खुशबू अब तेरे कॉलेज के पेपर तो खत्म हो गए बेटा …. थोड़ा मेरा हाथ बंटाना शुरू कर अब घर के कामों में
कल को पराए घर जायेगी तो ये सब हुनर काम आयेंगे उमा जी अपनी शादी लायक होती बेटी खुशबू से बोली
मम्मी आप फिर शुरू हो गई ……
अरे जैसे आपकी बेटी ने स्कूल , कॉलेज की परीक्षा में हमेशा टॉप किया है वैसे ही अपनी गृहस्थी की परीक्षा में भी अव्वल आऊंगी देखना आप……आपको इतना विश्वास तो हैं ना मुझ पर
हां बेटा पर पढ़ाई की परीक्षा और गृहस्थी की परीक्षा दोनो अलग अलग है ।
स्कूल और कॉलेज की परीक्षा में जहां ज्ञान और अध्ययन काम आता है वहीं गृहस्थी की परीक्षा में अनुभव और अभ्यास ज्यादा काम आता है।
ये परीक्षा तो हम रट कर भी या सात दिन की पढ़ाई में भी पास हो सकते हैं पर गृहस्थ जीवन की परीक्षा पास करने में उम्र बीत जाती है। और एक गृहिणी का गृहस्थी के साथ तो अटूट बंधन होता है जिसे वो अपने जीते जी कभी तोड़ नही सकती ना ही उससे मुंह मोड़ सकती है।
मैं अपने अनुभव से कह रही हूं जितना आसान हमे घर बसाना लगता है उतना आसान गृहस्थी चलाना नहीं होता। इसके लिए हमे कितने पापड़ बेलने पड़ते है पता है तुझे? खुद से पहले परिवार और परिवार जनों के बारे में सोचना पड़ता है।
मेरी तरह तुझे इन कठिन परीक्षाओं से नही गुजरना पड़े इसलिए मैं तुझे सब पहले ही सिखा देना चाहती हूं ताकि मेरी बेटी हमेशा अव्वल आए और मेरा नाम रोशन करे हर बार की तरह …… कहते कहते उमा भावुक हो गई
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अरे मां आप फिर रोने लगी।
अभी आपकी बेटी आपके पास है जितना चाहो सिखा लो ।अब मैं कतई मना नही करूंगी बस …कह कर खुशबू अपने मां के गले से लिपट गई। मां आपका और मेरा तो अटूट बंधन है जो शादी के बाद भी नही टूटेगा । आपके पास रहूं न रहूं मेरा मन तो आपके पास ही रहेगा फिर आप क्यों रोती हो। मुझे आपका ये रोना कतई पसंद नहीं।
खुशबू उमा और प्रताप की इकलौती बेटी थी जो बड़े नाजों से पली थी। स्वभाव में हंसमुख , मिलनसार थी । एक बार जिससे मिल ले उसे अपना बना लेती थी। पढ़ाई में हमेशा अव्वल आती थी पर घर के कामों में थोड़ी कच्ची थी। उमा कई बार कहती बेटा थोड़ा बहुत काम सीख ले । कल को तेरी शादी होगी तब दिक्कत नही आयेगी पर खुशबू हमेशा कहती अरे मम्मी आप देखना आपकी बेटी घर जवाई लाएगी जो
आपकी बेटी को पलकों पर बिठा कर रखेगा और काम को हाथ तक लगाने नही देगा। प्रताप जी सुनकर अपनी बेटी पर नाज करते पर उमा थोड़ा चिंतित हो जाती और सोचती ये लड़की समझती क्यों नही । गृहस्थ जीवन की परीक्षा इतनी भी सरल नही होती। एक औरत को कितने ही रूपों में परीक्षा देनी पड़ती है…..एक बेटी, एक पत्नी, एक बहु, भाभी, ननद और सबसे महत्वपूर्ण एक मां
