खिलाफ़ – पूजा मिश्रा  : Moral stories in hindi

 मुझे घर जाते हुए डर लग रहा था पता नही मेरा ये फैसला घर वालों को मंजूर होगा या नही , मां को तो समझा लूंगा पर पापा और चाचा को समझाना मेरे वश का नही है।

   जिसको जिंदगी में आना होता है वह आ ही जाता है,मैं और अंशुमान साथ टू बी एच के फ्लैट में रहते मस्ती से जी रहे थे ,शैली आकर सुबह नाश्ता बना जाती थी शाम का डिनर भी बहुत अच्छा बनाती थी ।हम दोनो अपने काम में लगे रहते गप शप करते रहते वह फटा फट डिनर तैयार करती और टेबल पर रखकर चली जाती ।

   हम लोगों से उसका संवाद कुछ शब्दों में होता था 

सर क्या बनाना है ?

सब्जी फ्रिज में क्या है ?

अगर लौकी है तो लौकी के कोफ्ते , पालक है तो पालक पनीर ।

हम दोनो से पूछकर दाल सब्जी रोटी बनाकर वह जल्दी से निकल लेती ,खाना बनाती मस्त है स्वाद है उसके खाने में ।जो भी सब्जी बनाती ,बनाती बढ़िया है ।

  हमने कभी उससे ज्यादा बात नहीं की वह भी नपे तुले शब्दो में बात करती और जल्दी जल्दी काम करके निकल जाती ।

  एक दिन बोली सर कल मैं नही आऊंगी 

 क्यों कही जाना है ?

सर मेरा कंप्यूटर डिप्लोमा का एग्जाम है

किसमे डिप्लोमा कर रही हो 

फाइनेंशियल एकाउंट ( टैली ) में सर

तुमने पढ़ाई कहा तक की है 

बी एस सी हूं सर

ठीक है कल मत आना हम मैनेज कर लेंगे ।

अंशुमान बोला यार ये खाना बनाने का काम कर रही साथ में पढ़ाई ।गजब टेलेंट है डिप्लोमा वह भी फाइनेंस में ,

अब हम लोगों का ध्यान उसकी पढ़ाई के बारे में जानने को लगा रहता ।

तुम्हारा कोर्स कितने दिनों का है 

सर छह महीने का है ,मैने लैपटॉप किस्तों पर लिया था उसकी किस्त देने के लिए आपके यहां काम करती हूं 

पर तुम तो खाना भी अच्छा बनाती हो तो अकाउंट भी अच्छे संभालोगी ।

 अब शैली को हम काम बाली नही समझते वह एक कर्माठ लड़की लगती थी अपना भविष्य अभावों के बीच रहकर स्वयं बना रही थी ।

    अंशुमान कहता यार अमित ये डिप्लोमा कर कर के कही हमारे ऑफिस में जाब करने न आ जाए ।

अपन साले बाप के पैसों से बी टेक करने के बाद अब कमाने लायक हुए ।

  हम दोनो शैली के बारे में कुछ ज्यादा बात करने लगे थे उसके लिए एक रिस्पेक्ट हो गई पर उसके घर के 

बारे में पूछने की हिम्मत नही होती वह अपने काम से काम रखती और चली जाती ।

  ऑफिस की तरफ से अंशुमान को दो महीने के लिए लंदन जाना था ,वह चला गया और फ्लैट में जब अकेला रह गया तो शैली के आने पर मुझे अजीब सा लगता ।वह पूछती क्या बनाऊं सर?

तुम जो ठीक समझो बना लो तुम्हारे खाने में इतना स्वाद है की तुम जहर भी बना दोगी मैं खा लूंगा ।

सर आप कैसी बात करते है 

शैली तुम्हारे घर में कौन कौन है 

मेरी मां नही है बाबा है दो भाई है ।

बाबा एक कम्पनी में बाच मैन हैं,दोनों भाई पढ़ाई कर रहे हैं मुझे घर में खाना बनाना होता है इसीलिए अच्छे से सीख गई हूं ।

मेरी नौकरी लग सकती है सर कोर्स पूरा होने पर 

क्यों नही ,जरूर लग जायेगी मैं भी कोशिश करूंगा तुम्हे जाब दिलाने के लिए ।

ये सुनकर वह बहुत खुश हो गई अब हम दोनो के बीच कुछ झिझक कम हो गई अब वह भी काम करके भागने की नही सोचती ,सर मैं जाती हूं कहकर दरवाजा बंद कर जाती थी ।

आज पूछने लगी सर मैं जाऊं आप अकेले बोर होते होंगे पास में कालिंगराज मंदिर है आप जा सकते है मेरे रास्ते में पड़ता है ।

