नकाब – सुधा शर्मा

   आज मेरा पहला दिन था आफिस में । मुझे मेरी परिचित नीना ने पहले ही बता दिया था

‘माधुरी जी से सँभल कर रहना , बहुत सख्त स्वभाव की हैं ।दो मिनट में इज्जत उतार देतीं हैं ।उनके सामने जाने में सब घबराते है।’

       मैने पहली बार देखा उनको तो देखती रह गई, कितनी खूबसूरत,सलीके से बाँधी हुई साड़ी,बड़ी सी गोल बिन्दी, उम्र भी कम ही रही होगी,चेहरे पर एक तेज, गरिमा, बहुत अधिक आकर्षक व्यक्तित्व और मनमोहक छवि थी ।

               पर हाँ सच में ही किसी से मधुरता से बात नही करती थी , आवाज़ बहुत मीठी पर लहजा बहुत कर्कश।

        कठोरता साफ झलकती थी उनके स्वभाव की ।

    मैने घर जाकर अपनी दी से कहा’ आपकी माधुरी दी !आप तो बहुत तारीफ कर रही थी अपनी दोस्त की। भगवान बचाये , बड़ी जालिम है वो दी।’

           दी पहले तो मुस्कुरा दी फिर गम्भीर होकर बोलीं,’ एक दिन ले चलूँगी तुझे उनके घर ।मेरी बहुत

अन्तरंग मित्र हैं वे।तुझे मिलवा दूँगी उनसे।’

‘न बाबा न , मुझे नहीं मिलना उनसे ।मुझे माफ करो।’

   दी हँस कर रह गई ।

             और शीघ्र ही उनके घर जाने का अवसर मिल ही गया।

उनकी माँ की तबियत खराब हो गई तो वे छुट्टी पर थीं, और कुछ आवश्यक फाइलों को उनके हस्ताक्षर करवाकर लाना था।

मैंने दी को साथ लिया और पहुँच गई उनके घर ।

              रास्ते में जो दी ने उनके बारे में बताया सुन कर जड़  हो गई।

शादी के साल भर के अन्दर ही

विधवा हो गई थी, यहाँ मायके आ गई ।कुछ दिन बाद ही पिता का हार्ट फ़ेल हो गया।माँ और दो छोटे भाई बहन की परवरिश की जिम्मेदारी बखूभी निभाई ।बहुत खूबसूरत थी लोगों की गलत निगाह का सामना भी करना पड़ा ।तभी से खुद पर सख्त स्वभाव का

नकाब डाल के रखती है , जिससे किसी की हिम्मत न हो कुछ कहने की।अन्दर  बहुत करुणा, बहुत दर्द, बहुत दया से सराबोर ।कितनी मदद  करती हैं जरूरतमंद लोगों की।

        हम घर गये कितने प्यार से हमारा स्वागत किया उन्होंने, कितनी सौम्य, कितनी मधुर, कितनी निष्ठा से अपने कर्तव्यों को

निभाती हुई ।अपनी माँ की देखभाल छोटे भाइयों के साथ स्नेह , उनको किसी योग्य बनाने की लगन।

 बिलकुल बदला हुआ स्वभाव, भिन्न रूप  दिखा मुझे उनका।

बाहर से कठोर पर अन्दर से कितनी स्निग्ध, प्रेम रस से परिपूर्ण ।अपना पूरा जीवन परिवार के लिये

उत्सर्ग करने की भावना से सराबोर।

               नतमस्तक हो गई उनके व्यक्तित्व के समक्ष ।

सुधा शर्मा

मौलिक स्वरचित

 

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!