डांसर – प्रीती सक्सेना

फेस बुक ऐसा जादू का पिटारा है, ऐसा जिन्न है, जिसमे सब कुछ है,

जो चाहो वो निकाल लो , बस इसी कोशिश मे हमने अपनी दो सहेलियां ढूंढ ली जो ग्यारहवीं क्लास से BA तक हमारी सहपाठी थी, फिर क्या हम सब लग गए, और सहेलियों को ढूंढने में, कुछ एक मिल भी गईं, कुछ एक अपने घर गृहस्थी और दादी नानी बनकर इतनी मगन थी, की उन्होंने हम लोगों को इंट्रेस्ट शो ही नही किया।

एक साल तक तो हम सब गुड मॉर्निंग, गुड नाईट, क्या खाया क्या खिलाया सब अपनी अपनी डिश की पिक्स भी शेयर करते, बढ़िया कमेंट मिलते तो खुश भी होते, अचानक हमे एक कीड़े ने काटा और एक विचार हमारे दिमाग में आया, वो यह की क्यों न हम सब मिलें, कोई एक शहर तय कर लें, कुछ को विचार बहुत बढ़िया लगा, कुछ आनाकानी करने लगीं, पर किसी तरह सब मिलने को तैयार हो ही गई।

अब हमे एक नई चिंता सताने लगी वो यह की सारी सहेलियों में सबसे ज्यादा हट्टे कट्टे , नहीं सबसे ज्यादा हेल्दी हम दिख रहे थे, शब्द बदल देने से , थोड़ा मनोबल बढ़ा रहता है, हीन भावना कम महसूस होती है, बस ठान लिया की हमे स्लिम होना है, सहेलियों को बिल्कुल अलग अवतार में मिलना है ।

तो हम पहुंचे जिम में, जैसे ही पहुंचे, सबका ध्यान हमारी तरफ़, खैर हम भी ढीठ बनकर खड़े रहे, आज शर्म वर्म नहीं स्लिम होना है, और होकर रहेंगे, ट्रेनर हमारे पास आया और आने का प्रयोजन पूछा, हमने बताया तो उसने फटाफट फार्म भरवाया, तगड़ी फीस ली और कल सुबह से आने के लिए कहा। हम मन ही मन मुस्कुराते घर आए और पतिदेव को ट्रैक सूट लाने को कहा, ये चौंक गए, पर बोले कुछ नहीं, क्योंकि बोलने देता कौन है, उसके लिए तो हम हैं न।

   सुबह सुबह ट्रैक सूट पहनकर जैसे ही हम घर के बाहर जाने लगे, हमारी जर्मन शेफर्ड बिच टफी, हमें देखकर लगातार भौंकने लगी, अरे हम मम्मी हैं टफ़ी, पर उसे तो हम मम्मी कहीं से मम्मी लग ही नहीं रहे थे न, किसी तरह घर से निकले, तो कुछ ने तो पहचाना नहीं, कुछ पलट पलट कर तब तक देखते रहे जब तक किसी से टकरा नहीं गए, हमारी एक्सरसाइज शुरु हुई, पर हम दुबले यानि फिट होने का नाम ही नहीं ले रहे,

हमने सोचा साथ कुछ और भी किया जाए, जिससे जल्दी असर हो, सहेलियों से मिलने के दिन नजदीक आ रहे थे, सब मेरे ही शहर में इकट्ठी होने वाली थी,


एक सहेली ने सुझाया डांस करने से बहुत जल्दी फिट होते हैं मोटापा बहुत जल्दी कम होता है तो हम पहुंच गए, एक डांस एकेडमी में, बढ़िया मनभावन म्यूजिक, हम भी खोने लगे उस धुन पर, पूरे खोते उसके पहले स्लिम फिट लड़के ने हमसे आने का कारण पूछा, वो बोला बेटे को या बेटी को सीखना है, हमने मुस्कुराने का भरपूर प्रयास किया क्योंकि वहां का माहौल देखकर हमारे होंठ भी मुस्कुराने से मना सा कर रहे थे, उन्होंने भी तगड़ी फीस वसूली और हमे ऐसे रूम में ले गए, जहां चारों तरफ शीशे ही शीशे थे, कहां हम एक शीशे में अपने को देख नहीं

पा रहे थे यहां चारों तरफ से, ढेरों लोग देख रहे है, पर क्या करे , सिर तो ओखली में दे ही दिया है, उसने हमें कुछ स्टेप्स सिखाए और प्रैक्टिस करने को बोलकर चला गया, हमने भी सोच लिया प्रीती सक्सेना, अब तो किला फतह करना ही है।

अब रोज हम जिम जाते डांस करते और रोज चेक करते फिट हुए कि नहीं, हम फिट हो रहे थे या नहीं , पतिदेव बहुत फिट होने लगें थे, फाइनली कल हमारी सारी सहेलियां आने वाली थीं, आज तो हमने सोचा, जी भरकर डांस करेंगे,आज लास्ट डे है बस हम खो गए हम चारो तरफ शीशे, हम बिल्कुल दीवाने, अचानक सिर घूमा, हम लुढ़क गाए, शायद किसी के उपर, क्योंकि ककड़ी जैसे कुछ टूटने की आवाज तो आई थी, हमें होश न रहा, दूसरे दिन होश आया तो देखा ट्रेनर प्लास्टर लगाए हमारे बेड के बाजू में पड़ा है शायद हमारा पांव उसके पांव के उपर आ गया था, हमें भी बहुत चोट लगी थी, सामने सभी सहेलियां खड़ी , हमें जल्दी ठीक होने की शुभकामनाएं दे रहीं थीं, इन पर ध्यान गया तो बड़े ही चहकते महकते अंदाज में सभी सहेलियों को ब्रेकफास्ट कराने ले जा रहे थे, और हम न रो पा रहे थे और हंसना तो आ ही नहीं रहा था

प्रीती सक्सेना

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