जीवन संगिनी का साथ – मीनाक्षी सिंह : Moral stories in hindi

रवि थका हुआ ऑफिस से आया..सोफे पर बैठ गया ….ज्यादातर दरवाजा खुला ही रहता हैं घर का..रात में ही ताला लगता हैं…पत्नी रीमा से पानी मांगा ही था तो देखा दो तीन आवाज के बाद भी रीमा आयी नहीं… फिर अन्दर कमरे में गया तो देखा पत्नी 3 साल के बेटे विशु के ठंडे पानी … Read more

पापा ,कुछ दिन और रुकेंगे – मीनाक्षी सिंह : Short Stories in Hindi

Short Stories in Hindi : दिव्याजी को अपने आलीशान घर और पैसों का बहुत घमंड था ! हो भी क्यूँ ना पति शहर के जाने मानें बिजनेसमेन जो ठहरे ! जैसा दिव्याजी का स्वभाव था ,वैसा ही बच्चों का भी हो गया था ! वैसे तो वो कभी अपने पुश्तैनी गांव जाती नहीं थी ये … Read more

हर बेटा शादी के बाद नहीं बदलता – मीनाक्षी सिंह

सुमित एक एमएनसी में बी .टेक करके एक बड़े ओहदे पर कार्यरत था  ! छह बहनों में एकलौता  भाई और सबसे छोटा था सुमित ! सभी उसी से उम्मीद लगाते थे कि अब ये ज़िम्मेदारियां संभालेगा ! और उम्मीद गलत भी नहीं थी ,सुमित था भी ऐसा ! स्वभाव से बहुत ही सरल ,मृदुभाषी और … Read more

मर्यादा – मीनाक्षी सिंह 

रवि – काजल तुम समझती क्यूँ नहीं ,,तुम्हे तुम्हारे घर वाले बिल्कुल प्यार नहीं करते ,,वो हमारे रिश्ते के लिए कभी राजी नहीं होंगे !  काजल – रवि ,,तुम्हे तो पता ही हैं बचपन में मुझे जन्म देते ही मेरी माँ खत्म हो गयी,,पिताजी ने पालपोष कर दस साल का किया ,,तब उन्हे कैंसर हो … Read more

भई वाह !! परिवार हो तो ऐसा  – मीनाक्षी सिंह : i Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : मधू जी – अरे सुनते हो ,,बहू को दर्द शुरू हो गए हैं ,,आकाश को फ़ोन कर दो ,,जल्दी आ जाये ! तब तक हम गाड़ी से अस्पताल पहुंचते हैं !  कैलाश जी – हाँ हाँ ,,ठीक हैं ,,तुम बहू को संभालों ,,मै गाड़ी निकालता हूँ ! समीर ( कैलाश … Read more

अगर अब हाथ उठाया तो मुझसे बुरा कोई नहीं  – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi

 Moral Stories in Hindi : शालू -क्यूँ मार रहे हो मुझे ,,बच्चें देख रहे हैं ,,आखिर मेरी क्या गलती हैं जो रोज शाम को मुझ पर जानवरों की तरह टूट पड़ते हो ! पत्नी हूँ तुम्हारी ! ये बच्चें ना होते तो कबका छोड़कर चली जाती तुझ जैसे घटिया इंसान को ! खबरदार अगर अब … Read more

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