाहल करते हुए आसमान में उड़ रहे थे। रंग-बिरंगे मेघ अठखेलियां कर रहे थे। मनमोहक वातावरण था,मगर अवनी के मन में बेचैनी थी। जब अंतर्मन उलझा हो, तो बाह्य सारे उपकरण बेमानी लगते … Read more

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