रिश्तों की कीमत – कमलेश राणा : Moral stories in hindi

मधु की बेटी की शादी थी चारों ओर खुशी का वातावरण था पर फिर भी न जाने क्यों उसका मन बेचैन था नज़र रह- रह कर दरवाजे की ओर चली जाती। वह जानती थी कि उसकी उम्मीद व्यर्थ है और इस सबके लिए वह खुद ही जिम्मेदार है तभी सब उसे बुलाने लगे भात का समय हो गया मधु पर तुम्हारे भाई- भाभी अभी तक नहीं आये। 

यह सुनकर उसकी आँखों से आँसू झर- झर बहने लगे। महिलाएं भात के गीत गा रही थी… 

करूँ विनती सुनो भैया समय पर भात ले आना

बहन का मान रख लेना चौक की शोभा बढ़ा जाना। 

पर उसने तो खुद ही अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली थी।वह अकेले में बैठ कर जी भर कर रो लेना चाहती थी। एक- एक करके अतीत की सारी घटनाएं उसकी आँखों के सामने से गुजरने लगीं। 

उस समय उसकी उम्र महज़ 10 साल की थी जब ऑफिस से आते समय एक दुर्घटना ने पिता के साये को हमेशा के लिए उसके सर से छीन लिया था। सबका रो – रो कर बुरा हाल था जो भी आता सहानुभूति के दो बोल सुनाकर चला जाता। माँ के सामने यक्ष प्रश्न था कि अब घर कैसे चलेगा थोड़ी सी जमीन थी जिससे बस खाने लायक अनाज आ जाता था। उस समय भाई 12 क्लास में था उसने दृढ़ आवाज़ में माँ से कहा- आप चिंता मत कीजिये मैं हूँ न। 

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और सच में भाई ने जो कहा वह करके भी दिखा दिया जिम्मेदारियों ने उसको अचानक ही बड़ा कर दिया था। उसने पढ़ाई के ट्यूशन करना शुरू कर दिया। सुबह उठकर वह अखबार बांटने जाता जिससे कुछ और आमदनी हो जाती। किसी तरह ग्रेजुएशन करने के बाद उसे एक कंपनी में क्लर्क की नौकरी मिल गई। उसने घर की व्यवस्थाओं को इतनी अच्छी तरह से संभाल लिया था कि कभी किसी को कोई कमी का अहसास ही नहीं होने दिया। 

एक दिन जब भाई घर आया तो बहुत खुश था चलो मधु तुम और माँ फटाफट तैयार हो जाओ आज तुम्हें एक सरप्राइज देना है। 

बताओ न भैया क्या है वो सरप्राइज?? 

तुम खुद चलकर देख लो.. भाई ने हमें एक घर के सामने ले जाकर खड़ा कर दिया। 

क्या हम दूसरा किराये का घर ले रहे हैं?? 

नहीं पगली अब हम अपने घर में जा रहे हैं।

 माँ को अपनी आँखों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था उसने सपने में भी अपने घर की कल्पना नहीं की थी पर आज बेटे ने उन्हें मकान मालकिन बना दिया था उनके दिल से बेटे के लिए दुआएं निकल रही थी। 

दिन गुजरते गये भाई की शादी हो गई भाभी बहुत अच्छी थी उन्होंने परिवार के हर फैसले में भाई का साथ दिया वह हमेशा कहती थी कि हम मधु की शादी ऐसे घर में करेंगे जहाँ वह राज करेगी और सच में ही भाई ने जिस घर में उसका रिश्ता किया उनकी लंबी- चौडी जायदाद थी। घर में कार और नौकर- चाकर थे उनकी कोई मांग नहीं थी बस वो चाहते थे बारात की खातिरदारी अच्छे से हो। 

अब उनकी हैसियत के हिसाब से खातिरदारी के लिए भी तो लाखों रुपये की जरूरत थी तब माँ से सलाह करके भाई ने जमीन बेचकर अपनी बहन को महलों की रानी बना दिया। 

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एक दिन भाई का फोन आया.. मधु माँ की तबियत बहुत खराब है तुम तुरंत आ जाओ और माँ हमें छोड़कर चली गई। 

तेरहवीं के बाद जब माँ का बक्स खोलकर देखा जा रहा था तो भाभी ने कहा.. दीदी आपको जो भी चाहिए माँ के सामान में से ले लीजिये। 

न जाने उस दिन मुझे क्या हो गया था मैंने कहा सिर्फ कपड़े ही??? गहने और संपत्ति में भी तो मेरा हिस्सा है। 

भाई आँखें फाड़कर मुझे देखे जा रहा था बड़ी मुश्किल से उसके मुँह से शब्द निकले.. जमीन तो तुम्हारी शादी में ही बिक गई थी अब यह मकान है जो मैंने खरीदा है अगर इसे भी तुम्हें दे दूँगा तो फिर मैं अपने बच्चों को कहाँ ले जाऊंगा। 

पर मैं तो बिल्कुल पत्थर बन गई थी.. वो मैं नहीं जानती चूंकि मकान माँ के नाम था तो उसका आधा हिस्सा मुझे चाहिए मैंने अपना फैसला सुनाते हुए कहा। 

दीदी क्या आपके लिए संपत्ति की कीमत रिश्तों से ज्यादा है.. अपने भतीजों की तरफ देखिये अगर उनके लिए भी आपके दिल में कोई प्यार नहीं तो फिर आज के बाद हमारा आपसे कोई रिश्ता नहीं.. भाभी ने अपना फैसला सुना दिया था। 

महीने भर बाद भाई ने मकान बेचकर आधा पैसा मेरे खाते में ट्रांसफर कर दिया और उस दिन के बाद कभी उनकी बात नहीं हुई। 

आज इतने दिनों के बाद उसे अपने फैसले पर बहुत पछतावा हो रहा था आज उसे महसूस हो रहा था कि रिश्तों को पैसों की तराजू से नहीं तोला जा सकता पर अब बहुत देर हो चुकी थी। 

# फैसला

स्वरचित एवं अप्रकाशित

कमलेश राणा

ग्वालियर

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