कटी पतंग – डाॅ उर्मिला सिन्हा : Moral stories in hindi

  हवाई यात्रा के दौरान केतकी की भेंट कलश से हुई थी। दरअसल दोनों सिंगापुर जा रहे थे अपने-अपने काम से। दोनों की पहली विदेश यात्रा थी। थोड़ा कौतूहल और घबडा़हट स्वाभाविक था।

 प्लेन के उडते ही केतकी ने कमर की पेटी ढीली की… इधर-उधर नजरें दौडाई… बराबर के सीट से कलश उसे ही देख रहा था। वह झेंप गई।

उसने मुँह घुमाकर खिड़की से बाहर देखने की कोशिश की, “थैंक्स गाॅड, खिड़की वाली सीट मिली। “उसने बाहर ध्यान लगाया।

खेत खलिहान सब पीछे छूट रहे थे। नीचे घर मकान माचिस की डिब्बी के जैसा…” पहुंचकर मां को सब बताऊंगी। “

“अभी इदेश- विदेश जाने की कोई जरुरत नहीं है… विवाह शादी हो जायेगा तब जाना अपने दूल्हे के साथ… जहाँ दिल चाहे “मम्मी कुआंरी केतकी के विदेश यात्रा की चर्चा सुनते ही भड़क गई।

 “मेरा प्रोजेक्ट है मम्मी… बहुत मेहनत किया है मैने, कितने इंजीनियर के बीच मेरा चयन हुआ है…  सभी मुझे हैरत से देख रहे थे और तुम नाराज हो रही हो। “

“हां, हमारा समाज इसकी इजाजत नहीं देता, कौन विवाह करेगा तुमसे… हे भगवान… यह लड़की भी न कभी चैन से रहती है और न हमें रहने देती है। “मम्मी जब एकबार मुँह खोलती हैं तब किसी की भी नहीं सुनती।

   खैर, पापा, छोटा भाई, छोटी बहन किस दिन काम आयेंगे। केतकी के दृढ निश्चय के समक्ष…और सभी के अनुनय विनय पर मम्मी  को झुकना ही पड़ा और  उसका परिणाम केतकी के पाँव विदेशी धरती पर पड़ ही गये।

   सभी प्रक्रिया पूरी कर केतकी और कलश बाहर निकले… दोनों का विभागीय टैक्सी तैयार था।

“हाय हल्लो “कर दोनों अपने गंतव्य की ओर बढ चले। संयोग से दोनों का आरक्षण एक ही होटल में अगल-बगल के  कमरे में था। औपचारिकता निभा दोनों अपने कमरे में शिफ्ट हो गये। लंबी उड़ान, दोनों जगहों के समय मौसम में फर्क …कमरे में ही चाय नाश्ता और खाना मंगवाया। अपने-अपने परिवारों  से बात की और सो गये।

  दो-तीन दिनों के पश्चात डाइनिंग हाॅल में दोनों आमने-सामने …”कैसे हैं “!

“बढिया और आप ” दोनों एक ही टेबल पर मनपसंद नाश्ता लेकर बैठ गये।

“आप कहाँ से… “कलश ने परिचय करना चाहा।

“दिल्ली साइड से और आप… “?

“मैं भी राजधानी से सटा उत्तर प्रदेश से”!

    दोस्ती बढते ही दोनों एक दूसरे के साथ खाली समय में दर्शनीय स्थलों पर घुमते… एक-दूसरे का फोटो खींचते… बाह खाकर होटल लौट… काम में लग जाते। केतकी कभी भी कलश के साथ फोटो नहीं खिंचवाती थी … इस बात का ध्यान रखती “मम्मी के नजरों में मुझे नही गिरना। लेकिन अनजान जगह पर घुमने-फिरने के लिये कोई साथी तो चाहिये। “

   एक वीकेंड में दोनों घूमते फिरते थक गये… सामने एक साधारण सा होटल देख… उसी में  चले गये।

“दो सैंडविच और दो काफी” आर्डर दिया। अभी  खाद्य पदार्थ आया ही था कि सामने से एक अस्तव्यस्त लड़की को थामे दो लड़के अंदर  आये। लड़की को एक प्रकार से ठेल कर लड़कों ने चेयर पर बैठा दिया। लड़की ने सिर मेज पर टिका दी। दोनों साथ वाले आपस में कुछ खुसुर-पुसुर करने लगे

अचानक एक झटके से लड़की ने चेहरा उठाई और उसपर नजर पड़ते ही केतकी चीख उठी, “छवि, छवि दीदी… इन्हें मैं जानती हूं… ये यहाँ कैसे आ गई ” केतकी दौड़कर अजनबियों के टेबल पर पहुंची… पीछे-पीछे कलश भी… तबतक सामने वाली लड़की पुनः टेबल पर लुढक पड़ी… सभी कस्टमर उनकी ओर देखने लगे।

  केतकी ने ऊंची आवाज में अंग्रेजी में लडकों से पूछा, “छवि दीदी यहाँ कैसे… तुम्हारा इनसे क्या संबंध है? “