पर खुशबू अपनी ही मस्ती में मस्त रहती और पढ़ाई में व्यस्त रहती। उसकी एम ए, बी एड हो गई और अब वो प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने लगी इसी बीच उसके लिए साकेत का रिश्ता आ गया जो मल्टीनेशनल कंपनी में कार्यरत था ।
सब कुछ मैच हो गया और खुशबू और साकेत की सगाई हो गई। खुशबू अपनी परीक्षा की तैयारी के लिए कोचिंग ज्वाइन करना चाहती जबकि साकेत उसकी नौकरी के सख्त खिलाफ था। वो कहता खुशबू अब तुमने खूब पढ़ाई कर ली और परीक्षा दे ली बस अब बंद करो ये पढ़ाई
अब मेरी पत्नी बनकर अपना परिवार संभालो और वैसे भी तुम्हारी नौकरी गावों में लगेगी और मैं हमेशा शहर में रहूंगा तो कैसे मैनेज हो पाएगा
खुशबू के लाख चाहने पर भी साकेत ने उसको नौकरी के लिए परीक्षा नहीं देने दी और कुछ दिनो मे दोनो की शादी हो गई।
खुशबू को लगने लगा था कि मम्मी सच ही कहती थी जीवन की असली परीक्षा तो अब शुरू हुई है जहां दूसरों के हिसाब से खुद को ढालना पड़ता है और अपनी इच्छाएं परे रखकर दूसरों की इच्छा से काम करना पड़ता है।
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खुशबू जहां अपने मायके में अपने मन मुताबिक उठती वहीं उसे ससुराल में सुबह छः बजे उठना पड़ता हालांकि इसके लिए उसे पहले कभी परेशानी नही हुई क्युकी सुबह जल्दी उठकर पढ़ने की उसकी आदत थी हमेशा से ही।
पर उसकी नई नई शादी हुई थी और प्यार करने वाला पति मिला था तो रात को सोने में अक्सर लेट हो जाता और ऊपर से नया घर था तो बिस्तर की आदत अभी लगीं नही थी इसलिए सुबह के समय उसे बहुत नींद आती थी पर मन मारकर उठती थी ।
उसे समझ नही आता कौनसा काम , कैसे करूं? पहले कौनसा ,बाद में कौनसा काम करूं?
चकरघिन्नी सी बनी रहती बस।
उसकी सास सबके सामने हमेशा कहती बहु दिखने में सुंदर जरूर है पर काम में एकदम ढीली अब पेट थोड़े ना रूप से भरेगा उसके लिए तो खाना चाहिए और ये मेरी नाजुक बहु के बस का काम नही।
एक बार ये बात खुशबू के कानों में पड़ गई और उसके दिल को बहुत चोट पहुंची। उसी रात को उमा का फोन आ गया और वो खुशबू की आवाज़ से पहचान गई कि आज तो कुछ हुआ है
क्या हुआ बेटा … उदास क्यों है?
कुछ नही मम्मी आपकी याद आ रही है बस और कहते कहते खुशबू फफक कर रो पड़ी
याद तो नही आ रही ,बात कुछ और है….बता क्या हुआ
अरे मां आपको कैसे पता लग जाता है बिना बताए
अरे तू ही तो कहती थी मेरा और तेरा अटूट बंधन है। तेरा तन भले ही वहां है पर तेरा मन तो मेरे पास है
बता क्या हुआ? खुशबू ने सुबह की सारी बात अपनी मां को बता दी
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मां मैं सोचती थी कि जैसे मैं पढ़ाई में अव्वल आती रही हूं वैसे ही गृहस्थी की पढ़ाई में भी अव्वल आऊंगी पर यहां तो मेरी सासू मां ने मुझे फेल ही करार दे दिया ये कहकर कि ये काम मेरे वश का नही
क्या मैं कभी सफल नहीं हो पाऊंगी ?
