प्यार तेरे लिए – माधुरी गुप्ता : Moral stories in hindi

सुवह उठ कर नोट्स बनाने में व्यस्त मीता के काम में व्यवधान उस समय पड़ा, जब मां की आवाज कानों में पड़ी,मीता नीचे आकर चाय नाश्ता कर लो ‘मॉं की आवाज को अनसुना करते हुए,मीता ने नोट्स बनाने में अपना ध्यान लगाया, क्योंकि लाइब्रेरी  में यह बुक वापस करने का आज आखिरी दिन था , फिर इतनी अच्छी बुक  कौन जाने फिर कल इश्यू हो सके या  नही  उसके नाम से.

        ये तो उसका दोस्त नीरज ही है, जो अपनी पढ़ाई से समय निकाल कर लाइब्रेरी से

   छाँट-छाँट कर अच्छी से अच्छी बुक इश्यू  करवा कर उसकी पूरी मदद करता है,नीरज

अच्छी तरह जानता है कि सिविल सर्विस में एपीयर होकर कलक्टर बनने  का सपना है,मीता का.

मॉं का हर रोज की तरह बड़बड़ाना शुरू हो गया,अरे,हर समय किताबों में ही मुंह घुसाए बैठी रहेगी तो ऑंखों के नीचे काले घेरे बन जॉयगे,फिर कौन  करेगा तुमसे शादी और फिर

    पढ़- लिख कर कौनसा कलक्टर बनना है तुमको,हॉ कलक्टर बनने का ही तो सपना है उसका

      नीरज जानता है इसीलिए मीता की भरपूर मदद भी करता है ताकि वह अपना सपना पूरा कर सके .

      नीरज और वह बचपन के दोस्त, पड़ोसी सब कुछ  है,कॉलेज तक पहुंचते-पहुंचते यह

      दोस्ती आपसी प्यार व आकर्षण में बदल चुकी  है बचपन से ही दोनों एक साथ

खेल कर बड़े हुए,इतना ही नहीं मीता को साइकिल चलाना तक नीरज ने ही सिखाया,जब मीता कुछ साइकिल चलाना सीख गई तो काफी दूर तक नीरज मीता की साइकिल के  पीछे सिर्फ इसीलिए दौडता कि कही मीता साइकिल से गिर कर चोट न खा जाय, क्योंकि नीरज के दिल में मीता के लिए प्यार का संगीत बजने लगा था,उसने मन ही मन सोच लिया था जैसे ही कहीं अच्छी जॉव मिल जाएगी,मां

से मीता के घर उसका हाथ मांगने की बात कहेगा,उसका पूरा विश्वास था कि मां इस रिश्ते के लिए कभी ना नही कहेगी,और फिर मीता के मां बावूजी भी भला इस रिश्ते के लिए मना क्यों करेंगे?

क्योंकि दोनों परिवार एक दूसरे को अच्छी तरह जानते भी हैं ,और नीरज भी उनका देखा भाला ही है,और भला क्या चाहिए उन्हें,

ऐसा सोच सोचकर ही वह अपने मन ही मन में खुश हो लेता, क्या ही शुभ दिन होगा जब वह गाजे बाजे के साथ बरात लेकर मीता के घर जाएगा और अपनी माीता को दुल्हनिया बना कर अपने घर ले आएगाहमेशा के लिए.। केवल नीरज ही नहीं मीता भी नीरज को अपना दिल दे बैठी थी,बस दोनों को इंतजार था तो केवल सही समय का.यानी आग दोनों तरफ बराबर लगी हुई थी.।

मीता को आईएएस क्लीयर करके कलक्टर बनना था,तो दूसरी ओर नीरज को एक अच्छे जॉव की तलाश थी.

    दोनों परिवारों की आर्थिक स्थिति में काफी अंतर था,नीरज के पिता जिस कम्पनी में जनरल मैनेजर थे,वही

मीता के बापूजी उनके मातहत काम करते थे.यही सब सोच कर कभी कभी-कभी मीता का मन शंकाओं से घिर जाता

कि कहीं नीरज के घरवालों ने इस रिश्ते पर अपनी स्वीकृति की मुहर न लगाई तो, लेकिन जब कभी अपने मन की बात नीरज से शेयर करती तो नीरज उसे विश्वास दिलाता कि उचित समय आने पर बह सब कुछ ठीक कर देगा.फिलहाल तो तुम अपने कलकटर बनने के सपने को पूरा करने पर फोकस करो.

