समाज एक आईना – स्नेह ज्योति

गर्मी की छुट्टियाँ पड़ी हुई थी बच्चों की मस्तियाँ जोरो पर थी, एकाएक सनी मेरे पास आया और बोला-माँ आइसक्रीम खानी है कुछ समय पश्चात मैं,सनी और टिया पास वाली मार्केट चले गए, उनकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं था जैसे ही हम आइसक्रीम वाले के पास पहुँचे,तो मेरे कुछ पूछने से पहले ही दोनो ने अपनी-अपनी 

पसंदीदा आइसक्रीम की फ़रमाइश कर दी…..

 

तभी कुछ हलचल सी हुई और इर्द-गिर्द काफ़ी संख्या में लड़के-लड़कियाँ रंग- बिरंगे बालों वाली विग पहने चेहरे पे रंगो की तहरीर लगाए जोर-जोर से चिल्लाने लगे ,ये सब देख टिया ने पूछा- माँ ये कौन है????और इनके मुँह पर क्या लिखा है??? यह सुन मैं सोच में पड़ गयी क्या बोलूँ ???इसी कश्मकश में थी ,कि वहाँ खड़े एक बुजुर्ग ने बोला- कुछ नहीं बेटा,आज इनका जन्म दिवस है इसलिए ये उत्साह में है,हम पुरानी सोच के लोग है जो नए दौर में जीतें हैं आँखो की शर्मो -हया को अब भी थामे चलते है….. यह कह अंकल आँख झुकाए वहाँ से चले गए……

 

उनको जाते हुए देख हम भी वहाँ से चले आए, लेकिन रात भर वोही वाक्या मेरी आँखो के सामने घूमता रहा, माना कि ल.जी.बी.टी.भी हमारे समाज का हिस्सा है  उनको भी नई सोच के साथ जीने का अधिकार है,परंतु समाज एक आईना है उसमें जो दिखाया जाएगा दूसरे वैसा ही देख पाएगा  सुंदर या बदसूरत, ये दिखाने वाला ही तय कर पाएगा …….

इसलिए ये हम सबकी ज़िम्मेदारी है कि जो हकूक़ हमें मिलें है  उनका सही अर्थ समझे और समझाए ॥

 

                     स्नेह ज्योति

 

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