नही बेटा ऐसा कुछ नही है। तू मेहनत से सीखने की कोशिश करेगी तो जरूर अव्वल आयेगी। और स्कूल की परीक्षा में भी तो तू धीरे धीरे ही औरों से आगे निकली थी। जैसे वहां पढ़ाई करके , अभ्यास करके तूने हर परीक्षा अच्छे अंको से पास की है वैसे ही इस परीक्षा में भी धीरे धीरे तू गलतियों से सीखेगी और अव्वल आयेगी बस ऐसे निराश मत होना
जैसे तूने अपनी पढ़ाई में हमेशा एक नियत समय सारिणी बनाकर तैयारी की है वैसे ही तुझे इस परीक्षा में भी एक समय सारिणी बनानी होगी जिसके अनुसार तू समय से सारे काम कर पाएगी। अगले दिन की प्री प्लानिंग करके चलेगी आगे से आगे तो सारे काम आसान हो जायेंगे।
और अपने मन को सासू मां की बातों से खट्टा मत कर। वो तो एक गुरु की तरह तेरा साथ देने के लिए वहां है जैसे यहां मैं थी। बस पहल तुझे करनी होगी सीखने की। जितना अनुभव उन्हें है घर गृहस्थी चलाने का वो तेरे बहुत काम आएगा। आगे से आगे उनसे सीखने की कोशिश किया कर और गलती पर डांट भी दे तो बुरा क्यों मानना ? जैसे एक मां बेटी के रिश्ते का अटूट बंधन होता है वैसे ही सास बहू का रिश्ता भी अटूट बंधन में बंध जाए तो गृहस्थी फिर सजा नही मजा लगने लगती है। परीक्षा पास करना आसान हो जायेगा।
क्या तेरे अध्यापक तुझे नही डांटते थे जब तू गलती करती थी । बस अपनी गलतियों को छुपाकर नही उनसे सीखकर आगे बढ़ने की आदत डाल । देख फिर कैसे तू इस परीक्षा में भी पास होगी।
और एक खास बात सीखने की कोई उम्र नहीं होती । तू जहां से सीख सकती है सीख। और आजकल तो यू ट्यूब पर ढेरों चैनल है खाना बनाना सीखने के , वहां से सीख
कुछ अपनी सासू मां से तो कुछ मुझसे सीख। कोशिश करना कभी बंद मत करना
मां आपने तो मुझे बहुत हौंसला दे दिया । अब मैं कल से ही सारे काम समय से करने की कोशिश करूंगी
और एक बात और बेटा जैसे तेरे स्कूल में सरप्राइज टेस्ट होते थे वैसे ही हमारे घर में भी कई बार ऐसे टेस्ट से हमे दो चार होना पड़ता है जैसे कभी अचानक मेहमान आ जाए, कोई नाते रिश्तेदार आ जाएं तो घबराना मत कि कैसे काम करूं, इतने लोगों का खाना कैसे बनाऊं?
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हंसते मुस्कुराते उनकी आवभगत करना , चेहरे पर खुशी रखना ताकि उनको ऐसा न लगे कि उनके आने से हम दुखी हैं। तेरे इस व्यवहार से तेरी एक दो गलती तो ऐसे ही माफ कर देंगे कोई भी।
मेहमान तो भगवान का रूप होता है। उनके आतिथ्य सत्कार में कोई कमी मत रखना और जैसा रूप वो तेरा देख कर जायेंगे वैसे ही बखान करेंगे सबके सामने
और कहते है न जैसा खायेगा अन्न वैसा होवे मन
तो खाना हमेशा हंसते मुस्कुराते बनाना और खुशी खुशी खिलाना ताकि खाने वाला भी खुश होकर खाए
अब खुशबू को बहुत हिम्मत मिल गई थी मां की बातों से और वो अगले दिन की प्लानिंग करने के लिए एक पेन और डायरी लेकर बैठ गई ये नोट करने के लिए कल , क्या ,कब और कैसे करना है।
सुबह छः बजे उठकर उसने सबके लिए चाय बनाई और अपनी सासू मां से बोली
मम्मी जी क्या आप आज से मुझे गृहस्थी और रसोई की परीक्षा पास करने के गुर सिखाएंगे।
आपके हाथों में जो जादू है , क्या ऐसा जादू मेरे हाथों में भी आएगा कभी
