गलत के खिलाफ – आरती झा आद्या : Moral stories in hindi

नहीं मैं पुलिस कंप्लेन वापस नहीं लूॅंगी, मेरा भाई है तो क्या हुआ? उन लड़कियों का भी तो सोचिए, जिन्हें यह दिन भर गंदे गंदे संदेश भेज कर परेशान करता रहता है। मैं भाई के खिलाफ नहीं गलत के खिलाफ हूॅं। मालिनी के शिकायत दर्ज कराने पर पुलिस स्नातक कर रहे उसके भाई रवीश को पकड़ ले गई थी और मालिनी अपने मम्मी पापा के फटकार का सामना करती अपने मम्मी पापा को समझाने का प्रयास कर रही थी।

उसे याद आ गया था एक साल पहले का समय, जब बारहवीं की परीक्षा के बाद रवीश सब कुछ छोड़छाड़ कर नए नए मिले मोबाइल में घुसा रहता था। पहले तो उसने सोचा नया नया मोबाइल मिला है इसलिए ये हाल है। लेकिन लत तो लत होती है, स्नातक में प्रवेश के बाद भी रवीश के लिए मोबाइल ही सब कुछ हो गया था। धीरे-धीरे बातें करना, अजीब तरीके से मुस्कुराना ये सब देखकर मालिनी रवीश से पूछती रहती, “ये दिनभर तुम्हारे फोन पर क्या टूं टूं बजता रहता है भाई, मालिनी अपने छोटे भाई सुंदर से पूछती है।”

“क्या, कुछ नहीं दीदी, तुम अपने काम से काम रखो दीदी।” बोलकर सुंदर किताब और मोबाइल उठा कर कमरे से बाहर आ जाता।

समझ नहीं आ रहा ये लड़का आजकल कर क्या रहा है। दिनभर किताब में घुसा रहने वाला लड़का अब मोबाइल लिए भटकता रहता है। मालिनी बड़बड़ा उठी थी।

मालिनी ने कई बार अपने मम्मी पापा से इस बारे में बात करनी चाही। लेकिन दोनों ने नया नया जोश है कहकर टाल दिया था। लेकिन मालिनी को रवीश का व्यवहार अस्वभाविक लग रहा था। कई दिनों की मेहनत के बाद मालिनी रवीश का पासवर्ड पता करने में सफल हो सकी और फिर उसने जो कुछ मोबाइल पर देखा, उससे उसकी ऑंखें बड़ी होती गई, उसका भाई ऐसा कर सकता है, मालिनी को विश्वास नहीं हो रहा था।

हेलो बेबी, कैसी हो, मेरे पास तुम्हारी कई विडियोज हैं। पैसे दे जाओ, वीडियो ले जाओ, नहीं तो इंटरनेट है ही, वायरल हो जाओगी, तुम्हें भी फायदा, हमें भी फायदा। ऐसे कई संदेश कई नंबर पर रवीश ने लिखे हुए थे और लड़कियों द्वारा गिड़गिड़ाते हुए कई संदेश भी थे। उसमें ही मालिनी ने देखा कि रवीश कई नकारात्मक समूह से भी जुड़ा हुआ था, जो रवीश और रवीश जैसे अन्य युवाओं को कई तरह के प्रलोभन देकर अनैतिक कार्य हेतु उकसा रही थी। 

मालिनी यह सब देखकर पढ़कर दंग थी। उसने भाई से बात करने का फैसला कर लिया था।

“ये सब क्या है रवीश?” दूसरे दिन रवीश के हाथ से मोबाइल छीन कर रवीश को दिखाती मालिनी कहती है।

“तुम्हें इससे क्या मतलब, क्या है ये और मेरा मोबाइल लेने की तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई?” रवीश चिल्लाया था।

“हिम्मत से क्या मतलब रवीश। किस चीज की कमी है तुम्हें, जो तुम पैसे उगाही का काम कर रहे हो, वो भी ऐसी हरकत।” मालिनी भी चीख रही थी।

“तुम नहीं समझोगी, एडवेंचर है ये।” रवीश खिलखिलाया था और इसी के साथ मालिनी का धैर्य चूक गया और वो रवीश को थप्पड़ जड़ती हुई कहती है, “शर्म नहीं आती है तुम्हें, अपनी बहन के सामने ऐसे गंदे कृत्य को एडवेंचर कह रहे हो।”

“तुम भी शामिल हो जाओ, दोनों भाई-बहन मिल कर कमाएंगे।” रवीश की सोच वीभत्स हो चुकी थी।

मालिनी उस एक पल में समझ गई थी कि उसके कुछ कहने, समझाने का रवीश पर कोई असर नहीं होने वाला। इसलिए वो अपने माता पिता को सच्चाई से अवगत कराती हुई मम्मी पापा से बात कर रवीश से चर्चा करने के लिए कहती है, लेकिन उन्होंने मालिनी की बात को पूरी तरह से अनसुना कर दिया था। मालिनी भाई के साथ साथ माता पिता के व्यवहार से आहत थी और आहत थी रवीश के मोबाइल में गिड़गिड़ाती लड़कियों के संदेश को पढ़कर। वो समझ नहीं पा रही थी कि क्यों लड़कियाॅं लड़कों द्वारा फैलाए इस मायाजाल में फॅंसने से पहले सोचती नहीं हैं। आज जहाॅं महिला सशक्तिकरण का इतना बोल बाला है, कैरियर को लड़कियाॅं जागरूक हैं, वहाॅं बिना सोचे समझे किसी पर भी विश्वास कर लेना कहाॅं तक उचित है। 

मालिनी महसूस कर रही थी कि रवीश की हरकतें दिनों दिन बढ़ रही थी। अब वह देर रात घर लौटता था और कुछ कहने पर उलटा जवाब देना उसकी फितरत बन गई थी। अब जब पानी सिर के ऊपर से गुजर गया था तब उसके व्यवहार ने अब उसके माता पिता की भी चिंता में डाल दिया था। लेकिन उनके कुछ कहने से रवीश को कोई फर्क नहीं पड़ता था और आज तो हद ही हो गई, जब माता पिता के रोकने पर रवीश उन्हें धक्का देता हुआ दरवाजा खोल घर से बाहर चला गया था। मालिनी उसी समय भाई को सुधारने के लिए भाई के खिलाफ खड़ी होने का निर्णय लेते हुए सीधे पुलिस स्टेशन पहुॅंचती है और शिकायत दर्ज करवाती है और अभी रवीश पुलिस स्टेशन में बैठा अपना कच्चा चिट्ठा खोल रहा था और मालिनी अपने माता पिता की फटकार सुनती भाई को सीधे रास्ते पर लाने के लिए कमर कस चुकी थी।

आरती झा आद्या

दिल्ली

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