क्यों देते हैं लोग तनाव – मंजू ओमर : Moral stories in hindi

सुनीता के घर में तनाव की कमी नहीं थी। कहते हैं न कि घर में पति पत्नी हो और कोई झंझट न हो और बच्चे घर से बाहर हो तो तनाव की स्थिति नहीं रहती । पति पत्नी में कुछ सालों तक अनबन और विवाद हो सकता है क्योंकि दो लोग अलग-अलग परिवार और परिवेश के होते हैं और उनके विचार भी अलग होते हैं ।

उनमें आपस में तकरार की स्थिति आती रहती है । लेकिन शादी के 30,35 सालों के बाद तो टकराव कम हो जाता है । क्यों कि इतने समय तक आप साथ-साथ रहते रहते एक दूसरे को काफी हद तक समझने लगते हो , लेकिन सुनीता के घर पर स्थिति दूसरी थी ।

                पहले पति काम धंधे पर या नौकरी पर चले जाते थे तो एक अच्छा खासा समय घर के बाहर निकल जाया करता है । लेकिन रिटायर मेंट के बाद पति जब पूरे समय घर पर रहने लगते हैं तो वे अपने को किसी महाराजा से कम नहीं समझते ।

अगर पति इतने वर्षों तक काम करके रिटायर हो रहे हो तो पत्नी भी तो आखिर बुजुर्ग है रही हैं।उसका ख्याल क्यों नहीं आता । सुनीता के घर में भी यही हाल था । घर पर रहते हुए उनके पति सुनील जी दिनभर तनावपूर्ण माहौल बनाए रखते थे । सुनीता का स्वास्थ थोड़ा ठीक नहीं रहता था।

             क्यों सुमी , सुनीता को सुनील जी सुमी कहते थें,दस बज गए अभी तक तुम्हारा काम खत्म नहीं हुआ अभी तक नाश्ता नहीं बना कब नाश्ता बनेगा , अभी बना रही हूं सुनीता बोली ,नहा कर नाश्ता बनाना । हां थोड़ी देर हो गई नाश्ता बना लूं तो नहा लूंगी । नहीं पहले नहाओ फिर नाश्ता बनाना कितनी बार कहा है तब भी समझ नहीं आता। सुबह जल्दी क्यों नहीं उठती जब इतना धीरे धीरे काम करना होता है तोकल से मुझे दस बजे तक काम पूरा हो जाए  ऐसा दिखे ।अब बताइए खुद तो महाशय नौ बजे तक बिस्तर पर पड़े रहते हैं और पत्नी  को कह रहे हैं जल्दी उठा करो ।

              और कैसी सब्जी बनाई है तुमने मसाला वसाला नहीं डाला है क्या ,अरे सब मसाला तो डाल दिया सुनीता बोली फिर क्यों नहीं अच्छी बनी ,अब कल सब्जी बनाओ तो हमसे पूछ कर सब्जी बनाओ हम बताएंगे क्या क्या मसाला डालो पता नहीं क्या बना कर रख देती है ।

सुनीता रोज रोज ये सुन कर परेशान हो गई थी एक दिन गुस्से में बोली आप खुद ही बना लिया करों हमें बताने से तो अच्छा है खुद ही बना लो । सुनील जी बोले अच्छा अब औरतों का काम मैं करने लगूं। सुनीता बोली अब आप ही तो बता रहे हो सब्जी बनाना तो बना ही लो तो क्या बुराई है ।

              नल चले गए तुम जल्दी उठकर पानी क्यों नहीं भरती ,अरे आज जरा उठने में देर हो गई बस बहाना तो मुंह पर रखा रहता है सुनील जी बोले ।आज मैं दाल रोटी बना कर रख दूंगी जरा मिसेज गुप्ता के यहां सत्य नारायण की कथा में जाना है तो क्या मैं ठंडी रोटी खाऊंगा क्या ‌जब खाना खा लूं तो चली जाना , लेकिन तब-तब तो पूजा समाप्त हो जाएगी । छोड़ो जाने दो मत जाओ।

                  और ये वाशिंग मशीन में कपड़े क्यों डरें है अभी तक धोएं क्यों नहीं तुमने ,और ये मेथी की भाजी क्यों पड़े पड़े सूख रही है फ्रिज में क्यों नहीं रखा और हां आज मक्के का आटा पीस देना मुझे मक्के की रोटी खानी है ।

             इस तरह की जाने कितनी हिदायतें सुनील जी दिनभर सुनीता को देते रहते हैं । दिनभर घर में तनाव का माहौल बनाए रखते हैं । सुनीता परेशान हो गई थी कहती पहले नौकरी पर चले जाते थे तो कम से कम सात आठ घंटे शांति रहती थी ।अब तो दिनभर घर में रहते हैं नाक में दम किए रहते हैं।

             आश्रम सुनीता इसी तरह तनाव में रहते रहते शुगर और हाई ब्लडप्रेशर की मरीज बन गई है ।और कल बाथरूम में चक्कर खाकर गिर पड़ी की घंटे बेहोश पड़ी रही घर पर कोई न था सुनील जी भी कहीं गए थे ।जब शाम को घर आए तो दरवाजा नहीं खुला फिर आस पड़ोस की मदद से दरवाजा खोला तो देखा सुनीता बाथरूम में बैहोश पड़ी थी । अस्पताल में भर्ती कराया गया ।हाई ब्लडप्रेशर से ब्रेन हेमरेज हो गया था । इलाज चला बीस दिन बाद सुनीता घर लौटी तो न नर्स लगाकर सुनील जी सुनीता की देखभाल कर रहे हैं।

                दोस्तों की घरों मैं ऐसा होता है की पति पूरी तरह से हावी रहते हैं पत्नी पर ।बस फर्क इतना है कि किसी के घर का पता लग जाता है और किसी के घर का पता नहीं चलता । जीवन संगिनी है आपकी आप बूढ़े हो रहे हैं तो वो भी उम्र दराज़ हो रही है ।उसका भी ख्याल रखिए । जरूरी नहीं है कि सबके घरों में और सबके साथ ऐसा ही हो रहा हो । कोई भाई अन्यथा न लें । किसी को दुखी पहुंचाने को मैंने नहीं लिखा है । लेकिन ये वाकया मेरी एक जान पहचान वाले के साथ हो रहा था तो मैंने लिख दिया । किसी को ठेस  पहुंचे तो क्षमा प्रार्थी हूं ।

        मुझे तो बड़ा गुस्सा आता है ऐसी परिस्थिति से जूझते लोगों की कहानी सुनकर ,आप भी कहानी ही समझ कर इसे पढ़िए । लेकिन एक बात तो तय है कि ऐसा भी होता है ।

मंजू ओमर

झांसी उत्तर प्रदेश

1 thought on “क्यों देते हैं लोग तनाव – मंजू ओमर : Moral stories in hindi”

  1. Jeetey ji koi kadar nahin karta. Agar pehle se support karo to andar ghut ghut k dheron beemaariyaan na lagein. Aurat ko bina daam ka naukar samajhte hain. Agar lady pehle chali jaaye to yahi fir jeetey jee narq jaisi jindagi jeetey hain tab kadar hoti hai patni ki

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