अच्छी लाइफ जीने के लिए पैसों का होना बहुत जरूरी है और उसके लिए एक अच्छा जॉव हाथ में होना भी ज़रूरी है,तभी तो कलक्टर साहिवा का पति बन पाऊंगा,कह कर मीता की तरफ देख कर मुस्करा देता,और मीता भी उसकी इस हंसी में बराबर की भागीदार होती फिर कहती कह तो तुम ठीक ही रहे हो.

परंतु अभी तो यह हसीन ख्वाब सिर्फ हसीन सपना सा ही लगता है,ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि फ्यूचर में क्या होगा.

नीरज को आगे की पढ़ाई के लिए मुंबई जाना था सो, अतः जाने से पहले उसने अपने मन की बात अपनी मां को बताई,उसकी बात सुन कर मां ने कहा अभीपहलेतुम अपनी आगे की पढ़ाई औरजॉव पर ध्यान लगाओ,उचित समय आने पर आगे की बात की जायगी.।

एक दिन लाइब्रेरी से लौटने पर जव मीता ने कमला मौसी को ,मां के पास बैठादेखा,तो उसका इम

माथा ठनका,कि न जाने किसका रिश्ता लेकर ये कमला मौसी आज उसके घर आ पंहुचाी हैं

क्योंकि कमला मौसी चलता-फिरता मैरिज ब्यूरो थी, एक बड़े से झोले में ढेर सारे विवाह

योग्य युवक युवतियों के फोटो व जन्मपत्री रखे उनके घर के चक्कर लगाती रहती.

मीता ने दरवाजे के पीछे छिपकर मां व मौसी की बात सुनी,तो पता चला कि वे तो

उसके नीरज का ही रिश्ता लेकर आई थीं उसके लिए.

मीता के मां बावूजी नीरज के घर से रिश्ता आने पर बहुत ही खुश थे, उन्होंने तो सपने

में भी नहीं सोचा था कि मीता का रिश्ता इतने बड़े रसूखदार धनी परिबार से आएगा,कयोंकि

दोनों परिवारों की आर्थिक स्थिति का अंतर ही शायद इसका कारण रहा हो.बहरहाल

बिना किसी ना-नुकर के उन लोगों ने इस रिश्ते के लिए हां कर दी.

बिना किसी व्यवधान के दोनों की सगाई पक्की हो गई,नीरज व मीता दोनों ही इस रिश्ते

से बहुत खुश थे,आखिर तो उनके मन की मुराद जो पूरी होगईथी .

हॉ एक  बात बहुत अच्छी हुई कि शादी २ साल के बाद होना निश्चय हुआ,

क्योंकि नीरज को आगे की पढ़ाई के लिए मुंबई जाना था और मीता को भी

  अपना सिविल सर्विस का एग्ज़ाम क्लीयर करना था.

नीरज मुंबई ज़रूर चला गया था लेकिन हर रोज़ शाम ५ बजे वह मीता को फ़ोन

ज़रूर करता,इधर मीता को भी ५ बजने का इन्तज़ार रहता, दौनौ फ़ोन पर घंटो

   बातें करते,फयूचर के रंगीन सपने संजोते. परंतु सपने इतनी आसानी से कहाँ पूरे हो पाते है?

नीरज की पढ़ाई ख़त्म होने बाली थी ,एक मल्टीनेशनल कम्पनी में जॉव भी मिल चुका था ,उसने मन में सोचा इस वार छुट्टी में घर जाने पर माँ से शादी की तारीख़ पक्की करने की बात करके ही लौटेगा.

क्योंकि मीता भी सिविल सर्विस का एक्ज़िमा क्लीयर करके कलक्टर बन गई थी.

