कोरोना का कहर सभी जगह व्याप्त है काफी घर इसमें भी घर हो रहे हैं और कमाने वाला व्यक्ति के जाने के बाद घर की आर्थिक स्थितियां बहुत खराब हो रही है नेहा और राजेश ने लव मैरिज की थी घर से भागकर की गई शादी जिसमें गृहस्थी का एक-एक सामान खुद को खरीदना पड़ता है, ना ही लड़की के मां-बाप साथ देते हैं और ना ही लड़के के मां-बाप, अभी उनकी शादी को 3 साल ही हुए थे राजेश एक प्राइवेट ऑफिस में काम करता था और नेहा एक प्राइवेट फर्म में काम करती थी, दोनों मिलकर इतना कमा रहे थे
कि उनकेघर की गाड़ी चल रही थीं, अचानक इस कोरोना के कहर से राजेश की मौत हो जाती है , नेहा ने अपने मायके और पीहर में मददके लिए कहा, लेकिन कोई भी तैयार नहीं हुआ, उसके अपनी एक बेटी है, गाड़ी मकान सभी लोन पर थे, उसे पता था कि अब उसकी सैलरी से वह सिर्फ घर का खर्चा और बेटी को पाल सकती है, अब उसके पास इन सब चीजों की किश्त चुकाने का कोई साधन नहीं था, राजेश को शांत हुए एक महीना होने वाला है इस बीच उसके पास किसी का भी फोन नहीं आता, कभी कभार दोस्त फोन करके उसका हाल चाल पूछ लेते थे, उस समय ऐसा था सभी लोग परेशान थे, कोरोना से हुई मौत के कारण कोई भी उसके घर नहीं आ रहा था धीरे-धीरे समय बीता जा रहा था, वह समझ नहीं पा रही थी कि आगे का जीवन उसका कैसे निकलेगा
सबसे ज्यादा उसे चिंता थी, कि अगर गाड़ी और मकान का किस्त नहीं भरा तो एक दिन यह मकान और घर का समान उसके हाथ से चला जायेगा, ससुराल वाले तो उसे फोन पर अपनी बेटी की मौत का जिम्मेदार ठहराते हैं उसे पता था, कि उसका कोई भी साथ नहीं देगा मायके में मां पिता भी कोरोना से जा चुके थे, सिर्फ वहां भाई और भाभी थे जिन्हें नेहा फूटी आंख नहीं सुहाती थी और अक्सर उसे कहते थे, कि तेरी इन आदतों के कारण हमें हमारे बच्चों पर भी तेरे गलत आचरण का फर्क़ पड़ेगा, नेहा यह बात अच्छी तरह समझती थी कि यह सब तो बहाना है उसके भाई और भाभी को डर था कि कहीं पापा रिटायरमेंट के मिले पैसों को नेहा को ना दे दे, उस पैसों से भैया और भाभी को बड़ी उम्मीदें थी, कई साल पहले से वह उन पैसों की प्लानिंग मकान को खरीदने की थी
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