निर्णय (भाग 22) – रश्मि सक्सैना : Moral Stories in Hindi

रोजी के साथ रोहित बहुत ज्यादा घुलमिल गया था, उसे लगता ही नहीं था ,कि वह उसकी अपनी बच्ची नहीं है , और रोजी से मिलने वाला अपनापन भी रोहित को बहुत अच्छा लगता था , बहुत सालों से वह जिस शब्द को सुनने के लिए तरस रहा था ,जब रोजी पापा पापा बोलती थी ,तो रोहित कोबहुत अच्छा लगता था , और वह कुछ समय के लिए तो यह बिल्कुल भूल गया था की रोजी नेहा की बेटी है , और नेहा अब उसे लेकर जाएगी 1 दिन के बाद ही रोहित में काफी अंतर नजर आता है ,और वह पहले से बेहतर अनुभव करता है, बस केवल उसको बेड रेस्ट ही करना था ,काका को नेहा पूछती है ,अब तो आप सर का ख्याल रख सकते हैं ,तो फिर मैं जाऊं काका कहतेहां बेटा अब तुम जा सकती हो , अगर कोई काम हो तो मैं खाना पीना तो मुझे समझ में आ गया ।

अंजली का फोन आने पर नेहा बता देती है ,कि अब सर पहले से बेहतर है ,और बस अब वह अपने घर जा रही है ,अंजलि उसको धन्यवाद देती है ,और कहती है कि तुमने मुझे एक बहुत बड़ी उलझन से बचा लिया अब यहां पर माहौल बिल्कुल ठीक है, बस मैं एक-दो दिन में आने वाली । काका से कह देना कि वह घर नहीं जाय ,  रोहित के साथ ही रहे ।

जैसे ही रोहित के पास नेहा यह कह दी जाती है कि अब वह घर जा रही है अब आप में थोड़ा सुधार भी है ओ काका आपका पूरा ख्याल रखेंगे और अगर कहीं कोई परेशानी हो तो मैं फिर आ जाऊंगी ,रोहित को नेहा के जाने से कोई विशेष फर्क नहीं पड़ता ,लेकिन वह दुखी हो जाता है, क्योंकि रोजी  जा रही है फिर भी वह कहता है ,ठीक है अब ऐसी भी अंजलि आने वाली है और अगर कहीं ऐसा लगा तो मैं कॉल कर दूंगा ,नेहा अंजलि को लेकर अपने घर चली जाती है।

2 दिन बाद अंजलि वापस आ जाती है और रोहित को देखकर कहती है, अरे वाह नेहा ने इस बार आप बहुत जल्दी सही कर दिया , रोहित हंसकर कहता है नेहा ने नहीं रोजी ने । रोहित अंजलि कहती है कि आप तो मुझे लगता है बिना रोजीके बिल्कुल नहीं रह पा रहे हैं ।

रोहित हंसते हुए कहता है मेरा बस चले तो  रोजी को यही रख  लूं ।

अंजलि डॉक्टर सरिता के पास जाती है और उसे पूछती हैं क्या इस बार चांसेस हैं सरिता हंसते हुए कहती है ,अगर रोहित नेहा के साथ यहां आया इसका मतलब इस बार रोहित रेडी है ,और अंजलि तुम्हें उचित समय देखकर नेहा और रोहित दोनों से ही बात कर लेनी चाहिए ,क्योंकि यह बात हम दोनों जानते हैं ,कि नेहा विधवा है और समाज उस पर उंगली उठाने से नहीं चूकेगा ।