    मीता के कलक्टर बनते ही उसके मां बावूजी के तेवर कुछ बदलने लगे उनके मन में अब

आई एएस दामाद पाने की लालसा जोर पकड़ने लगी,कयोंकि मीता के लिए एक दो घरों से आईएस

लड़कों के रिश्ते आचुके थे .

नीरज के घरवालों को पास पड़ोस के लोगों से इस बात की भनक लग  चुकी थी कि मीता के घरवाले

उसका रिश्ता किसी आई ए एस लड़के से करना चाह रहे हैं।

 नीरज की सर्विस लग चुकी थी इस बार पूरी उम्मीद थी कि शादी की तारीख़

   पक्की करके ही लोटेगा ,घर आने पर महसूस हुआ कि माँ एकदम चुपचाप सी है,

मां ने नीरज से कुछ अधिक बातचीत न करके,अपने काम में ही अपने आपको व्यस्त

कर लिया.

मां का ऐसा रवैया देख कर नीरज ने मां से पूछा,

  ,, क्या बात है माँ क्या कुछ हुआ है,,   नीरज ने पूछा

 नीरज की माँ एकदम ग़ुस्से  से फट पड़ीं ।

मीता के घरवाले अब उसका रिश्ता किसी आईएएस लडके से ही करना चाहते हैं.

यह सुन कर नीरज का दिल टूट गया,बिना कुछ बोले सगाई की अगूंठी उतार कर रख

 दी और बिना मीता से बात किए वापस मुबंई लौट आया,.

 नीरज का मन यह विश्वास ही नही कर पा रहा था कि उसके निश्छल प्यार को 

मीता इस तरह ठुकरा सकती है.

मीता को इस बीच अपनी सहेली की शादी मे ३-४ दिनों के लिए कानपुर जाना पड़ा ,

,नीरज का इस बीच कोई फ़ोन न आने से मीता का मन परेशान था,

मीता को अपने घर वापस आने पर पता चला कि नीरज के घरवालों ने सगाई की

अंगूठी वापिस कर दी है ,मीता के मां बापूजी ने असली बात उससे छुपाली कि वे लोग

अव मीता का रिश्ता किसी आईएएस लड़के से करने की सोच रहे हैं.

सगाई की अंगूठी बापस करने की बात सुन कर मीता एकदम चौंक गई,

उसने किसी से बिना कुछ कहे नीरज के घर जाने का फैसला किया,वह जैसे ही

नीरज के घर पहुंची,नीरज की मां उसको देखकर एकदम गुस्से से फट पड़ी,

 नीरज की मां ने मीता को बहुत कड़वी बातें सुनाई,अब यहाँ क्या लेने आई हो,

नीरज तो कुछ ही दिनों में नयी नौकरी के सिलसिले में लंदन जाने बाला है,तुम

 करो किसी आईएएस लड़के से शादी,क्योंकि तुम तो अब कलक्टर जो बन 

गई हो.

 मीता हैरान परेशान सी अपने घर लौट आई,कहीं उसका नीरज उससे बिना मिले

लंदन चला गया तो,नहीं,-नहीं उसका नीरज ऐसा नहीं कर सकता उसके साथ,

उन दौनौ के प्यार की डोर इतनी कच्ची थोडे ही है.

मीता का मन इतना परेशान था कि पूरी रात बस सगाई की अगूठी को देखती रही

और थोड़ी-थोड़ी देर बाद उस अंगूठी को चूम लेती ,क्योंकि उसका मन तो अभी भी

नीरज से ही जुड़ा हुआ था.

दूसरे दिन बाबूजी ने  बिना उसकी  इच्छा जाने उसकी सगाई एक आईएएस लड़के 

से पक्की करने की जानकारी दी.

 “।    लेकिन मेरी सगाई तो हो चुकी है नीरज के साथ,” मीता ने कहा

    “ सगाई टूट भी तो सकती है “मीता की माँ बोली

ऐसा कैसे हो सकताहै माँ, सगाई कोई  मकान की डील थोड़े ही है कि अधिक पैसे

 देने बाला खरीदार मिल जाय तो पहले की डील कैसिल कर दी जाय.

दो-चार दिनों के प्यार ने तुमको कितना बोलना सिखा दिया है,उसके बावूजी बोले,मैं  “ शादी सिर्फ़ नीरज से ही करूँगी,”   मीता ने भी अपना फ़ैसला सुनाया.