अपनी बहू को ऐसा बोलते देख खुशबू की सासू मां थोड़ी भावुक हो गई क्युकी उसको आज खुशबू में एक बहु नही बेटी दिख रही थी जो अपनी मां से सीखना चाहती थी
अरे हां बेटा क्यों नही। मैने ऐसा सोचा ही नहीं कि मैं तुम्हारी मदद करूं उल्टा तुम्हारे बारे में भला बुरा और सोचने लगी। मुझे माफ कर दे बहु , मैं आज से ही तेरी हर संभव मदद करूंगी पर गलती पर डाटूंगी भी ….. खुशबू की सासू मां इसके कान खींचते हुए हंसते हुए बोली
हां मां आप मेरी गुरु है आज से तो आपका पूरा हक बनता है अपने शिष्य को चाहे जैसे डांटे, फटकारे…
खुशबू की सासू मां अब रोज़ खुशबू को गृहस्थी चलाने,रसोई चलाने,बजट बनाने, कामों को व्यवस्थित तरीके से करने के बारे में समझाती और उसकी हर गलती से उसे कुछ न कुछ सिखाती साथ में साकेत भी खुशबू की हर नई कोशिश पर उसकी हौसला अफजाई करता जिससे खुशबू और नया सीखने के लिए प्रेरित होती।(जैसे एक विद्यार्थी को उसके प्रयास पर सराहना मिलने से इसके सीखने के अवसर बढ़ जाते हैं वैसे ही खुशबू भी अपनी तारीफ सुनकर मन लगाकर रसोई और गृहस्थी की परीक्षा पास करने में जुटी थी)
और एक दिन अचानक घर आए मेहमानों की आवभगत करने से लेकर उनके रहने, खाने, पीने का ध्यान बखूबी रखकर खुशबू ने इस सरप्राइज़ टेस्ट को शत प्रतिशत अंको से पास कर लिया और अपनी दोनो गुरुओं ( मां और सासू मां ) का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया।
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आज इस बात को पन्द्रह साल हो गए पर खुशबू अभी भी अपनी मां और सासू मां से समय समय पर जीवन की विभिन्न परीक्षाओं को पास करने के टिप्स लेती रहती है और उनके अनुभवों से सीखने की कोशिश करती है। दोनों के साथ उसका अटूट बंधन जो बन चुका है।
उसकी सासू मां ने घर गृहस्थी का भार खुशबू के कंधो पर डाल दिया है ताकि वो जीवन के हर क्षेत्र की परीक्षा अपने तरीके से पास कर पाए पर समय समय पर उसको सलाह मशविरा देती रहती हैं ताकि कोई भूल हो तो वो सुधारी जा सके। अब खुशबू एक सुघड़ गृहिणी बन गई है और गृहस्थी और रसोई की समस्या चुटकियों में हल कर लेती है
दोस्तों जीवन की कोई भी परीक्षा हो चाहे वो स्कूल की हो, कॉलेज की, गृहस्थ जीवन की , कार्यक्षेत्र की
सबको हम अपनी मेहनत और खुद पर विश्वास रखकर हर हाल में उत्तीर्ण कर सकते हैं। एक जरूरी बात…. सीखना कभी भी बंद नहीं करना चाहिए । सीखते रहने से हमे समस्याओं के हल ढूंढने में सहायता मिलती है और जब तक जिंदगी है तब तक परीक्षा चलती रहती है बस हमारे किरदार बदल जाते हैं।
इसलिए बस संयम और धैर्य रखिए , कठिन से कठिन परीक्षा आसानी से हल की जा सकती है
मेरे अनुभव आधारित रचना है। आपको कैसी लगी ?
अपने विचारों को कमेंट करके ज़रूर बताएं और मेरा उत्साहवर्धन करना ना भूलें
धन्यवाद
स्वरचित और मौलिक
निशा जैन
Nisha ji
Kahani acchi hai
Par shuruvaat mein hee uske hone wale pati ka usey naukari na karne dene ka nirnay nayika par thopna pasand nahi aaya
Ya to aap dikhati ki ladki khud hee kaam nahi karna chahti par jaisa aapne likha woh accha nahi hai
Bakwaas