हर बीमारी दवा से ठीक नहीं होती- कान्ता नागी । Moral stories in hindi

भगवान दास जी रेलवे कर्मचारी थे,वास्तव मे वे स्टेशन मास्टर थे।उनकी पत्नी राधिका जी कुशल गृहिणी थी।भरत और भारत दो पुत्र जो पढ़ाई खत्म कर नौकरी कर रहे थे।उनकी पुत्री का नाम मीरा था जिसने एम ए पास किया था।आजकल भगवान दास जी छुट्टी मे आए हुए थे। उन्होंने अपने सहयोगी के पुत्र मनीष के साथ मीरा का विवाह तय कर दिया था।

भगवान दास जी ने मनीष को एक फंक्शन मे देखा था,वह देखने मे शांत और मिलनसार था।वह एक कंपनी मे असिस्टेंट डायरेक्टर था।उसी के साथ मीरा का विवाह किया गया था।

जमशेदपुर में भगवान दास जी की कोठी थी सभी वहीं रहते थे।उनका संयुक्त परिवार था।चार महीने बाद भगवान दास जी रिटायर होकर घर आ गये।सारी जिंदगी अकेले रहे इसलिए उन्होंने निश्चय किया कि वे गांव मे अपने पुश्तैनी मकान मे रहेंगे। बेटों ने मना भी किया पर वे नहीं माने और पत्नी राधिका के साथ गांव मे रहने लगे।

भगवान दास जी को ग्रामीण वातावरण पसंद था।एक दिन राधिका ने कहा -वह चारों धाम की यात्रा करना चाहती है।

बस क्या था भगवान दास जी ने सारी तैयारियां कर ली।

हवाईजहाज मे दोनो का टिकट कटाया और चल पड़े चारों धाम की यात्रा पर दोनों को बड़ा मजा आ रहा था।काशी, हरिद्वार, गंगोत्री से होते हुए वे बनारस पहुंचे।

बनारस मे कुछ दिन ठहरे। संध्या को गंगा आरती देखी।

वहां से वापस अपने गांव सोनपुर वापस आ गए।

इंसान सोचता कुछ है और होता कुछ है।एक दिन भगवान दास जी ऐसा सोए कि उठे नही डाक्टर ने कहा कि नींद मे ही दिल का दौरा पड़ा। दोनों पुत्रों और बेटी दामाद को सूचना भेजी गई।सभी आ गये। दोनों बेटों ने मुखाग्नि की।तेरह दिनों तक सभी वही ठहरे।

ब्राह्मण भोज किया गया और गांव वालों को भी बुलाया गया।उसके बाद अम्मा जी को लेकर सभी जमशेदपुर वापस आ गये।

राधिका जी का यहां मन नही लगता था वह स्वयं को अकेला महसूस करती थी।सभी अपने अपने कामों मे व्यस्त रहते जिससे वे बीमार रहने लगी।

उनकी बीमारी का समाचार सुनकर मीरा और मनीष देखने आए।मनीष समझ गया कि राधिका जी स्वयं को अकेला महसूस करती है इसलिए उसने मीरा से कहा -माता जी को अपने घर ले चलो।

मीरा और मनीष उन्हें अपने घर ले आए।दोनो और उनके बच्चे अपनी नानी मां के पास सोते।उनसे कहानियां सुनते जिससे वे पहले जैसी खुश रहने लगी।

मनीष भी आफिस से आकर उनके पास बैठता और सब मिलकर सुबह-शाम की चाय पीते।

जब दोनों भाई अपनी मां से मिलने आए तो उन्हें ले जाने लगे पर उन्होंने जाने से मना कर दिया।अब बेटो को समझ आ गया कि कभी कभी साथ मिलकर रहने से बड़ी-बड़ी बीमारी भी दूर हो जाती हें दवा की जरूरत नही होती।

स्वरचित 

कान्ता नागी

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