एक प्यार ऐसा भी …(भाग -12) – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi

आप सबने अभी तक पढ़ा कि मौसा और रानी मौसी किसी भी कीमत पर मासूम निम्मी का ब्याह कराने पे तूले है …

मौसा गाड़ी में बैठाकर सभी को,,आगे निकल आया है …. राजू, सर जी और पुलिस वाले सभी पीछा कर रहे है मौसा की गाड़ी का….. तभी कुछ तकनीकी समस्या के कारण मौसा की खटारा गाड़ी रुक ज़ाती है …. सभी लोग मौसा की गाड़ी को घेर लेते है …

फिर एक गोली चलने की आवाज आती है …. अबकि बार गोली किसी को लगी है … खून की धार जमीन पर बह चली है…. यह क्या ….

अब आगे…..

यह गोली किसी और को नहीं सर जी को लगती है …… मौसा निशाना राजू पर साधता है पर गोली सर जी को लग ज़ाती है ….

मौसा सकपका जाता है ….

सर जी ऐसे हाल में भी बोल रहे है कि राजू और सर (पुलिस) प्लीज मेरी चिंता ना करे ….. अभी ज्यादा खून नहीं बहा है मेरा …. मरूँगा नहीं…. अच्छा मौका है आप मेरी जान  बचाने के लिए मौसा पर हमला कर सकते है …. ये लीगल भी है ….

सर जी अपनी खून से लथपथ टांग को पकड़े अपनी बहादुरी का और निम्मी की चिंता होने का परिचय दे रहे है …..

पुलिस वाले भी उनकी बात से सहमत लगे….

उन्होने मौसा पर बन्दूक से निशाना साधा…

ये मौसा तो बड़ा फिसड्डी निकला….

सोचा कहीं गोली मुझे ना लगे जायें … उसने निम्मी के बापू को आगे कर दिया …..

रानी मौसी ने भी मौसा को वहां से खिसकने का इशारा किया ….

निम्मी के अम्मा , बापू दोनों का बदलता रुप देखते ही रह गए….

मौसा चुपचाप हाथ में बन्दूक लिये पीछे  की तरफ से भागने लगा तो तुरंत निम्मी के बापू ने उसका कोलर पकड़ मौसा को दबोच लिया ….

निम्मी की माँ भी अपने बहनोई को दो चार थप्पड़ रसीद दी….

यह दृश्य देख पुलिस वाले और राजू के चेहरे की  ख़ुशी देखने लायक थी…

सर जी भी इतनी पीड़ा में थे फिर भी मुस्कुराये जा रहे थे….

अब तो काम हो चुका था…

जीजी… ये बात कतई सही ना है …. एक तो हमने तुमायी बदचलन छोरी को  इतने बखत से अपने घर में राखा …. उसे पढ़ाने भेजा बढ़िया स्कूल में…. इतने के बाद भी तुमाये कहने पे जीजी तुमायी इस घाट घाट का पानी पीने वाली छोरी के लिए ऐसा अच्छा रिश्ता देखा… फिर भी तुम अपने बहन के पति को ही जानवरों की तरह पीट रही….

रानी मौसी गुस्से में आग उगल रही हैँ ….

तो का तेरे पति की आरती ऊतारूँ ….. मेरे मर्द पर गोली चलवा रहा ये तो….

तभी पुलिस आगे आयीं….

सिर्फ गोली ही नहीं चलवा रहा आपका बहनोई….

इसने आपकी लड़की की इज्जत पर सैंकड़ो बार हाथ डालने की कोशिश की है वो तो इनके पड़ोसी रिंकु और इनकी बेटी मन्नु की वजह से लड़की बच गयी…..

ये बेचारे सर जी और राजू ये योजना ना बनाते तो आज अपनी लड़की आदमियों की ज़रूरतें पूरी करने की मशीन बन ज़ाती ….. उसकी गुनहगार सिर्फ औए सिर्फ आप दोनों होते…..( निम्मी के अम्मा , बापू ) ….

और ये मौसी भी कोई पढ़ाने के लिये नहीं लायी है …. बस घर के चौका बाशन कराती है… घर जाकर इनकी बेटी से पूछियेगा …… हम उसका बयान पहले ही ले चुके है …..

पुलिस वालों ने निम्मी की अम्मा को बताया….

