हर बीमारी का इलाज दवा नहीं होती – माधुरी गुप्ता । Moral stories in hindi

सरोज शहर के नामी गिरामी मनोचिकित्सक के केबिन में बैठी थी। डॉक्टर साहब अभी तक आए नही थे।एसी केबिन में बैठ कर भी उसे पसीना आरहा था।मन में धुकधुकी मची हुई थी।कहने को आज डॉक्टर के साथ उसकी दूसरी सिटिंग थी।पता नहीं इस बार क्या क्या और पूछेंगे?

दरअसल सरोज के पति की काफी दिनों से तबियत कुछ ढीली चलरही थी। पहले तो फैमिली फिजिशियन को दिखाया तो उन्होंने कुछ एक टैस्ट कराने की सलाह दी।जब सभी टेस्टों की रिपोर्ट एकदम नार्मल आई तो डॉक्टर ने सलाह दी कि आप किसी मनोचिकित्सक से सलाह करके इनका इलाज करबायें तो बेहतर होगा। शायद आपके पति डिप्रेशन के मरीज होगये है। अतः इसमें किसी मनोचिकित्सक की राय ही बेहतर काम कर सकती है।

सरोज व नीरज की अरेंज मैरिज थी।सरोज को किसी शादी समारोह में देखा था उसके ससुर ने तभी मन बना लिया था कि इस आकर्षक व्यक्तित्व की धनी लडकी को अपने घर की बहू बनाऐगे।

गोरी चिटटी कमनीय देह व उपर से लम्बाई भी पांच फुट चार इंच, लम्बे घनी केश राशि, साथ ही मिलन सार स्वभाव, बस यही सब मन को भा गया।ऊपर से सरोज किसी मल्टीनेशनल कम्पनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत थी।

यों तो उनका बेटा नीरज भी हर तरह से सुशिसुशिक्षित था, इंजीनियरिंग की थी नीरज ने वह भी किसी कम्पनी में अच्छे पद पर कार्यरत था,पैकेज भी अच्छा था।

नीरज का रंग कालेपन की तरफ था साथ ही स्वभाव से भी अन्तरमुखी था,किसी से हंसना बोलना उसके

स्वभाव में शामिल नही था। शायद यही कारण था कि नीरज के पिता ने उसके लिए चुलबुली सरोज को पसंद कियाकि सरोज की संगति में शायद नीरज के स्वभाव में कुछ बदलाव आजाए।

सरोज व नीरज की शादी को दो साल हो चुके थे। शादी के बाद जब भी वे दोनों किसी पार्टी में जाते लोगों के फुसफुसा हट भरे शब्द नीरज के कानों में पड़ जाते। देखो क्या जोडी है लंगूर को हूर मिल गई।

यही सुनते-सुनते धीरे धीरे नीरज डिप्रेशन का शिकार होता गया।

पहले तो वह अपनी नाराज़गी सरोजपर जताता,लेकिन बिंदास स्वभाव की सरोज पर कुछ असर नहीं होता

सरोज उसे समझाने की कोशिश करती कहती लोगों का काम है कहना, कुछ तो लोग कहेंगे। लेकिन इन सब बातों से धीरे धीरे नीरज में इनफीरियरटी कॉम्प्लेक्स आगया।बह सरोज कोकहींअपने साथ ले जाने में कतराने लगा।सरोजका किसी के साथ हंसना बोलना नीरज को नागबार लगने लगा।

एक ही छत के नीचे रहते हुए दोनों एक दूसरे से अजनबी जैसे बन गए। पहले तो सरोज ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया कि शायद ऑफिस की किसी टेंशन की बजह से नीरज गुमसुम हों क्योंकि सरोज भी अपनी जॉब में व्यस्त रहती ।घर के काम काज के लिए फुलटाइम सर्वेंट था।

लेकिन जब सर्वेंट ने बताया कि साहव विना वजह मुझे डांट रहे थे, साथ ही आज-कल खाना भी ठीक से नही खारहे। छुट्टी के दिन जब सरोज ने कहा कि आज कहीं बाहर घूमने चलते हैं और खाना भी बाहर ही खालेगे तो नीरज ने बड़ी बेरूखी से जबाव दिया कि मुझे तुम्हारे साथ कहीं नहीं जाना है।

स्तिथि इतनी बढ गई कि नीरज से ऑफिस के काम में गड़बड़ी होने लगी, स्वभाव में चिड़चिड़ापन आगया।

बे बजह चीजों को फेंकना या तोड फोड़ करना पढ़ता गया।

अन्ततः सरोज को मनोचिकित्सक की राय लेनी पड़ी।पहले मनोचिकित्सक ने नीरज को अकेले बुलाया,फिर सरोज को अकेले बुलाया। मनोचिकित्सक ने पूछताछ की कि आप अपने पति से प्यार करतीं हैं या नहीं सरोज ने कहा ,ये कैसा वेहूदा सबाल है, जाहिर है हम दोनों पति पत्नी हैं तो प्यार तो होगा ही।

नहीं, यह कदापि जरूरी नही कि पति पत्नी में आपसी प्यार हो।कई बार ताउम्र साथ रहने पर भी पति पत्नी एक दूसरे से प्यार नहीं करते।

अच्छा,यह बताइए कि आपका आपसी तालमेल कैसाहै, बैडरूम में आपदोनो के रिश्ते कैसे हैं।

आप किस तरह के सवाल पूछ रहे हैं डॉक्टर साहब,कहते कहते सरोज को पसाीना आने लगा, उसे समझ नही आरहा था कि वह क्या जबाव दे।

दरअसल इन दो सालों में शायद ही कभी वे दोनों अंतरंगता से जुड़े हों। नीरज के स्वभाव का नीरसपनव कभी किसी बात को शेयर न करना ही धीरे-धीरे नीरज को डिप्रेशन की तरफ ढकेल गया।

डॉक्टर ने आते ही सरोज से स्पष्ट शब्दों में कहा कि आपको अपने व्यवहार से नीरज को यह विश्वास दिलाना होगा कि आपको उसकी परबाह है,आपको अपने काम से कुछ दिनों के लिए छुट्टी लेकर कहीं बाहर घूमने जाने का प्रोग्राम बनाना चाहिए,जहां आप दोनों एकान्त में अधिक से अधिक टाइम व्यतीत कर सकें।

आप समझ रही हैं न कि मैं क्या कहना चाह रहा हूं,#हर बिमारी का इलाज दबा नही होती#मानसिक बीमारियों शुरूआती दौर में आपसी तालमेल से भी ठीक हो जाती हैं

आपके पति को किसी दबा की नहीं आपके साथ व प्यार की जरूरत है जो आपको उनको अपना समय देकर महसूस कराना होगा।

जव मिस्टर नीरज ठीक होकर आपके साथ मेरे क्लीनिक में एकसाथ आऐंगे तो वहीं मेरी फीस होगी। अभी फिलहाल तो आप अपना बाहर घूमने जाने का प्लान बनाइए।नीरज से भी मैंने इस बाबत बातकरलीहै और बह भी आपके साथ अकेले में टाइम स्पेंड करने को तैयार है।बाकी आपके लौटने पर बात करते है ।ऑल द बेस्ट सरोज व नीरज।

स्वरचित व मौलिक

माधुरी गुप्ता

नई दिल्ली

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