“नथिंग, डान्ट नो “लडकों ने स्पष्ट किया।

उनके अनुसार ये उन्हीं के पास वाले अपार्टमेंट में  किसी के साथ रहती थी…वह छोड़कर चला गया… मकानमालिक ने निकाल दिया… अब मारी-मारी फिरती हैं। वे खाना मांग रही थी… चूंकि लड़के इनको जानते थे अतः मानवता के नाते यहाँ खिलाने ले आये… “मगर ये नशे में बेहोश हैं। “

  फिर पुलिस आई उन्हें अस्पताल ले गयी। केतकी भी कलश को लेकर वहाँ गई… जानकारी चाही लेकिन कुछ खास हाथ नहीं आया।

   “छवि दीदी के लंबे घने काले घुटने तक केशराशि, गोरा चंपई रंग, तीखे नाक-नक्श,लंबा कद… उज्जवल दंत पंक्तियां… जो देखता… देखते ही रह जाता… लेकिन उनके उपर हीरोइन बनने का भूत सवार था… मेरी बेस्ट फ्रेंड की बड़ी दीदी थी… मैं इंजीनियरिंग करने चली गई… उसके पापा का ट्रांसफ़र हो गया… फिर सुनने में आया छवि दीदी किसी के साथ घर से जेवर पैसे लेकर सिनेमा में भाग्य आजमाने भाग गयी हैं… उनके घर वाले शर्मिंदगी से किसी को मुंह दिखाने के लायक नहीं रहे… आनन फानन में मेरी दोस्त का विवाह कर दिया और छवि दीदी… सात समन्दर पार इस हाल में… हे ईश्वर”केतकी एक सांस में पूरी कहानी सुना दी। सीधा-सादा कलश बेकार ही इन झमेलों में पड़ गया था।

“इसके घर वालों को सुचित कर दो, वे अपना समझेंगे। “

“ठीक”केतकी ने स्वीकृति में सिर हिलाया।

   इस अप्रत्याशित घटना से घबडाई केतकी ने अपने घर वालों को छवि के फोटो सहित संपूर्ण विवरण मेल कर दिया।

सप्ताह भर में ही मम्मी का  जवाब आ गया, “यह छवि किसी के साथ अपने माता-पिता के जीवन भर की कमाई, जेवर, प्रतिष्ठा लेकर भागी है… उनलोगों के लिये वह मर चुकी है।

तुम्हारी सहेली का विवाह भी पुराने ख्यालात वालों के घर हुई है… अतः भूलकर भी उसको खबर नहीं होनी चाहिए… तुम अपना काम  से काम रखो। “

 “ठीक ही तो कह रही हैं मम्मी ,जो अपनी कामना पूर्ति के लिये अनुचित कदम उठाता है उसके लिये किसी के हृदय में स्थान नहीं रहता। “

  केतकी और कलश के वापसी का समय आ गया। छवि स्वस्थ हो चली थी।

“दीदी, यहाँ आप कैसे पहुंची और आपके लंबे बाल.. और ऐसी दारुण स्थिति”छवि एक बार में ही सबकुछ जान लेना चाहती थी।

   “मेरे उपर अपनी सुंदरता काबलियत और हीरोइन बनने की ऐसी खुमारी थी कि मैं इस चालबाज के बातों में आ गई। उसने मंदिर में मुझसे शादी की और किसी  बदमाश के सहारे शुटिंग का बहाना कर विदेश ले आया… यहाँ की खूबसूरती चकाचौंध देख मैं  उसकी बातों में आती चली गई। पहले मेरे लंबे बाल कटवाये… पैसे के लिये मेरा इस्तेमाल अपनेदोस्तों के साथ करने लगा। मै विरोध करती, “मैं तुम्हारी पत्नी हूं… मेरी भी कोई इज्जत है। “

“पत्नी कैसी पत्नी… उस नकली शादी को… जो लड़की अपनी नाजायज इच्छा पूर्ति के लिए अपने सगे माता-पिता के घर चोरी कर सकती है अनजान के साथ भाग सकती है… उसकी कैसी इज्जत। “

“मुझे उसने बुरी तरह पीटा …जब मैं बेहोश हो गई मेरे सारे जेवर पैसे लेकर भाग गया… दूसरे दिन मकानमालिक ने घर से निकाल दिया… तब से मैं मारी-मारी …लोगों की दया पर जीवित हूं। “

“खैर, कल मैं जा रही हूं आप कोशिश करें वापस आकर अपने माता-पिता से माफी मांग… नया जीवन शुरु करने की।”

“मुझ कुलटा को घरवाले माफ कर अपनायेंगे “वे रो उठी।

 छवि दीदी की दयनीय हालत देख… मुझे मम्मी की चिंता समझ में आ गई।

  वापसी के लिये हम प्लेन में बैठ चुके थे…कटी पतंग बनी छवि दीदी की मार्मिक याद लिये।

सर्वाधिकार सुरक्षित मौलिक रचना -डाॅ उर्मिला सिन्हा©®

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