सच्चा प्रेम- गीता वाधवानी । Moral stories in hindi

सुंदर मुखड़ा, काले घने बाल, दिलकश मुस्कान, बातों में जादू, आवाज में मधुरता और व्यवहार में शालीनता ऐसेमें कौन ऐसा होगा, जो उसे पर मर ना मिटे। 

शिल्पा ने जब उसे अपनी बेस्टफ्रेंड मोनिका की शादी में देखा था, तब सेउसका चेहरा शिल्पा की आंखों केसामने से हट ही नहीं रहा था। 

पहली नजर में ही मानो दिलका रिश्ता जुड़ गया हो, लेकिन सिर्फ शिल्पा की तरफ से। 

यूं तो शिल्पा भी बहुत सुंदर और पढ़ी लिखी थी, पर उसमें तो न जाने कैसी कशिश थी। 

आखिर वह था कौन? शिल्पा ने पहली बार उसे बारात में नाचते हुए देखा और फिर गोलगप्पे खाते समय, उससे टकराई। दोनों की नजरे मिली और फिर सॉरी का आदान-प्रदान हुआ। शादी में दोनों एक दूसरे को चोर नजरों से देखते रहे। स्टेज पर अपने दूल्हे के साथ बैठी मोनिका ने , शिल्पा के पूछने पर बताया कि वह मेरे पति विशाल का कजिन है, मामा जी का लड़का राघव। 

उधर राघव को भी शिल्पा बहुत अच्छी लगी। शादी के बाद जब मोनिका अपने पति विशाल के साथ मायके आई तो साथ में राघव भी था और उसकी नज़रें किसी को ढूंढ रही थी, पर वहां पर सिर्फ परिवार के लोग थे। 

मोनिका ने राघव को छेड़ा,”क्यों राघव भैया, ऐसा लग रहा है आपकी आंखें किसी को ढूंढ रही है।” 

राघव एकदम हड़बड़ा गया और बोला-“नहीं तो” 

शादी में शिल्पा ने जब मोनिका से पूछा था कि यह कौन है, तभी वह अपनी सहेली के मन की बात कुछ कुछ समझ रही थी। 

उसने अपनी मम्मी से कहा-“मम्मी, शिल्पा से मिलने का बहुत मन कर रहा है, बुला लूंक्या?” 

उसकी मम्मी ने हां कर दी। मोनिका ने शिल्पा को कॉल करके बुला लिया। शिल्पा बहुत खुश हो गई और मोनिका से मिलने आ गई। वहां आकर राघव को देखकर हैरान रह गई और मन ही मन खुश भी हो गई। राघव भी उसे देखकर खुश था और मुस्कुरा रहा था। 

दोनों में खाना खाते समय कुछ बातचीत भी हुई। 

शिल्पा मोनिका के पति को जीजा जी कहते हुए-“लीजिए जीजा  जी, रसगुल्ला लीजिए और फिर राघव के आगे भी उसने रसगुल्ले वाला डब्बा रखा। यहां के बंगाली स्वीट्स का फेमस रसगुल्ला है।” 

राघव ने फुसफुसा कर कहा-“आप भी लीजिए, आप लेंगी, तो ही मैं खाऊंगा वरना नहीं।” 

शिल्पा ने तुरंत उसकी बात मान ली और रसगुल्ला ले लिया। 

शिल्पा -“वैसे आप आजकल क्या कर रहे हैं?” 

राघव-“शिल्पा जी मैं textile meinQC मैनेजर की जॉब करता हूं और आप? ” 

शिल्पा-“मैं m.tech कर रहीहूं।”दोनों के बीच मोबाइल नंबरका आदान-प्रदान भी हो गया। 

उन लोगोंके जाने के बाद शिल्पा ने रसोई समेटने में मोनिका की मम्मी की बहुत मदद की और फिर वह अपने घर आ गई। 

एक दिन राघव ने शिल्पा को सबह-सुबह गुड मॉर्निंग मैसेज भेजा,शिल्पाने तुरंत जवाब दिया। 

एक दिन शिल्पा ने राघव को फोन लगाया और तुरंत काट दिया। राघव ने कॉल बैक किया तो बहाना बनाया कि एक फ्रेंड को फोन लगा रही थी तब भूल से आपको फोन लगा दिया। राघव सब समझ रहा था और मुस्कुरा रहा था। उसे भी शिल्पा से बात करने का मन था। दोनों ने काफी देर तक बातें की। 

एक दिन बातो बातों में उसने शिल्पा से पूछ लिया कि वह कौन से कॉलेज में पढ़ती है और अगले दिन वह वहां पहुंच गया। उसे देखकर शिल्पा केचेहरे पर रौनक आ गई उसने राघव के पास जाकर कहा-“आप यहां?” 

राघव ने भी बहाना बनाया-“हां, इधर किसी काम से आया था, सोचा आपसे भी मिल लूं।” 

दोनों को अपने-अपने बहाने समझआ रहे थे इसीलिए दोनों हंसने लगे और जाकर एक गार्डन में बैठ गए। वहां उन्होंने ढेर सारी बातें की और एक दूसरे को धीरे-धीरे समझने लगे। 

दोनों को प्यार हो गया था और दोनों अगरकभी मिल नहीं पाते थे तो फोन पर बात कर लेते थे। दोनों का प्यार सच में प्यारथा, आकर्षक नहीं। 

शिल्पा की पढ़ाई पूरी होने पर उसके घर के लोग उसकी शादीकी बात चलानाचाहते थे, तब शिल्पाने उनको राघवके बारे में बताया और राघव नेभी अपने परिवार वालों को शिल्पा के बारे में बताया। 

राघव के दादाजी पुराने ख्यालों के व्यक्ति थे और दादा जी से राघव बहुत प्यार करता था। दादाजी ने शिल्पा के साथ रिश्ताजोडने से साफ इनकार कर दिया। उनका कहना था कि शिल्पा पंजाबी है और हम लोग जैन। इसीलिए यह रिश्ता संभव नहीं। राघव ने दादाजी को समझाने की बहुत कोशिश की, पर वे नहीं माने। 

शिल्पाके घर वालों को एतराज नहीं था। राघवने शिल्पा को सब कुछ सच-सच बता दिया और शिल्पासे यह भी कहा कि अगर तुमसे मेरा विवाह नहीं हुआ तो मैं कहीं पर भी ,किसीसे भी विवाह नहीं करूंगा। 

शिल्पा नेभी कहा-“मेरा भी तुमसे” दिलका रिश्ता” जुड़ चुका है। मैं भी किसी और से शादी नहीं करूंगी।” 

लेकिन ऐसा असल जिंदगी में कहांहोता है। दोनों को अपने परिवारके दबाव के कारण, परिवार वालों की इच्छा अनुसार शादी करनी पड़ी और दोनों ने अपनी अपनीशादी को बहुत अच्छी तरह निभाया भी, पर एक दूसरे को कभी नहीं भूल पाए। एक दूसरेके जीवन में ना होते हुए भी, दोनों एक दूसरे केदिल में बस गए थे और रूह में उतर गए थे। दोनों ने मन से एक दूसरे को पा लिया था और यही तो”सच्चा प्रेम “होता है। 

स्वरचित, अप्रकाशित गीता वाधवानी दिल्ली

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