एक प्यार ऐसा भी …(भाग -19) – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi

जैसा कि आप सबने अभी तक पढ़ा कि निम्मी के बिना नमक के परांठे राजू बड़े चाव से खा गया है …. राजू के बाबा की विषबेल उतारने के लिए पूरी रात थाली बजाने और मंत्र फूंकने का कार्यक्रम चला…. राजू निम्मी से बात कर ही रहा होता तो कि आवाज आती है कि राजू तेरे बाबा….

अब आगे….

क्या बोल रहा राकेश बोल आगे…. ??

राजू,,,हांफते हुए राकेश से पूछता है ….

तू ही जाके देख ले….

निम्मी ,,राजू,,राकेश बाबा के पास आते है …..

बाबा खाट पे बैठे आराम से पानी पी रहे थे….

हो गए तुम सही बाबा…. मुझे पता था मेरे बाबा इतनी जल्दी ना जाने वाले….

राजू बाबा की ठुड्डी पकड़के बोला…..

हां तू तो यही सोच रहा होगा ना लला…. कि तेरा बाबा चला जाता और मेरा बक्सा तू हथिया लेता ….

वैसे ही पीछे पड़ा रहता है उसके…..

बाबा राजू का हाथ हटाते हुए बोले….

और ये अपने सखा करिया को कहीं जंगल में छोड़ आ….

मैं ही मिलूँ हूँ काटने को इसे ….

बाबा…… तुम ही कुछ ऊंगली किये होगे नहीं तो मेरा करिया किसी को नहीं काटता …..

और ये गुस्सा काहे हो रहे….. अब तो शहर ही रहूँगा….

तुम्हे ना कर रहा अब परेशान…. ठीक…..

राजू बाबा से बोलता है ….

का तू फिर से जायेगा रे लला शहर ….. मुझे लगी तू बाबा की सुध में आ गया है अब ना जायेगा….

अभी तो पढ़ाई शुरू भी ना हुई बाबा… तुम्हे देखने के लिए सब है ना गांव में…..

राजू बोला….

तुम लोगों की रामायण खत्म हो गयी हो तो मेरा पैसा दे दो…. विषबेल उतारना हर किसी के बस का नहीं…..

समझे…. गुरु जी बोले….

तो कितने पैसा दे दे बाबा बोलो??

राजू का बापू पप्पू बोला….

ज्यादा नहीं …. तुम शंभू के जानने वालों में हो…..

बस एक साल का राशन…. 5000 रूपये….. एक रजाई ,एक गद्दा …..

इतना ही दे दो…. नहीं तो कोई और होता तो 10000 से कम ना लेता  ….

गुरु जी बोले….

थोड़ा तो कम करो बाबा…. एक साल का राशन तो हमारे खुद के खाने का नहीं है ….. तुम्हे कहां से दे दे…..

पप्पू हाथ जोड़के बोला….

तू मुझे जानता नहीं है …. मेरे मंत्रो में इतनी ताकत है …..कि  दुबारा तेरे बापू को उसी हाल में वापस कर सकता हूँ…..

बाबा ज़रा कान इधर लाना…..

राजू के बाबा गुरु जी से बोले….

गुरु जी कान बाबा के पास ले गए…

उन्होने कुछ कहा उनके कान में …..

फिर अपनी धोती की जेब से 500 रूपये निकालके दे दिये …..

गुरु जी ने पैसे अपनी जेब में चुपचाप  रख लिए….

तुम सब खुश रहो….. हम चलते है ….

जय भवानी……

इतना बोल गुरु जी और उनकी  टोली राजू के घर से प्रस्थान कर  गयी….

इधर सब राजू के बाबा का चेहरा देख रहे कि ऐसा क्या कह दिया बूढ़ऊँ ने कि इतने कम पैसों में मान गए गुरु जी….

राजू पूछ ही बैठा….. बाबा का कहे तुम शंभू बाबा के गुरु से….

सच बोलूँ य़ा झूठ लला….

