दिल का रिश्ता- के कामेश्वरी । Moral stories in hindi

ममता वियान को लेने स्कूल गई ।  उसे कार में बिठाया और देखा कि उसका मुँह लटका हुआ था । 

ममता ने पूछा क्या बात है आज मेरा राजा बेटा उदास है । उसने कहा कि मॉम कल से स्कूल की छुट्टियाँ हैं । 

मुझे मालूम है मैंने और पापा ने ऑलरेडी प्लान बना लिया है । इस बार हम डिज़्नी देखने जाएँगे । वह फिर भी चुप था । ममता के बार बार पूछने पर उसने बताया था कि उसके बहुत सारे दोस्तों के दादा दादी या नाना नानी इंडिया से यहाँ आते हैं या फिर ये लोग उनके पास जाते हैं । हम क्यों नहीं जाते हैं हमारे घर कोई क्यों नहीं आता है कहते हुए उसकी आँखें भर आईं थीं । 

मैंने घर आकर प्रवीण को बताया था तो वे भी उदास हो गए थे । हम दोनों एक ही कॉलेज में पढ़ते थे । हम दोनों ने माता-पिता को खो दिया था । 

मेरे मामा ने मुझे पढ़ाया लिखाया था और प्रवीण ने अपने चाचा के घर में रहकर पढ़ाई पूरी की थी । 

शायद इसी गम ने हम दोनों को एक दूसरे से जोड़ दिया था । हमने बड़ों के आशीर्वाद से शादी कर ली थी । हमारा ही बेटा है वियान जिसे हम प्यार से मुन्ना पुकारते थे । 

जब मुन्ना दादा दादी के बारे में पूछता था तो प्रवीण उसे समझाने की कोशिश करते थे कि तुम्हारे दादा दादी और नाना नानी भगवान के पास चले गए हैं । 

मुन्ना दोस्तों की बातें सुनकर उदास हो जाता था कि उनके किसी के भी ग्रेंडपेरेन्ट्स भगवान के पास नहीं गए सिर्फ़ मेरे ही क्यों गए जिसका जवाब हमारे पास नहीं था । प्रवीण अपने कंपनी की ओर से अमेरिका में एक साल से रह रहा था । कंपनी ने उसे प्रॉजेक्ट वर्क में तीन साल के लिए यहाँ भेजा था । 

प्रवीण ऑफिस जा रहा था तो मुन्ना ने पूछा पापा इस बार मेरा बर्थडे गिफ़्ट क्या है । 

प्रवीण ने कहा कि ऑफिस आते ही केक काटने के बाद तुम्हारे लिए एक सरप्राइज़ गिफ़्ट होगा तैयार रहना । 

मुन्ना सरप्राइज़ गिफ़्ट के बारे में सोचने लगा । शाम को प्रवीण के ऑफिस से आते ही केक कटिंग हुआ और तीनों बाहर निकल गए । उनकी कार एक वृद्धाश्रम के सामने रुकी । मुन्ना का हाथ पकड़कर ममता और प्रवीण अंदर पहुँचे । 

प्रवीण ने पहले ही उनके आने की ख़बर मैनेजमेंट को दे दी थी इसलिए सारे बुजुर्गों को एक हॉल में इकट्ठा किया गया था । उन सबके सामने मुन्ना ने केक कट किया । उन्होंने मुन्ने को आशीर्वाद दिया । उनके लिए लेकर गए थे उन सबको वियान ने गिफ़्ट दे दिया था । 

वियान उनके साथ खेलता रहा । प्रवीण और ममता ने सोचा चलो वियान की ख्वाहिश पूरी हो गई है ग्रेंडपेरेंट्स के साथ खेलने की । उन्होंने कहा कि वियान थक गए हो तो चलते हैं । हमें लगता है कि तुम्हें मजा आया है इनके साथ खेलकर । उसने मायूस होकर कहा कि पापा मुझे ऐसे वाले दादा दादी नहीं चाहिए ।  मेरा दोस्त समर्थ है ना उसके दादा दादी के समान होने चाहिए । ममता को समझ आ गया था कि वह इंडियन ग्रेंडपेरेंट्स के लिए पूछ रहा है । 