 ठीक है मैं चला जाऊंगा ।

शनिवार का दिन था आज ऑफिस जाना नही था तो खूब नीद का मजा लिया शैली आई नाश्ता खाना बना कर चली गई मैं सोता रहा ।

  शाम को मेरा मन घर से बाहर जाने का कर रहा था शैली के इंतजार में था वह काम कर जाय तो आज कलिंगराज मंदिर जाऊंगा ।

  शैली के आने के बाद तेज बरसात शुरू हो गई वह खाना बनाने के बाद जाने लगी तो मैने रोक लिया तुम भीग जाओगी मैं मंदिर जा रहा मैने कैब बुलाई है तुम्हे छोड़ दूंगा

कैब में उसके साथ बैठना मुझे बुरा नही लग रहा था आज मैं उसे पास से देख रहा था बड़ी बड़ी झील सी आंखे लंबे बालों की चोटी उस पर सफेद फूलो की बेड़ी लगी हुई ।

मेरा उसे छूने का मन कर रहा था परंतु लज्जा के कारण ऐसा नहीं किया ।

     मंदिर से लौटकर पता नही क्यों मुझे शैली के बारे में तरह तरह के खयाल आते रहे ।

अगले दिन रविवार था मैं अपना कमरा ठीक कर रहा था 

शैली ने आकर कहा मैं कुछ मदद करू 

उसके पूछने के ढंग ने पता नही क्या किया मैने उसे बाहों में भर लिया उसने भी कोई प्रतिकार नही किया और हम दोनो की औपचारिकता अब खत्म हो गई थी ।

  मुझे शैली बहुत अच्छी लगती है उससे मुझे प्यार हो गया है वह भी मुझे प्यार करती है अपने प्यार में उसने सीमा नहीं तोड़ी वह वर्जिन है ।शादी के पवित्र रिश्ते को दूषित नही करना चाहती है ।

     दो महीने बाद जब अंशुमान आया तो वह भी हमारे इस प्यार का मजाक बना रहा था ।

  यार अमित तू पागल है घर वाले तुझे आड़े हाथों लेंगे तेरा दिमाग़ सही है यार ठीक है थोड़ी मस्ती कर ली अब छोड़ो कोई दूसरा कुक रख लेते है मैं तो तेरे इस फैसले को सही नही समझता मैं तो खिलाफ हूं ।

   जब मेरा दोस्त खिलाफ़ है तो क्या घर वाले साथ देंगे ! मुझे शैली से प्यार है भगवान जोड़ी बनाते है तो क्या गरीब अमीर भी देखते है ?

  तभी घर आ गया सामने पापा खड़े थे मुझे देखकर खुश

हो गए ।

अच्छा हुआ तुम आ गए मैने तुम्हे कुछ खास निर्णय लेने के लिए बुलाया था ।

   घर में सब खुश थे मम्मी ने बढ़िया वाली चाय पिलाई मेरी पसंद की गुजिया बनी थी मजा आ गया ।

   मम्मी ने चार फोटो मेरे सामने रखते हुए सबके बारे में बताने लगी ,एक फोटो देकर बोली मुझे तो यह पसंद है परंतु मैं बेमन से उन्हें देख रहा था ।

    मम्मी मैने वहां एक लड़की पसंद की है बहुत अच्छा खाना बनाती है देखने में बहुत सुंदर है ।

अच्छा तुम्हे कहा मिली ?

वह हमारे यहां खाना बनाने आती है परंतु पढ़ी लिखी है कंप्यूटर में डिप्लोमा है ।

 तो खाना बनाने की नौकरी क्यों करती है तुम्हे फसाने के लिए अरे हम कहते थे पैसा कमाने वाले लड़को को जल्दी ब्याह देना ठीक है पता नही कब किसके जाल में फस जाए ।

 वही हुआ ,बेटा हमने क्या सपने देखे और तुम हमे क्या दिखा रहे हो शादी तुम्हारी हम लोगो की पसंद में होगी ।

  उसके पिता क्या करते हैं ?

बाचमन हैं एक कंपनी में ?

क्या “”बाचमैन की लड़की तुम्हे पसंद आई !चाचा जी चिल्लाकर बोले मैं तो एकदम खिलाफ हूं रिश्ता बराबरी के लोगो में होता है !

  तुम्हे हम लोगों की इज्जत का कोइ ख्याल नहीं है ।

घर में सब खिलाफ हो गए  ।

लौटते समय में मम्मी साथ आई खाने बाली को हटाने के लिए ,क्योंकि मेरी पसंद के सब खिलाफ थे ।

     पूजा मिश्रा 

  कानपुर 

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