एक दिन रोहित का मूड अच्छा देखकर अंजलि रोहित से पूछती है, क्या नेहा आपको हमारी बच्चे के लिए सेरोगेसी मदर के रूप में सही लगी । आप कहते थे हमेशा कि वह महिला सुंदर होना चाहिए , एक्टिव होना चाहिए और इंटेलिजेंट होना चाहिए ।मेरे ख्याल से यह तीनो गुण नेहा में है ।और नेहा से स्टार्टिंग मैंने बिल्कुल प्रोफेशनल तरीके से ही सेरोगेसी मदर की बात की थी ,और वह बिल्कुल रेडी भी है हमारे संबंध बहुत अच्छे बने, यह हम लोगों के व्यवहार पर डिपेंड किया ,अकेले होने के कारण हमने समय-समय पर उसकी मदद की और उसने हमारी ,  उसकी बेटी से हमारा लगाव बड़ा तो शायद हमें नेहा से भी ज्यादा करीबी भी मिली ,हम  लेकिन शायद यह बात वह भी अच्छी तरह से जानती है, उसके बैंक का लोन हो या उसकी बीमारी में होने वाला जो हमने सहयोग दिया ,यह सब हमने मानवता की नाते यह कहना चाहे गलत है कहीं ना कहीं हमारे मन में सिर्फ एक ही बात रही कि किसी ना किसी तरह से हम इस काम के लिए नेहा को जल्दी राजी करें ,लेकिन यहां कुछ ऐसा लगा ही नहीं ,क्योंकि नेहा ऑलरेडी पहले से राजी है ,हम कोई दबाव नहीं डाल रहे ,रोहित  कहता है तुम सही कह रही हो आजकल कोई भी किसी की मदद बिना कारण नहीं करता शायद । हमारी मदद का कारण भी कहीं ना कहीं तुम्हारा और मेरा लालच रहा ,लेकिन अकेली महिला समझकर मैंने कभी उसका गलत फायदा उठाने की नहीं सोची ,और रहा सवाल रोजी के करीब जाने का तो और मेरे प्यार को इतना नीचा मत गिराओ अंजलि , मेरा प्यार रोजी के प्रति निष्पक्ष और निष्काम है अगर नेहा राजी नहीं भी होती ,तो भी पूरी जिंदगी में रोजी को अपनी बच्ची के समान ही रखता , अंजलि तुम्हें क्या हो गया है तुम क्या सोचने लगी हो अंजलि अपने द्वारा कही बातों से खुद ही शर्मिंदा हो जाती है , और रोहित के गले लग कर रोने लगती है रोहित इस समाज में बिना बच्चों की महिला के साथ क्या हश्र होता है ,लोग कैसा व्यवहार करते हैं यह तुम नहीं जानते हमारे को ईश्वर ने इतना पैसा दिया है हम दोनों ने अपनी लाइफ में जो चाहा एक दूसरे को पसंद किया तो जीवन साथी भी बने लेकिन यहां आकर हम हार गए,, रोहित मन ही मन जानता था की मां अगर बहुत अच्छा सोचती है ,तो कुंठित विचारधाराओं के कारण कहीं ना कहीं अंजलि को इतने दिनों में हर किसी न किसी बात पर ठेस करती रही होगी , कुछ नहीं कहता और बस यह कहता है कि अब हम बहुत जल्दी ही सरिता के पास दोनों चलेंगे यह सुनकर अंजली बहुत खुश हो जाती है ।

डॉक्टर सरिता के क्लीनिक पर जाकर दो-तीन मीटिंग के बाद रोहित के शुक्राणु नेहा के अंडाणु से निश्चित करके समाज में चली एक नई नीति के अनुसार अंजलि को मां बनने का सौभाग्य प्राप्त होने लगता है ,लेकिन डॉक्टर सरिता बताती है ,अंजलि नेहा का बहुत ज्यादा ध्यान रखना पड़ेगा प्रॉपर तरीके से उसे फुल बेड रेस्ट और शुरू के कुछ महीने बिल्कुल बच्चों की तरह उसकी केयर करनी पड़ेगी , अंजली बहुत खुश होती है ,और सरिता से कहती है आप बिल्कुल चिंता मत करो, मैं और रोहित मिलकर नेहा का पूरा ध्यान रखेंगे और वैसे भी रोजी रोहित के बहुत करीब है ,तो उसकी भी कोई ज्यादा परेशानी नहीं है नेहा स्टार्टिंग में अंजलि के घर नहीं जाती वह कहती है मैं नॉर्मल हूं और प्लीज अभी मुझे मेरे घर जाने दीजिए , कुछ दिनों के लिए नेहा जिद करके घर आ जाती है ,अंजलि नेहा के पास आकर पूरा दिन रहती है , सिर्फ रात के समय अपने घर जाती थी ,वहां पर सारे कामवाले उसने लगवा दिए थे ।