वे तीनों जाने के लिए कार की तरफ़ बढ़ रहे थे कि पीछे से किसी ने पुकारा वियान बेटा ।  तीनों ने एक साथ मुड़कर देखा दादी साड़ी में थी और दादा जी धोती कुर्ता पहने हुए थे । उन्होंने पास आकर कहा कि जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई वियान बेटा । वियान को उन्होंने गले लगाया । वियान खुश होकर उनके साथ खेलने लगा । उसे ऐसे ही दादा दादी चाहिए थे । 

ममता सोच रही थी कि अमेरिका के वृद्धाश्रम में इंडियन बुजुर्ग कैसे जॉइन हुए होंगे । वियान अब वापस घर नहीं लौटना चाह रहा था । 

बडी मुश्किल से फिर से मिलने का वादा करके यह लोग वापस घर के लिए निकल रहे थे तो महिला ने कहा कि आप दोनों से एक विनती करूँ । 

ममता ने कहा कि अरे माँ बोलिए ना क्या बात है । 

उसने कहा कि हम यहाँ पाँच साल से रह रहे हैं । यहाँ की डबलरोटी खाने का मन ही नहीं करता है ।  कई बार हम पानी पीकर सो जाते हैं । आप लोगों को कोई तकलीफ़ ना हो तो हमारे लिए दाल चावल लाकर दोगी। 

उनके मुँह से यह सुनकर ममता और प्रवीण दोनों की आँखें भर आईं । उन्होंने कहा कि कोई तकलीफ़ नहीं है हम ज़रूर लेकर आएँगे ।

रास्ते भर मुन्ना उन्हीं की बातें करता रहा । दूसरे दिन वियान को स्कूल भेजकर ममता और प्रवीण वृद्धाश्रम की ओर चल पड़े । वहाँ पहुँच कर मैनेजमेंट से प्रवीण ने बात की और आनंद तथा सुमन जी को खाना खिलाया । दोनों दाल चावल सब्ज़ी को बहुत प्यार से चटकारे ले लेकर खाते रहे और दोनों को दिल से दुआएँ देते रहे । 

खाना खाने के बाद प्रवीण ने उनसे अपने बारे में बताने को कहा । उन्होंने बताया था कि उनका नाम आनंद शर्मा और उनकी पत्नी सुमन शर्मा हैं । मैं ज़्यादा पढ़ा लिखा नहीं हूँ इसलिए एक छोटी सी फ़ैक्टरी में क्लर्क था । हमारा एक बेटा सोहम है । सभी बच्चों के समान हमने भी अपने बेटे को पढ़ा लिखा कर बड़ा किया था । उसकी हमने शादी भी करा दी थी । 

वह शादी करके पत्नी के साथ अमेरिका चला गया था और अब उसके दो बच्चे भी हैं ।

मैंने जैसे आपको बताया था कि मैं एक छोटी सी फेक्ट्री में काम करता था । कुछ दिनों में वह छोटी सी फेक्ट्री बंद हो गई थी । 

मैंने सोहम अपनी हालत बताया तो उसने कहा कि मैं आपको पैसे नहीं भेज सकता हूँ प्लीज़ मुझे माफ़ कीजिए । 

अब हम दोनों को जीना तो है ही इसलिए सुमन दूसरों के घरों में खाना बनाने का काम करने लगी थी । 

सोहन को उनके दोस्तों के ज़रिए जब यह पता तो उसने फ़ोन किया था कि आप लोगों के लिए मैं टिकट भेज रहा हूँ आप दोनों वहाँ का घर बेचकर यहाँ आ जाइए ।

अभी तक सिर्फ़ मेरे दोस्तों तक ही बात फैली है कि माँ दूसरों के घरों में खाना बना रही है । 

आगे यह रिश्तेदारों में भी फैल जाएगा कि बेटे ने माता-पिता को सड़क पर छोड़ दिया है। मेरी बदनामी हो यह मैं नहीं चाहता हूँ । 

