पुष्पा का तनाव – सुभद्रा प्रसाद : Moral stories in hindi

 छह महीने से शुभम घर नहीं आया था | माँ पुष्पा देवी बहुत तनाव में  थी | शुभम उनकी इकलौती संतान था | बहुत ही होनहार, आज्ञाकारी और संस्कारी था | पढाई में तेज होने के साथ-साथ संस्कार और व्यवहार में भी अच्छा था | सभी के साथ उचित व्यवहार करता था | अपनी पढाई पर पूरा ध्यान देता था | 

विदेश में अपनी पढाई पूरी कर वह वहीं नौकरी करना चाहता था, पर  माता-पिता के बार- बार कहने पर वह वापस अपने देश लौट आया और यहीं मुम्बई में नौकरी कर ली | मम्मी-पापा की सहमति से अपने साथ काम करने वाली  संजना से शादी कर ली | डेढ साल हो गये थे उनकी शादी को और दोनों मुम्बई में ही रहते थे, पर महीने दो महीने में मम्मी-पापा से मिलने जरूर आते थे | इसबार ही ऐसा हुआ था कि दोनों छ महीने से नहीं आये थे |

मम्मी-पापा दोनों पूछते तो कोई न कोई बहाना बना    देता |  छह महीने पहले अपनी शादी की सालगिरह पर आया था, पर उसके बाद जो गया तो छह महीने से नहीं आया |  पुष्पा बहुत तनाव में थी |  बेटा- बहू दोनों अच्छे थे |मम्मी-पापा दोनों का मान- सम्मान करते थे और उनकी बातें भी मानते थे | हरदम फोन करके हालचाल पूछते रहते और महीने दो महीने में  एक दो दिन के लिए ही,आ ही जाते थे |  इसबार ही ऐसा हुआ था कि छह महीने से नहीं आये थे |

पुष्पा के मन में बहुत सी शंकायें आ रही थी और वह बहुत तनाव में थी | आखिर उससे रहा नहीं गया और जिद करके पति के साथ बेटे- बहू की खोज खबर लेने हेतु मुम्बई  चली आई | उनके पास उनके घर का पता भी था और घर की एक चाबी भी | अतः दोनों उन्हें बिना बताये  अचानक पहुंचकर उन्हें आश्चर्यचकित करना चाहते थे

और उनलोगों के घर न आने का सही कारण जानना चाहते थे | पूरे रास्ते पुष्पा के मन में अनेक विचार आते रहे | एक ही तो बेटा है | क्या बहू ने कुछ  उल्टी सीधी बातें कह दिया? अगर उनका मन बदल गया तो बुढ़ापे में उनकी देखभाल कौन करेगा | पति को पेंशन मिलता है और  अभी तो दोनों स्वस्थ भी है ं, पर बुढापा तो एक दिन आना ही है |

       ” चलो उतरो ” पति महेश की आवाज से पुष्पा की विचारधारा भंग हुई | वे लोग बेटे के घर पहुँच चुके थे | रात के दस बजे थे | महेश ने घंटी बजाई | शुभम ने दरवाजा खोला | उन्हें देख आश्चर्यचकित रह गया |

         “प्रणाम मम्मी, प्रणाम पापा, आपलोग अचानक कैसे आये ? खबर देते तो आपलोगो ं को लेने स्टेशन आ जाता | ” शुभम उनके पांव छूते हुए बोला | 

           ” खुश रहो |तुमलोग छह महीने से घर नहीं आये | तुम्हारी माँ बहुत तनाव में थी | इसी से हम मिलने आ गये |” पापा ने कहा |

          ” अंदर आईये ” शुभम उनका सामान लेकर अंदर आया |वे दोनों भी अंदर आ गये |आवाज सुनकर संजना भी आ गई|            ” आपलोग, अचानक, सब ठीक तो है 

 ना ?”दोनों को देखकर हैरान हुई |प्रणाम किया और हालचाल पूछा | 

  ” खुश रहो | तुमलोगों से मिलने का मन कर रहा था | तुमलोग तो छह माह से मिलने आये नहीं, इसी से हमलोग ही आ गये |” माँ ने आशीर्वाद देते हुए कहा |

      ” ठीक है | मैं चाय बनाती हूँ |तबतक आपलोग फ्रेश हो लें |” कहते हुए संजना चाय बनाने चली गई | पुष्पा भी फ्रेश होने बाथरूम की ओर चल दी | अभी वह ड्राइंग रूम से बाहर आई ही थी कि सामने रूम में अपने ससुर को पलंग पर बैठकर टीवी देखते हुए देखकर हैरान रह गई | 