अपना पेट हिलाके हंसते हुए बाबा बोले….

तुम झूठ बोले ही ना हो कभी बाबा… अब बोलो का बोले….

यही बोला जो सबसे  बोला….

सब गांव वाले एक साथ बोल पड़े…..

यहीं ना कि मेरा राजू बड़ा अफसर बनने वाला है वो दूगुने पैसे देगा अफसर बनके… अभी ले लोगे तो घाटे में रहोगे…. सोच लो…मैं तो अभी दे रहा…. फिर बाद में ना आना….

सही बोले तुम सब….. यही बोला मैने  …….

का बाबा तुम सबसे झूठ बोले हो…. मैं कब बन रहा अफसर…..

राजू गुस्से में बाबा को घूर के देखता है …..

क्यूँ तू बनेगा ना अफसर… तभी तो ना मरा मैं …. तुझे सल्यूट जो  मारनो है …..

बाबा बनूँगा …. पर ऐसे सबसे झूठ ना बोला करो…. ऐसे आस  ना जगाया करो…..

राजू बोला….

ठीक है लला….

अब जा ज़रा रोटी ले आ…. कल से बेहोश पड़ा है तेरा बाबा…..

एक अन्न का दाना ना गया पेट में…..

अच्छा ताऊ हम चले… तुम अपना ख्याल रखना…. कोई समस्या हो तो बता देना….

सब गांव वाले बाबा को भला चंगा देख अपने अपने घर चले गए….

अम्मा बाबा को रोटी लगा दे…. और मेरा डब्बा भी …. मैं थोड़े समय बाद शहर को निकल जाऊंगा…. मास्साब राह देख रहे होंगे…..

ठीक है राजू…. मेरा बेटा सही से तो रह रहा शहर में …ठीक तो रह रहा ना तू ?? कैसा मुर्झा गया है रे लाल तू …..

अम्मा राजू के चेहरे पर  अपने हाथ से लाड़ करते हुए बोली….. हां अम्मा …. ठीक रह रहा… तुम अपना ख्याल रखो…. अच्छा अम्मा छुटकी स्कूल जाने लगी ना पढ़ने…..?? सही से तो पढ़ रही…. और अपनी लाडो के दस्त ठीक है अब….

बताती चलूँ कि राजू की एक और बहन आ चुकी है घर में …..

हां राजू…. खूब मन लगाके पढ़ रही तेरी तरह…. कुछ समझ ना आता तो भागती हुई निम्मी के पास चली जायें है …. निम्मी बड़े मन से पढ़ाये देती है …..

अच्छा अम्मा……. निम्मी तो वैसे ही बहुत होशियार है …..

लाओ रोटी सिक गयी… थोड़ा घी और लगा दे अम्मा… बाबा को थोड़ा ताकत आ जायेगी….

ले साग में भी डाल दिया घी तेरे बाबा के ….. बड़ा आया बाबा का ख्याल रखने वाला…. .

राजू ने बड़े मन से बाबा को रोटी खिलायी….

फिर बापू के पास बैठ उनसे बतियाकर आया…

अच्छा अम्मा बापू…. अब चलता हूँ….. अब ना लग रहा कि मास्साब गांव आयेंगे…. बखत ना मिला होगा….

राजू अपना थैला उठाके जाने के लिए तैयार हैँ….

राकेश भी गाड़ी ले के आ चुका है ……

निम्मी दीदी राजू भईया शहर वापस जा रहा….

राजू की छोटी बहन निम्मी को बताकर वापस चली गयी घर की तरफ ….

निम्मी गोबर के हाथ धो जल्दी से राजू को विदा करने दौड़ी आ रही है ……

राजू भी बस का इंतजार कर रहा है … निम्मी से बिना मिले ज़ाते हुए उसका मन बहुत बेचैन है …

बस आ चुकी है ….

आगे की कहानी कल…. तब तक के लिए राधे राधे

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मीनाक्षी सिंह की कलम से

आगरा

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