देखो भाभी ,शादी गुड्डे गुड़ियों का खेल नहीं है आप अच्छी तरह से ही देखभाल कर लड़की वालों को हां बोलना इतनी जल्दी भी क्या है ? मेरा तो न जाने क्यों मयंक का इस घर में रिश्ता करने को मन नहीं ठुक रहा है। हमारा मयंक बहुत सीधा है । लड़की कुछ तेज लग रही थी ।
आपने देखा नहीं किस तरह से बोल दिया मयंक से ,अगर आप बिना दहेज लिए शादी करने को तैयार हैं तो मुझे यह रिश्ता मंजूर होगा क्योंकि मेरे मां-बाप के पास दहेज के लिए पैसे नहीं है। जब भैया ने सारी बात पहले ही खोल दी थी कि हम अपनी चुन्नी ओढाकर भी लड़की को ले जाएंगे तो लड़की को इतना बोलने की क्या जरूरत थी।
सुनयना के ऐसा कहने पर मालती जी अपनी नंद से हंसते हुए बोली, अरे दीदी आजकल तो सभी लड़कियां इतना बोलती हैं और फिर अच्छा भी है सब बातें पहले ही स्पष्ट हो जाए तो मैंने अपने मयंक के लिए गरीब घर का रिश्ता इसीलिए ढूंढा है क्योंकि बड़े घर की लड़कियां जल्दी से घर में एडजस्ट नहीं हो पाती?
भगवान का दिया हमारे पास सब कुछ है मयंक हमारा एकलौता लड़का है जो कुछ है सब उसी का तो है क्या हुआ अगर हम शादी का इंतजाम भी अपने आप ही कर लेंगे वह सीधा और सरल है तभी तो मैं चाहती हूं कि उसकी पत्नी अच्छी सुंदर और समझदार हो जीवनसाथी एक दूसरे के पूरक होते हैं।
ज्यादा तेज तरार लड़की आ जाएगी तो उसका ही पागल बना कर रख देगी।एक बहू आनी है हमारे घर, हमारे बच्चे खुश रहे।बस इसके अलावा मुझे और कुछ नहीं चाहिए। आपने देखा नहीं मयंक उसकी सुंदरता पर कैसा लट्टू हुआ पड़ा है मैं तो इतना ही चाहती हूं कि घर में आए गए का सम्मान करें और सबसे घुल मिलकर रहे। कॉलोनी में कितनी बहुए देख चुकी हूं
मैं सास ससुर तो बहुत दूर की बात है पति से भी नहीं निभा पा रही हैं हमारे बराबर वाले घर में से भी बेटा बहू के लड़ने की बहुत आवाज आती है जबकि दोनों की शादी को अभी 6 महीने हुए हैं। बहुत दहेज लेकर आई थी अपने साथ अब चाहती हैं कि ससुराल वाले उनकी मुट्ठी में रहे। आजकल तो दामाद से ज्यादा घर में बहु लाते हुए डर लगने लगा है
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जरा जरा सी बात पर पुलिस की धमकी दे देती है। यही सोच कर तो मैं निर्णय लिया था कि अपने बेटे के लिए किसी गरीब घर की ही लड़की लेकर आऊंगी। दो दिन पहले ही तुम्हारे भैया के दोस्त ने इस लड़की के बारे में बताया था। तभी तो मैंने आपको और जीजा जी को उस दिन तुरंत आने के लिए फोन किया था।
दरअसल मयंक के मम्मी पापा और बुआ कल ही उसके लिए सीमा को देख कर आए हैं। मालती जी और रजत जी के संतुष्ट होने पर भी सुनैना का मन यहां रिश्ता करने के लिए नहीं मान रहा था। उसने अपने भाई से कहा भी रिश्ता हमेशा बराबर वालों से ही करना चाहिए।
आपकी बहन बहुत दूर की सोचती है भाई साहब एक बार विचार जरूर कीजिएगा उसकी बातों पर। जरूरी नहीं है कि गरीब घर की लड़की है तो संस्कार भी हो। कभी-कभी जो दिखता है वह सही नहीं होता है शायद जो वो देख पा रही है वह आप नहीं देख पा रहे हो, फिर भी आपको जो उचित लगे आप वही करो। वैसे भी जोड़ियां तो ऊपर वाला ही बनाता है। हम तुम कौन होते हैं बनाने वाले? सुनैना के पति बोले।
15 दिन बाद मयंक की रिंग सेरेमनी भी शानदार तरीके से एक होटल में हो जाती है। सारा खर्च भी मयंक के पापा ने ही किया था। 15 दिन बाद ही शादी का मुहूर्त होने से उन्होंने फैसला किया कि वह कल ही होने वाली बहू को उसकी पसंद की सारी साड़ियां और ड्रेस दिलवा देंगे । गहने भी उसी की पसंद के हो जाएंगे तो अच्छा है।
अगले दिन साड़ियों और गहनों की खरीदारी भी हो जाती है, यहां तक कि शादी में पहनने के लिए लड़की के भाई बहनों और मां-बाप का कपड़ा लिया गया उसका बिल भी उन लोगों ने मयंक के पापा को पकड़ा दिया। बात पैसे की नहीं थी लेकिन अजीब सा लग रहा था। आज पहली बार मालती जी को भी वह लोग कुछ लालची से लगे थे।
सुनैना का मन शांत नहीं था इसलिए मन ही मन उसने फैसला किया कि एक दिन मै बहू से मिलने के बहाने अचानक से ही उसके घर चली जाऊंगी, अपनी भाभी को भी इसके लिए मना लिया था सुनैना ने। 2 दिन बाद अचानक ही मालती जी और सुनैना सीमा की घर चली जाती हैं बाहर का दरवाजा खुला ही होने से अंदर भी चली गई थी।
संयोग से उस समय उन्ही की बात चल रही थी।सीमा के पापा सीमा से कह रहे थे अच्छा लडका फसा लिया है तूने सीमा, तेरे साथ साथ हमारी भी गरीबी दूर हो जाएगी वह तो तुझ पर अभी से ही फ़िदा है, हां पापा आप फिक्र मत करो सबसे पहले तो उसके मां-बाप का ही पत्ता काटूंगी मैं देख लेना 1 साल में ही वृद्ध आश्रम में ना भिजवा दिया तो्््आगे की बात बिना सुने ही मालती जी और सुनैना वापस अपने घर चली गई और जाकर सारी बात अब मयंक और उसके पापा से बताई तो उनके पैरों के नीचे से भी जमीन खिसक गई।
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उसी समय उन्होंने सीमा के घर वालों को फोन पर रिश्ते के लिए मना कर दिया। पैसों का नुकसान तो बहुत हुआ लेकिन घर बच गया, सुनैना बोली देखो भैया मैं बिल्कुल सही कह रही थी, मेरा ऐसा मानना बिल्कुल भी नहीं है कि हर गरीब घर की लड़की ऐसीही होती है
पता नहीं मयंक को आने वाले समय में कैसी लड़की मिले लेकिन देखती आंखों तो मक्खी नहीं निगली जाती ना। मालती जी तो माथा पकड़े बैठ गई थी और सोच रही थी अगर सीमा घर की बहू बनकर आ जाती तो क्या होता? चलो फिर भी।
जान बची तो लाखों पाए, लौट के बुद्धू घर को आए।
पूजा शर्मा