दाल में कुछ काला है – मंजू ओमर: Moral stories in hindi

सुनो जी आजकल मयंक बड़ा चुपचाप सा रहता है, कोई बात नहीं करता बस स्कूल से आकर चुपचाप कमरे में घुस जाता है सुनैना ने पति राघव से कहा। राघव जी अखबार में मुंह घुसाए चाय पी रहे थे ,बोले अरे पढ़ाई का बोझ है परीक्षा आ रही है इस बार 12वी बोर्ड है उसका इसलिए चुपचाप रहता होगा।

                  आज संडे था तो सुनैना ने सोचा आज मयंक के कमरे की अच्छे से सफाई करवा दूं वैसे तो वो कमरे में घुसने नहीं देता। मयंक जो सो रहा था सुनैना ने आवाज दी बेटा 10बज रहे हैं उठ जा चाय नाश्ता करों आज तुम्हारा कमरा साफ़ करवा देते हैं । बिस्तर के चादर और तकिए का गिलाफ भी बदल दे कितना गंदा हो रहा है । मयंक उठो बेटा कमरे में अजीब सी बदबू भी आ रही है। बड़ी मुश्किल से ना नुकूर करते मयंक उठा तो बाथरूम चला गया । मयंक भूल ही गया कि उसने तकिए के नीचे सिगरेट रखीं हैं जबतक वो बाथरूम से आता तब-तक वो सब मां के पास पहुंच गया था ।

             सुनैना ने कमली को आवाज दी कमली जरा इधर आ कमरे की अच्छे से सफाई कर दे और बिस्तर के चादर और तकिए के गिलाफ भी बदल दे । इतना कहकर सुनैना मयंक के लिए चाय बनाने रसोई में चली गई।कमली ने कमरे में झाडू लगाकर जैसे ही बिस्तर से चादर हटाई तो तकिए की गिलाफ से दो तीन छोटी छोटी पुड़िया और दो सिगरेट नीचे गिरी ।कमली ने वो सब उठा कर सुनैना को दिया कि ये सब मयंक के तकिए से निकला है । सुनैना इन चीजों को देखकर घबरा गई सुनैना ने राघव को। दिखाया देखो जरा ये क्या हैं पुड़िया में और ऐ तो सिगरेट है ।

                राघव जी का तुंरत माथा ठनका जरूरु दाल में कुछ काला है ,ये तो ड्रग्स जैसा कुछ लग रहा है।तो क्या मयंक ड्रग्स लेने लगा है। नहीं ऐसा नहीं हो सकता इतनी गंदी आदत कैसे लग सकती है इसको  ऐ तो पढ़ने लिखने वाला बच्चा है । तब-तक मयंक भी बाथरूम से बाहर आ चुका था वो हड़बड़ी में कमरे की तरफ जा रहा था तभी राघव जी ने उठकर एक जोरदार थप्पड़ मयंक को रशीद कर दिया।ये क्या कर रहे हो तुम पढ़ाई के नाम पर पैसे की बरबादी ।ये सब क्या है । मयंक कुछ बोल नहीं पा रहा था। फिर सुनैना ने स्थिति संभाली और राघव जी को समझाया ये क्या कर रहे हो राघव गुस्से से नहीं समझदारी से काम लै जवान बेटा है यदि उसने गुस्से में कुछ कर लिया तो हम लोग तो कहीं के न रहेंगे।उसे प्यार से समझाना चाहिए।

                  मयंक सुनैना और राघव की इकलौती संतान है । रूपये पैसे की कोई कमी नहीं है खुलकर पैसा खर्च करते थे मयंक को भी जेब खर्च दिया जाता था। लेकिन इस उम्र में ध्यान देने की बहुत जरूरत होती है। यही तो उम्र होती है पैर डगमगाने की और गलत राह पकड़ने की । गिर गए तो गिर गए और संभल गए तो संभल गए। सुनैना और राघव ने विचार विमर्श किया कि अब क्या किया जाए।बेटे को संभालना है सख्ती से बात बिगड़ जाएगी।

              मयंक अपना मुंह छिपाए घूम रहा था।वो ऐसा लड़का तो न था लेकिन कुछ दोस्तों के चक्कर में पड़कर वो इसका आदी होता जा रहा था। सुनैना और राघव ने मयंक को अपने पास बैठाया और उसे समझाया।देखो बेटा तुम्हारा इस बार 12 वी क्लास है और तुमने तो सपना आई आईं टी निकालने का लिया था अब कैसे करोगे जब पढ़ाई पर ध्यान नहीं दोगे तो 12 वी भी निकालना मुश्किल हो जाएगा ।मैं जो तुम कर रहे हो न ए दिल दिमाग दोनों को बेकार कर देगा । सुनैना बोली कहां से आदत लग गई तूझे बेटा । मयंक चुप रहा , कुछ बोल बेटा क्यों अपना भविष्य और जीवन दांव पर लगा रहा है । इसमें जो घुस गया एक बार वो बाहर बहुत मुश्किल से निकल पाता है । कुछ जवाब दे बेटा कहां से आया तेरे पास ये सब । सुनैना ने प्यार से मयंक के सिर पर हाथ फिराया राघव जी बोले बोल बेटा ।

        वो पापा ,हां बोल वो पापा हां बोल कहा से आया तेरे पास कब से ले रहा है तू । फिर मयंक बोला वो पापा अमन के जन्मदिन की पार्टी में कुछ दोस्तों ने सिगरेट दी थी पीने को मैं पी नहीं रहा था लेकिन उन लोगों ने जबरदस्ती पिलाई वहीं से शुरूआत हुई थी ।अमन का जन्मदिन तो चार महीने पहले था । हां पापा फिर एक दो बार दोस्तों ने फिर पिलाई थी तो मैने पूछा कि क्या है तो बोले कि ड्रग्स है सिगरेट में भरकर पीते हैं रोज एक बार पी लिया तो रात को नींद नहीं आएगी और फिर रात भर पढ़ाई करना ।बस इसी तरह से लेने लगा।

                  अच्छा कोई बात नहीं है कोई ज्यादा दिन नहीं हुए हैं । पहले तू अमन और दूसरे दोस्तों से दोस्ती खत्म कर नहीं तो तूझे बर्बाद कर देंगे ।और मुझसे और मम्मी से वादा कर कि अब नहीं लेगा । कोशिश करूंगा मैं ,नहीं कोशिश वोशिश कुछ नहीं बस तूझे छोड़ना है ‌जिंदगी बर्बाद हो जाएगी तेरी बेटा ‌समझ बेटा तूझे कुछ हो जाएगा तो मैं और तेरी मम्मी तो जीते जी मर जाएंगे बेटा ।कसम खा कि तू अब नहीं लेगा ।

             मयंक मम्मी पापा के गले लगकर रो पड़ा  नहीं करूंगा मम्मी पापा ।मैं गुमराह हो गया था लेकिन आप लोगों को भी मेरा साथ देना होगा । हां बेटा हम लोग तेरे साथ है ।हम लोग तूझे ऊंचाइयों तक पहुंचते हुए देखना चाहते हैं  गर्त में गिरते हुए नहीं।

                   मयंक के दृढ़ निश्चय और सुनैना और राघव जी के सहयोग से मयंक की आदत पर रोक लग गई ।और उसने अमन और दोस्तों से मिलना जुलना छोड़ दिया ।12वी की परीक्षा उसने अच्छे नंबरों से पास की  अब वो कॉम्पटीशन की तैयारी कर रहा है ।और एक बार फिर से परिवार खुशहाल हो गया ।

मंजू ओमर

झांसी उत्तर प्रदेश

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