अब शायद रोहित को पिता बनने का एहसास होने लगा था ,अभी तक हो नेहा को सिर्फ रोजी की मां के रूप में देखता था ,और उसे लगता था कि कहीं कुछ ऐसा ना हो जाए जिससे रोजीको लेकर नेहा दूर चली जाए ,लेकिन अब रोहित का नजरिया बदलने लगा था। और नेहा को अपनी बच्चे की मां के रूप में देखने लगा था , वह उसकी हर एक्टिविटी बहुत गौर से देखता था ,जब वह पहले उसके घर आता था, तो उसका ध्यान कभी भी नेहा के ऊपर नहीं जाता था सिर्फ रोजी के कारण वह वहां आता था ,लेकिन अब उसको बार-बार ऐसा लगता है नेहा के घर आए और नेहा के आस पास रहे ,शायद एक औरत होने के नाते अंजलि इस बात को बेहतर समझती थी ,नेहा की प्रति रोहित का नजरिया बदलने लगा है ,बहुत कम बात करता है , लेकिन उसकी सिर्फ देखने से उसको यह एहसास होता है ,कि शायद रोहित नेहा को अपने बच्चे की मां के रूप में देखने लगा है ,कुछ समय बाद रोहित की बातों में नेहा का बहुत ज्यादा जिक्र होने लगा ,वह अक्सर अंजली से कहता था तुम नेहा को बहुत अच्छी तरह से ध्यान रखना ,  हंसते हुए कहती है मुझे पता है वह हमारा बच्चा है रोजी का पूरा ध्यान रोहित रखने लगा था ।

1 दिन अंजलि को किसी जरूरी काम से कहीं जाना पड़ा तो वह रोहित को नेहा के पास छोड़कर जाती है ,क्योंकि उसे पता है रोजी बहुत जिद्दी है, अब नेहा  रोहित से आंख नहीं मिला पाती थी ,और ना ही कुछ बोल पाती थी ,बाहर के कमरे में रोजी को रोहित खिलाता है ,और अंदर नेहा रेस्ट कर रही थी , तो वह भी बाहर आती है ,रोहित नेहा पर गुस्सा होने लगता है ,कि मुझे बता दिया होता मैं वहां आ जाता तुम ही आने की क्या जरूरत नेहा हंसते हुए कहती है  लेटे लेटे बोर हो जाती हूं ।

इतने दिनों में पहली बार रोहित नेहा से अकेले मिला था, क्योंकि हमेशा अंजलि उसके साथ रहती थी, नेहा से कहता है नेहा तुम बहुत अच्छी-अच्छी किताबें पढ़ना मैं तुमको बहुत अच्छा कलेक्शन लाकर दूंगा ,मैं चाहता हूं ,कि बच्चे में संस्कार भी पढ़े, विवेकानंद मदर टेरेसा इन सब की किताबें पढ़ना और हां महारानी लक्ष्मीबाई की जरूर पढ़ना अगर कहीं बेटी हुई ,तो कम से कम इस समाज से मौका आने पर अकेले लड़ सकती हैं ,और यह कहते हुए नेहा और वह हंसने लगते हैं ,वह नेहा को बहुत सारी बातें यूट्यूब पर ही बताता है ,अच्छी किताबों को पढ़ने से बच्चों पर क्या असर पड़ता है ,और शायद अब नेहा और रोहित की एक दूसरे से झिझक भी टूट चुकी थी । ढाई महीने बहुत आराम से कट जाते है ,रोहित और अंजलि दोनों ही नेहा का बहुत ध्यान रखते हैं

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