आज बहुत दिनों के बाद मैं अपने घर जा रहा था । घर जाने में थोड़ी देरी हो गयी क्योंकि सब घर वालों की फ़रमाइशों की लिस्ट इतनी बड़ी होती है जिन्हें पूरा करते-करते कब दिन से रात हो गई पता ही नहीं चला । बस भगवान का शुक्र मानो कि यें आख़िरी बस मिल गयी ।थोड़ी देर बाद बस दूसरे स्टॉप पर रुकी ।
जहां से एक लड़की बस में चढ़ी । लड़की कुछ घबराई हुई सी पीछे की सीट पर जाकर बैठ गयी ।मैं भी अपने कानो में ईयर फ़ोन लगाए गाने सुनने में मदहोश हो गया और एकाएक नींद के झोंटे खाने लगा । जब जागा तो देखा कि वो लड़की मेरी बग़ल वाली सीट पर बैठी हुई थी । इससे पहले मैं उससे कुछ पूछता वो मुझसे माफ़ी माँगने लगी ।
माफ करना मेरी वजह से आपकी नींद ख़राब हो गयी । मैं भी उससे मुस्कुरा के बोला….. कोई बात नही । अगर उसकी जगह किसी और ने नींद ख़राब की होती तो उसका हुलिया बदल देता । पर ये एक लड़की थी तो शांति से सर झुकाए बैठ गया ।
लम्बा सफर काटना मुश्किल हो रहा था । इसलिए मैंने उस लड़की से बात चीत शुरू कर दी । पहले तो वो झिझक रही थी , पर जब उसने बोलना शुरू किया तो मेरी बोलती ही बंद कर दी ।हम दोनों एक दूसरे से ऐसे बातें कर रहे थे मानो बहुत सालो से एक दूसरे को जानते हों । वो अपने भाई के घर बहुत सालो के बाद जा रही थी । उसका गाँव मेरे गाँव के पास ही था । जब उसका बस स्टॉप आया तो ना जाने मुझे उसका अकेले जाना अच्छा नहीं लगा । मैं भी उसके साथ उतर गया ।
आप रहने दीजिए मैं चली जाऊँगी । नही , मैं तुम्हें इतनी रात अकेला नही छोड़ सकता । यें सुन वो मुस्कुराते हुए मेरे आगे-आगे चलने लगी ।
कुछ ही दूरी पर एक रिक्शा वाला सोता हुआ मिला । उसे उठा उसकी बड़ी मिन्नतें की तब जाकर वो चलने के लिए राज़ी हुआ । हम दोनों अपना सामान लिए रिक्शे में बैठ मंजिल की ओर निकल पड़े । कुछ ही देर में उसका घर आ गया । मैंने उससे बाहर से ही विदा लेनी चाहीं, लेकिन वो रुकने की ज़िद करने लगी ।
कल सुबह चले जाना अब तो कोई बस भी नही मिलेगी । इसी गुफ़्तगू के बीच उसने दरवाज़े की घंटी बजाई । बहुत देर इंतज़ार के बाद दरवाज़ा खुला और एक़ साहेब आंखो को मलते हुए , उबासी भरते हुए मुख से अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए बाहर आया । उस लड़की को देख वो आँखो को बार-बार मलने लगा ।
चश्मा लगाने के बाद भी शायद उसे यकीं नही आ रहा था । वो लड़की उसे देखते ही भैया बोल गले से लिपट गयी । कुछ समय बाद एक औरत कौन है ? इतनी रात को बोल बाहर आयी…. और लड़की को देखते ही मुस्कुराते हुए उसके गले लग गयी । यें सब देख मैं संतुष्ट हो गया चलो सब ठीक है । मैं जब ऐसा सोच ही रहा था कि उसके भाई ने अपना असल रूप दिखाना शुरू कर दिया । उसे भला बुरा कह वापस जाने को कहने लगा ।
मैंने कहा भाई अंदर जाकर बात कर लीजिए ऐसे खुले में बात करना उचित नहीं है । तो वो चिल्ला कर बोला ….जब ये घर छोड़ कर हमारी इज़्ज़त , जज़्बातों को सबके सामने रौंद कर शादी के मंडप से भाग सकती है । तो मैं इसकी इज़्ज़त की परवाह क्यों करूँ । मैं थोड़ा डरते हुए बोला – माना भाई इसने गलती की थी लेकिन अब इसे अपनी गलती का पछतावा है । आप बड़े बन इसे माफ कर दें ।
रोते हुए वो लड़की अपने भाई के पैरों में गिर गयी । लेकिन उसके भाई का ग़ुस्सा कम ना हुआ । यहाँ से चली जाओं और अपनी शक्ल दुबारा मत दिखाना बोल दरवाज़ा हमारे मुँह पर बंद कर दिया ।
रात भर उस गाँव के बस स्टॉप पर बैठ हम दोनों ने खामोशी से भरी रात गुज़ार दी । सुबह होते ही मैं अपने घर के लिए और वो अपने घर के लिए जाने वाली बसों में बैठनें के लिए चलें । तभी मैं मुड के उसके पास गया और बोला – बहन मेरा नाम कृष्णा है । तुम्हारा नाम क्या है ? वो थोड़ा संकोच करती हुई बोली मेरा नाम नीना है ।
मैंने उससे कहा बहन अगर तुम्हें ठीक लगे तो क्या मैं तुमसे मिल सकता हूँ । हम एक ही शहर में है । अगर तुम्हें कभी किसी चीज़ की ज़रूरत हो तो मुझे फ़ोन कर लेना । मैं भी तुम्हारे भाई जैसा ही हूँ । तभी उसने अपने आँसुओं को पूछते हुए पर्स से राखी निकाली और मुझे बांध दी । आज रक्षा बंधन है भाई और यें राखी शायद आपके लिए ही थी । मेरी जो कलाई हमेशा ख़ाली रहती थी । आज एक बहन के प्यार और विश्वास से सज गयी । फिर हम दोनों ने एक दूसरे से विदाई ली और अपने-अपने सफ़र पर निकल गए ।
लेकिन इस सफ़र में हम दोनों ने एक नया जीवन जिया । जो हमारे आने वाले जीवन से जुड़ गया । सच में कुछ रिश्तें दिल के रिश्तों के कारण बनते है । जैसे कि मेरा और नीना का रिश्ता । आज भी हम दोनों जब अपने-अपने परिवार के साथ मिलते है तो खूब मज़े करते है । लेकिन खून के रिश्तों की टीस किसी ना किसी रूप में चुभ दर्द दे ही जाती है ।
#दिल का रिश्ता
स्वरचित रचना
स्नेह ज्योति