दीदी मुनि – अनामिका मिश्रा

दीदी मुनि कहती थी अनुष्का उन्हें। वैसे भी हावड़ा  में बंगाली भाषा में,शिक्षिका को दीदी मुनि कहकर संबोधित किया जाता था।अनुष्का को पता चला। अनुष्का के पिता का तबादला हावड़ा में हुआ था। वहां उसका कहीं दाखिला नहीं हो पा रहा था, क्योंकि वहां के स्कूल का एक नियम था कि, बंगाली भाषा भी पढ़ना … Read more

बहू मुझे जाने के लिए मत कहना… – रश्मि प्रकाश

“ नमस्ते मम्मी जी , आप कब आ रही है..?” कृतिका ने सासु माँ रत्ना जी से पूछा. “ बहू अभी तो मेरी तबियत ठीक नहीं चल रही है… ठीक होते ही खबर करूँगी फिर रितेश से कह कर टिकट करवा देना..।” कराहती सी आवाज़ में रत्ना जी ने कहा. “ ओहह…. सोच रही थी … Read more

कोशिश रंग लाती ही है चाहे गुस्सा ही शांत क्यों न करना पड़े! – अमिता कुचया

रीना जानती है कि बड़े पापा के यहां नहीं जाना है, बाजू में बहुत रौनक और चहल पहल हो रही थी।सब रिश्ते दार आ रहे थे। सब चाचा चाची के बारे में पूछ रहे थे कि वे नहीं आयेंगे क्या? क्योंकि रमा दीदी की शादी थी।रमा दीदी से हमेशा बात होती रहती थी। रीना जानती … Read more

 “इतना सन्नाटा क्यों है…भई” – अनु अग्रवाल

“ये रिमोट वाली कार मेरे पापा लेकर आये थे……मैं पहले खेलूंगा इससे”- राहुल ने चीकू के हाथ से कार छीनते हुए कहा। लेकिन…… भैया ताऊजी ने ये मुझे दी थी…..तो मेरी हुई न….खेलने दो न मुझे- चीकू रुआंसू होकर बोला। राहुल(10) और चीकू(6) दोनों चचेरे भाई हैं….जो एक संयुक्त परिवार में रहते हैं……अब परिवार संयुक्त … Read more

बहुएँ नहीं बेटियाँ हैं – के कामेश्वरी

सूर्य प्रकाश जी रेलवे में मेल गार्ड थे । उनके चार लड़के और चार लड़कियाँ थीं । पत्नी विशाला ने घर को बाँधकर रखा था । वह बहुत ही बड़े घर में दस भाई बहनों में सबसे छोटी लाड़ली थी । यहाँ उन्हें तकलीफ़ तो ज़रूर होती थी क्योंकि सूर्य प्रकाश जी का परिवार छोटा … Read more

यादें न जाए बीते दिनों की -के कामेश्वरी

सन् १९८० की बात है। जब मैं कॉलेज में पढ़ती थी। जैसे ही मैं कॉलेज से घर पहुँची। मैंने देखा माँ मुस्कुरा रही है और कुछ इशारा कर रही थी। पहले तो मुझे समझ नहीं आया फिर मुझे लगा कि बेडरूम की तरफ़ इशारा कर रही थी। मैं झट से बेडरूम की तरफ़ भागी और … Read more

धूप छावँ …. ज़िंदगी की !! – अल्पना श्रीवास्तव

उस साल प्रिया की शादी को दो साल हो गए थे । पर क्या इन दो सालों में प्रिया पंकज को जान पाई थी ? शायद नहीं … कभी -कभी लगता था ,यूँही ज़िंदगी बीत जाएगी ।”एक तो ज़बरदस्ती की शादी उस पर ऐसा बेरुख़ी भरा पंकज का व्यवहार “ शायद पंकज ने भी बेमन … Read more

एक नई शुरुआत – अंतरा

आरती को बचपन से ही कला का बहुत शौक था। हालांकि उसने कहीं भी कोई कोर्स नहीं किया था फिर भी वह किसी   की भी शक्ल हूबहू कागज पर उतार देती थी …शायद भगवान का दिया वरदान था उसके हाथों में …लेकिन कला एक ऐसा क्षेत्र है जिस पर ना तो मां-बाप कभी कोई … Read more

ससुराल में बहु का आखिरी दिन – प्रीती वर्मा

सुबह सुबह डोरबेल बजी। मैने दरवाजा खोला तो हैरान रह गई।सामने अपने पसंदीदा वाहन पर , मुख पर वही चिरपरिचित मुस्कान सजाए, साक्षात यमराज जी खड़े थे।    मन तो डर गया,अब मन तो डरना ही था, वो यमराज जो ठहरे।उनकी जगह कोई और देवता या भगवान होते, तो मैं खुशी से झूम उठती।लेकिन यमराज जी … Read more

जैसी करनी वैसी भरनी – के कामेश्वरी

अन्नपूर्णा अपने कमरे में पलंग पर पड़ी हुई थी । उसे लकवा हो गया था । कल तक पूरे घर पर राज करने वाली आज पलंग पर बेबस पड़ी हुई थी । कल तक उसके एक इशारे पर नाचने वाली बहुएँ ,बेटे आज उस पर ध्यान भी नहीं दे रहे हैं । जब अन्नपूर्णा शादी … Read more

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