         ” पिताजी, आप, यहाँ? ” पुष्पा आश्चर्यचकित होकर जोर से बोली | उसकी आवाज सुनकर महेश भी आ गये और अपने

पिताजी को देखकर हैरान रह गये |

        ” क्यों, बहुत हैरानी हो रही है, मुझे यहाँ देखकर | तुमलोगों ने तो मुझे वृद्धाश्रम में ले जाकर मरने के लिए छोड़ दिया था | अरे, तुमलोग नालायक निकले तो क्या ? शुक्र है भगवान्   का, मेरा पोता  लाखों में एक है |” महेश के पिताजी शंकर बाबू बोले |

        ” पर आप यहाँ आये कैसे? ” महेश उन्हें यहाँ देखकर बेहद आश्चर्यचकित थे | शुभम और संजना भी आ गये |

         ” हम इन्हें यहाँ लेकर आये है ं, पापा ” संजना बोली |

         ” पर.. ” महेश जी आगे कुछ कहते, इसके पहले ही शुभम बोला  -” मैं आपको सारी बातें बताता हूँ | आपने तो हमें बताया था कि दादाजी जिद करके अपने गाँव चले गये हैं, क्योंकि उन्हें यहाँ मन नहीं लग रहा था  | आपने हमसे झूठ बोला था, क्योंकि दादाजी गाँव नहीं गये थे, आपने उन्हें मेरी शादी के बाद वृद्धाश्रम भेज दिया था |

मैं जब शादी की  सालगिरह पर वहाँ गया था तो सुबह मंदिर जाने के बाद मैं और संजना वृद्धाश्रम गये थे, क्योंकि संजना ऐसा चाहती थी | वहाँ दादाजी से मुलाकात हो गई और हम सच्चाई जान गये |

तब हमने प्रयास करके आपको बिना बताये दादाजी को अपने साथ लेते आये | यहाँ हमने दिनभर के लिए एक महिला को रखा है, जो घर का सारा काम भी करती है और दादाजी की देखभाल भी करती है |  घर में सीसीटीवी भी लगा रखा है,  जिससे  हम उन्हें देख लेते हैं | रात में तो हम रहते हीं हैं |” इतना कहकर शुभम चुप हो गया |महेश और पुष्पा को तो समझ ही नहीं आ रहा था, क्या बोलें? 

         थोड़ी देर बाद शुभम फिर बोला -“माँ जब  तुम छह महीने मुझसे न मिलने से ही इतना तनाव में आ गई, तो सोचो दादाजी एक साल से वृद्धाश्रम में कितने तनाव में रह रहे थे | पापा भी तो उनकी इकलौती संतान हैं और दादाजी भी तो आपलोग से उतना ही प्यार करते हैं, जितना आपलोग हमसे करते हैं | क्या आपलोग अपना बुढापा वृद्धाश्रम में काटना पसंद करेंगे? मैं आपलोगो से बहुत प्यार करता हूँ और मैं नहीं चाहता हूँ कि आपलोगो के साथ भी ऐसा कुछ हो |”

      महेश और पुष्पा शर्म से पानी-पानी हो गये | उन्हें अपना भविष्य नजर आने लगा |

    ” तुमने हमारी आंखें खोल दी | मुझे माफ कर दो बेटा | ” माँ शुभम का हाथ पकडकर बोली |

        “माफ़ी मुझसे नहीं, दादाजी से मांगिए|”

शुभम झट बोला |

       ” हमसे बहुत बड़ी गलती हो गई | हमें माफ कर दिजिए पिताजी और हमारे साथ अपने घर चलिए | ” महेश और पुष्पा  रोते हुए पिताजी के पैरों पर गिर पड़े | पिताजी ने उन्हें उठाकर गले लगा लिया | उनके भी आंसू बहने लगे |

          ” ठीक है आपलोग घर चले जाइयेगा, पर पहले यहाँ तो कुछ दिन  हमलोग के साथ रहिये | हमें भी तो अपनी सेवा का मौका दिजिए | मै सबके लिए चाय बनाती हूँ |” कहती हुई संजना हंसने लगी | उसकी बात सुन सब हंसने लगे|

पुष्पा का सारा तनाव खत्म हो गया था |

# तनाव

स्वलिखित और मौलिक

सुभद्रा प्रसाद

पलामू, झारखंड |

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