मैं घर बेचकर पत्नी को लेकर अमेरिका पहुँच गया । यहाँ का माहौल ही अलग है । मेरा बेटा बहू क्या बच्चे भी सीधे मुँह बात नहीं करते हैं । किसी तरह हमने उनके यहाँ एक साल बिताया था । 

एक दिन सोहम ने कहा कि हम लोग दो दिन के लिए बाहर जा रहे हैं । आप लोग हमारे पीठ पीछे घर को सँभाल लीजिए । 

दो दिन के बाद उन्हें आना था परंतु एक हफ़्ता हो गया वे नहीं आए । हमें भाषा नहीं आती थी बाहर की दुनिया को हमने देखा ही नहीं था । क्या करें समझ में नहीं आ रहा था ।

उस घर पर हम अकेले थे । 

एक दिन एक व्यक्ति आया यह कहते हुए कि वह सोहम का दोस्त है । उसने बताया था कि सोहम के कार का एक्सिडेंट हो गया है । परिवार में कोई भी नहीं बचा है । हमारी तो जैसे दुनिया लुट गई थी । 

दो दिन बाद वही दोस्त फिर आया और कहने लगा कि इंडिया के लिए वीज़ा जब तक नहीं बन जाता आप दोनों यहाँ रहिए कहते हुए इस होम में भर्ती करा कर चला गया था । 

यहाँ हम पाँच साल से रह रहे हैं । कम से कम अपने देश में रहते थे तो अच्छा था । 

यहाँ के लोगों का रहन-सहन बोल चाल सब अलग है बेटा । आज पाँच सालों बाद हमने दाल चावल खाया है। 

प्रवीण ने ममता से कहा कि मैं अभी आया और वह मैनेजमेंट के पास गया वहाँ जाकर इन्हें किसने भर्ती कराया है उनका फोन नंबर आदि लेकर आनंद जी और सुमन जी को अपने साथ घर ले जाने की परमिशन भी लेकर आ गया था । 

प्रवीण ने आते ही कहा कि आप दोनों तैयार हो जाइए हमारे साथ चलने के लिए । उसने यह भी कहा कि मैं अपने ऑफिस के काम से यहाँ आया हूँ । एक साल बाद इंडिया चला जाऊँगा तब आपको भी अपने ले जाऊँगा । 

हमें आपकी ज़रूरत है बिना कुछ सवाल जवाब किए प्लीज़ आप हमारे साथ चलिए । 

आनंद और सुमन जी की आँखों में आँसू भर आए सच ही तो है कि खून के रिश्तों से भी ज़्यादा दिल का रिश्ता खूबसूरत दिख रहा था । 

प्रवीण के साथ वे उनके घर आ गए थे । इस घर में सब उनकी इज़्ज़त करते थे । वियान तो बहुत ही खुश था वह उन्हें दादा दादी कहता है । प्रवीण ने लीगली उन्हें माता-पिता बना लिया ताकि बाद में कोई तकलीफ़ ना हो । 

एक साल बाद प्रवीण माता-पिता ममता और वियान को लेकर इंडिया आ गया था । जिनके माता-पिता नहीं होते हैं । शायद वे ही उनका कद्र करना जानते हैं ।

 प्रवीण ने सोहम के बारे में पता लगाया तो पता चला कि वह इंडिया आ तो गया था परंतु अपने पैसों के घमंड में चूर उसने सबको अपने से दूर कर लिया था । 

एक बहुत बड़े एक्स्डेंट ने माता-पिता से कही हुई झूठी बात को सच कर दिया था । पत्नी और बेटा बेडरिडन हो गए थे । बेटी ऑन द स्पाट गुजर गई थी । उसके सारे पैसे इलाज के लिए ख़त्म हो गए थे । अपने पास के पैसे ख़त्म होते ही परिवार के पालन पोषण की दिक़्क़त उसके सामने आ गई थी । इसलिए वह यहाँ एक छोटी सी कंपनी में नौकरी करने लगा था । कहते हैं ना कि ईश्वर की लाठी में आवाज़ नहीं होती है परंतु मार पड़ती जरूर है । 

के कामेश्वरी

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