नीरज से शादी करोगी तो इस घर से कोई नाता नहीं रह जायेगा,और इस घर से 

तुम्हें फूटी कौड़ी भी नहीं मिलेगी,बावूजी ने कहा.

   “मंज़ूर है “मीता ने जवाब दिया

   मीता चुपचाप अपने कमरे मैं चली आई, अपने प्यार को यों ही नही छोड़ सकती

कुछ न कुछ तो करना ही पड़ेगा प्यार की ख़ातिर,और मीता के मन मै “प्यार किया

 तो डरना क्या,,गाना धमाचौकड़ी मचाने लगा, मीता ने मन ही मन एक फ़ैसला लिया

  अब बह खुद ही निडर होकर अपने पहले प्यार को अपनाएगी.

 दूसरे दिन बिना किसी से कुछ कहे उसने अपना घर छोड़ दिया,अपने प्यार की ख़ातिर, मुबंई

जाने को निकल गई,उसके मन में विचारों की घमासान चल रही थी कि न जाने उसे अपने सामने

यों अचानक देख कर नीरज की क्या प्रतिक्रिया हो, कहीं अपनी मां की तरह वह भी उसे खरी खोटी

न सुनाने लगे,फिर अगले ही पल अपने मन में सोचा,जो भी होगा सब कुछ चुपचाप सुन लेगी,आखिर अपना प्यार पाने के लिेए, कुछ न कुछ कुर्बानी तो देनी ही पड़ती है हरेक को , प्यार यों ही इतनी आसानी से कहां मिल पाता हैं.

यही सब सोचते सोचते वह नीरजकेघर तक पहुंच गई,दिल धक-धक कर रहा था,

      शाम गहराती जा रही थी ,परेशान व उदासी से घिरा नीरज बिना लाइट जलाए अंधेरे

    कमरे में बैठा सिगरेट पर सिगरेट फूंक कर अपना ग़म भुलाने की नाकाम सी कोशिश

  कर रहा था,तभी दरवाज़े पर दस्तक हुई, झुँझलाते हुए उठा और दरवाज़ा खोला,अपने

 सामने  यों अचानक मीता को देख कर दंग रह गया.

  अब क्या आईएएस  लड़के से शादी करने का कार्ड देने आई हो,उसने व्यंग्य से मीता से कहा,मीता उसकी ऐसी व्यंग्य की भाषा सुनकर सकपका गई ,उसकी आँखों से झर-झर आंसू  बहने लगने लगे,नीरज भी असमंजस में था कि आख़िर मीता इस तरह आंसू क्यों बहा रही है.

अब तुम एक सामान्य  लड़की थोड़े ही रह गई हो, तुम तो अब कलक्टर बन गई हो‘

 जो कुछ भी कर सकती है नीरज ने एक  बार फिर व्यंग्य का तीर छोड़ा.

  हॉ सच है कि अब मै सामान्य लडकी नहीं रह गई हूँ इसलिए ऐसा कुछ करने

 जा रही हूँ, जो एक सामान्य लड़की नहीं कर सकती.

अगले ही क्षण घुटने के बल नीरज के  सामने बैठ गई,”क्या तुम मुझसे शादी

करोगे, विल यू मैरी मी,”

जब तक तुम मुझसे शादी करने के लिए हां नहीं कहोगे  मै  ऐसेही बैठी रहूँगी।

    तुमसे शादी करने की ख़ातिर अपना घर बार सब कुछ छोड़ आई हूँ,

 मीता के मुँह से यह सब सुन कर अब नीरज का मन भी उसके प्यार के

 ताप से पिघलने लगा,उसने आगे बढ़ कर मीता को उठा कर अपनी बाहों

 के घेरे में कस लिया,और उसके आंसू पोंछते हुए कहा मीता मैंने पहले कभी 

 नहीं कहा परन्तु अब कहता हूँ  “आई रियली लव यू ,सो मच,” अब हमें कोई अलग

 नहीं कर सकता.

मौलिक व स्वरचित

माधुरी गुप्ता नई दिल्ली

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