इलज़ाम, आखिर क्यों? – पूजा शर्मा  : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : सुबह की सैर से घर में घुसते ही नीरज ने मां को आवाज़ लगाई और एक कप चाय बनाने के लिए कहां उसकी मां उसके लिए चाय बनाने रसोई में चली जाती है तभी उसके फोन की घंटी बजती है फोन उठा कर देखता है उसकी बहन प्रीति का फोन था। प्रीति एक सरकारी डॉक्टर बन चुकी है और एक महीने पहले ही कानपुर के एक सरकारी अस्पताल में उसकी जॉइनिंग हुई है। 

प्रीति का फोन उठाकर उसने पूछा कैसे हो प्रीति आज सुबह ही  कैसे फोन किया?  प्रीति नीरज को बताती है, भैया आज अस्पताल में मैंने राखी भाभी को देखा था वह मुझसे मिली थी गले का कैंसर है उन्हें और वह भी सेकंड स्टेज पर, इसी अस्पताल में उनकी कीमो चल रही है,  वह एक बार आपसे मिलना चाहती है प्लीज भैया आप मना मत करना। उनके पास ज्यादा वक्त नहीं है।

 केवल इंसानियत के नाते एक बार उनसे बात कर लीजिए। कैसी बात कर रही हो प्रीति मैं उस औरत की शक्ल भी नहीं देखना चाहता और कहकर फोन काट देता है नीरज वही कुर्सी पर बैठ जाता है। और पुरानी बातों के बारे में सोचने लगता है। 3 साल पहले ही तो  राखी उसकी जिंदगी में  आई थी। 

नीरज अपनी बहन और मम्मी पापा के साथ  दिल्ली में ही एक शादी में गया हुआ था ,जहां पर उसने राखी को देखा था पहली ही नजर में राखी को दिल दे बैठा था नीरज। नीरज के मम्मी पापा और बहन को भी राखी बहुत पसंद आई थी।

 राखी का परिवार दिल्ली में ही किराए के मकान में रहता था उसके पापा की कपड़े की छोटी सी दुकान थी। उसके परिवार में उसके मम्मी पापा  के अलावा उसकी छोटी बहन पिंकी थी जो 10th क्लास में पढ़ती थी बिना किसीभीऔपचारिकता के नीरज के मम्मी पापा ने उसके पापा से  नीरज के लिए राखी का हाथ मांग लिया था। 2 महीने बाद ही नीरज और राखी की शादी हो गई थी उसके पापा ने दहेज  बिल्कुल नहीं लिया था। 

नीरज दिल्ली में ही एक मल्टीनेशनल कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर था।  उसके पापा एक महीने पहले ही बैंक मैनेजर के पद से रिटायर हुए थे,  छोटी बहन प्रीति भी मेडिकल की पढ़ाई दिल्ली से ही कर रही थी। राखी के बहू बनकर आने से सारा परिवार बहुत खुश था।

 लेकिन उनकी यह खुशी ज्यादा दिन टिकी ना रह सकी,  शुरू के दो-तीन महीने तो घूमने फिरने में निकल गए राखी बहुत ज्यादा आजाद ख्यालों की लड़की थी। उसे बंधन पसंद नहीं था। शादी के चार-पांच महीने बाद ही राखी नीरज पर अलग घर लेने के लिए दबाव बनाने लगी थी।

 नीरज ने कड़े शब्दों में उसे बोल दिया था कि मैं अलग घर नहीं ले सकता।  मेरे मां-बाप और मेरी बहन मेरी जिम्मेदारी है मैं छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगा। क्या कमी है तुम्हें यहां पर सब लोग तुमसे कितना प्यार करते हैं तुम सबके प्यार का नाजायज फायदा मत उठाओ  लेकिन इसी बात को लेकर दोनों के बीच में क्लेश बढ़ने लगा था।

नीरज के पापा ने अलग होने के लिए कहा भी लेकिन नीरज इसके लिए बिल्कुल तैयार नहीं था  कितने अरमान से दुल्हन बनकर लाये थे सब राखी को । उनके सारे अरमान अधूरे रह गए थे। एक दिन राखी अपने मायके गयी और फिर लौट कर ही नहीं आई सारे जेवर और कीमती सामान अपने साथ ले गयी थी ,  अगले ही दिन  नीरज के घर पुलिस लेकर आ गई थी , शरीर पर चोट के निशान भी थे। 

राखी ने नीरज के पापा के खिलाफ नारी शोषण का मामला दर्ज कराया था। उसके पापा को पुलिस पकड़ कर ले गई थी। ऐसे मामलों की सुनवाई भी कहां होती है? कितने गिड़गिड़ाये थे सब राखी के सामने कि झूठा आरोप  मत लगाओ लेकिन राखी ने उनकी एक बात नहीं मानी।

 इतनी नीचता की कल्पना भी नहीं की थी उन्होंने राखी से। बहुत बड़ी कीमत लेकर राखी ने फिर अपनी रिपोर्ट वापस ली थी। नीरज के पापा की जमानत तो हो गई थी लेकिन वो एक कमरे में बंद होकर रह गए थे क्या गलती थी उनकी, एक देवता समान इंसान पर इतना बड़ा इल्जाम क्यों लगाया? नीरज खुद को भी कभी माफ नहीं कर सका था। इतना बड़ा सदमा वो बर्दाश्त ना कर सके और 2 महीने बाद ही चल बसे थे । कितनी मुश्किल से संभल पाए थे 

इस हादसे के बाद हम,  नहीं मैं उसे औरत से नहीं मिल सकता जो मेरे पापा की मौत की जिम्मेदार है उसकी आंखों में आंसू भर जाते हैं। तभी उसकी मां चाय लेकर आ जाती हैं,  वो प्रीति के फोन के बारे में बताता है। उसकी मां केवल इंसानियत के नाते राखी से मिलने के लिए कहती हैंऔर खुद भी नीरज के साथ कानपुर चली जाती हैं। प्रीति उन्हें राखी के पास ले जाती है।

 कैंसर की वजह से राखी कितनी कुरूप हो गई थी। उन दोनों को देखकर राखी उनके पैरों में गिर जाती हैऔर कहती है आपके माफ किए बिना मुझे मृत्यु भी नहीं आएगी।  देवता समान इंसान पर इतना बड़ा इल्जाम लगाकर मैं एक रात भी चैन की नींद नहीं सोई हूं।

 भगवान ने मुझे मेरी करने का फल दे दिया है। बस मेरी चिता को अग्नि देकर एक उपकार कर देना इतना कहकर  नीरज की मां की गोद में ही उसके प्राण निकल जाते हैं। सच में एक झूठा इल्जाम उस इंसान के साथ-साथ अपनी जिंदगी भी तबाह कर देता है। कहां भी गया है एक सरल आदमी से किया हुआ छल हमारे ही पतन का कारण बनता है।

पूजा शर्मा

 

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