यह बात सुन  निम्मी का बापू आँखों में पश्चाताप के आंसू लिए  सर जी को लेकर गोद में उठाकर उनकी बाइक से होस्पिटल की ओर भागा…. पीछे  आता रिंकु भी पीछे से सर जी को सहारा दे बैठ गया…. राजू भी साथ जाने के लिए पास आ रहा था…

सर जी ने उसे वहीं निम्मी की अम्मा और निम्मी के पास रहने का इशारा किया …. कि कोई तो यहां होना चाहिए….. फिर मौसा कोई चाल ना चल दे…..

वो लोग निकल गए…..

का… ये बात सही है ….तू  मेरी छोरी के साथ गलत काम करना चाहे…..

मैं कैसी मईय़ा हूँ जो अपनी फूल सी बच्ची को इन दरिन्दो के हाथ सौंप दी….. हे भगवान मेरी मति पर पत्थर डाल दिये तूने…..

निम्मी की अम्मा अपने माथे पर हाथ रख रोती हुई बोलती जा  है …..

आपको विश्वास ना हो आप रिंकु की हमारे फ़ोन पर भेजी गयी ये वीडियो देख  सकती है ….

पुलिस का दूसरा आदमी बोला…..

नहीं मुझ पे ना देखी जायें साहब अपनी बेटी का सुबकता ,, डरा हुआ चेहरा…..

मुझे लग तो रही कि छोरी को एक बार देख आऊँ ….. मुझे  शक भी हो रहा था  कि इसकी मौसी रानी मेरी निम्मी से मेरी बात क्यूँ ना कराती …..

पर मुझे तो लगा मौसी माँ सी होती है ….. अच्छे से ही राख रही होगी मेरी लाडो को….. अगर तू ना आता राजू तो मेरी छोरी तो बिक ज़ाती…..

तेरी अम्मा बापू ने कोई अच्छे कर्म करे होंगे जो तेरे जैसा छोरा दिया ….

मुझे माफ कर दे राजू बेटा…. मैं तेरी माफी लायक तो नहीं … पर फिर भी अपनी  चाची समझकर…….

ना चाची ऐसे ना बोल… निम्मी तो पक्की वाली दोस्त है मेरी…..उसकी तो रक्षा मै  हमेशा करूँगा ….

कैसी हो गयी है निम्मी … कैसी हट्टी कट्टी थी गांव में…..

राजू निम्मी को मासूमियत से देख बोला……

निम्मी राजू को देख मुस्कुरा रही है … और अपनी आँखों में आयें आंसुओं को पोंछती जा रही है ……

तभी निम्मी का मौसा चालाकी दिखाते हुए निम्मी का हाथ पकड़कर ले जाने की कोशिश करता है …..

तभी निम्मी की रानी मौसी मौसा को एक थप्पड़ ज़ड़ देती है ….

भगवान ऐसा पति किसी को ना दे…. इससे अच्छा तो मैं विधवा हो ज़ाती…. तूने छोटी सी बच्ची पर गलत नजर डाली…..

ले जाओ साहब इसे….

रानी मौसी अपना बचाव कर रही है …. शायद खुद  जेल न जाना पड़े इसलिये…..

हवा तो जेल की आपको भी खानी पड़ेगी मौसी जी….. आप पर भी कई केस बनते है ……

रानी मौसी के  चेहरे का रंग उतर जाता है ….

मौसा, मौसी को गिरफतार कर लिया जाता है ….

जीजी….. मेरी मन्नु को ख्याल रखना…. हो सके तो अपने साथ गांव ले जाना… बहुत छोटी है मेरी लाडो….

रानी मौसी निम्मी की अम्मा के हाथ जोड़ बोल रही है ….

मैं तेरे जैसी नहीं….. तू फिकर ना कर … जैसी मेरी निम्मी ,, वैसी ही मन्नु ….

पुलिस दोनों को  ले गयी….

निम्मी की अम्मा ने निम्मी से अपने किये की माफी मांगी……

बेटा चल गांव…. तुझे अपने आँचल में छुपा के रखुंगी….. मेरी बच्ची….

निम्मी भी छोटे से बच्चे की तरह माँ की बाहों में समा गयी….

सभी लोग गांव आ चुके है ….

तो बताईये पाठकों निम्मी और राजू की कहानी को आगे बढ़ाया जायें य़ा यहीं विराम दिया जायें …. अच्छी लगे तो इनकी युवावस्था को भी दिखाऊँ

आपकी प्रतीक्षा के इंतजार में….

जय श्री राम 

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आगरा

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