अगर अब हाथ उठाया तो मुझसे बुरा कोई नहीं  – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi

 Moral Stories in Hindi : शालू -क्यूँ मार रहे हो मुझे ,,बच्चें देख रहे हैं ,,आखिर मेरी क्या गलती हैं जो रोज शाम को मुझ पर जानवरों की तरह टूट पड़ते हो ! पत्नी हूँ तुम्हारी ! ये बच्चें ना होते तो कबका छोड़कर चली जाती तुझ जैसे घटिया इंसान को ! खबरदार अगर अब मुझ पर हाथ उठाया तो !

संजय ( नशे में धुत )- क्या कहा तूने,, तू मुझे छोड़कर जायेगी ! जाकर तो देख ,,तेरे टुकड़े- टुकड़े ना कर दिये तो मैं भी अपने बाप की औलाद नहीं !

शालू – किस बाप की  बात कर रहा हैं तू ,,वही जिसने तेरी बीवी पर गलत नजर डाली थी ! अगर उस दिन बुआ जी नहीं आती तो शायद आज मेरी इज्ज़त लूट चुकी होती ! (शालू  कांपते हुए अपने आंसू पोंछते हुए बोली ) ,,तुझे तो कुछ होश रहता नहीं हैं ,,नशे में धुत ,,कोई बीवी की इज्ज़त लूटे ,,बच्चों को उठा ले जाये ,,तुझे किसी बात से मतलब नहीं !

संजय – ज्यादा जबान चलने लगी हैं तेरी ,,लगता हैं अभी और इनाम चाहती हैं ! संजय शालू पर बेल्टों से प्रहार करता रहा ! शालू की चीखें  बाहर तक सुनायी देती थी ,,पर मजाल हैं कोई उसे बचाने वाला पैदा हुआ हो आज तक ! सब जानते थे ये ड्रामा तो रोज होता हैं इनके घर ! एक बार आये थे बगल वाले घर के शर्मा जी शालू को बचाने ,,उन पर भी संजय ने डंडे से प्रहार कर दिया था ! उस दिन के बाद से लोगों ने ध्यान देना ही बंद कर दिया !

बेचारी शालू के पिता जी पटवारी थे ! बड़े अरमानों से बीटिया को संजय के घर ब्याहा था ! संजय प्रापर्टी डीलर था ! जमीन जायदाद सब कुछ सही था ! शालू पढ़ी लिखी बला की खूबसूरत थी ! अपने सपनों के राजकुमार के रुप में जब संजय को देखा तो अपनी किस्मत पर नाज करती थी ! संजय भी शालू पर जान छीड़कता था !

हर ख्वाईश पूरी करता था शालू की ! घर में ससुर ,संजय और शालू तीन ही लोग थे ! ससुर जी का स्वभाव शुरू से ही शालू को थोड़ा अजीब लगता था पर संजय समझा देता था ,,तुम्हे भ्रम हैं ,,पापा ऐसे नहीं हैं ! ईश्वर ने विवाह के एक साल बाद ही उसे अनुज  के रुप में एक प्यारा सा बेटा दे दिया !

संजय पहले से भी ज्यादा ख्याल रखने लगा था शालू का ! बेटा तो उसकी जान था !

कहते हैं ना सभी के दिन एक से नहीं रहते ,,संजय अच्छा पैसा कमाने लगा था ! उसे शराब पीने ,,जुआं खेलने की आदत पड़ने लगी थी ,,यहाँ तक दूसरी औरतों के साथ भी रंगरलियां मनाने लगा था ! जिस कारण धीरे -धीरे घर की आर्थिक स्थिति बिगड़ती चली गयी ! बच्चें भी हाई फाई कोंवेंट स्कूल से गली के छोटे से स्कूल में आ गए थे !

संजय सब कुछ जुएं में हारता चला जा रहा था ! घर भी गिरवी हो गया था ! आये दिन शालू को नशे में मारना – पीटना,गालियां देना उसकी रोज की दिनचर्या में शामिल हो गया ! एक साल बाद शालू के मना करने के बाद भी शुभी का आगमन हुआ बेटी के रुप में !



अपने बच्चों को भी मारने से नहीं चूकता था संजय ! नशे में धुत कहीं पड़ा रहता ,,रात में लेट आता ! शालू रातभर इंतजार करती रहती ! भारतीय पत्नी जो ठहरी ! पति कितना भी अत्याचार कर ले पत्नी धर्म तो पूरे दिल से निभाती हैं हमारी भारतीय महिलायें !

शालू के मन में कई बार आत्महत्या के ख्याल भी आये ,,तलाक देने का भी सोचती रहती ,,पर अपने बच्चों की तरफ देखती तो उन्हे सीने से लगा लेती और अपना फैसला बदल लेती ! ससुर भी गलत निगाह रखता था शालू पर ! एक दिन तो शालू को अकेला पाकर उसकी इज्जत लूटने उसके कमरे में आ धमका !

शालू ने खुद को बचाने की बहुत कोशिश की ,, खूब चिल्लायी ,,पर कोई उसकी आवाज सुनने वाला नहीं था ! ईश्वर को उस पर दया आ गयी ! उसकी बुआ सास का अचानक से घर में आगमन हुआ ,,शालू उनसे लिपटकर रोने लगी ! बुआ जी ने संजय से कहा – अब मेरी बहू यहाँ नहीं रहेगी ,,अगर तू इसे किराये के घर में ले जाने में सक्षम हैं तो बता नहीं तो ये मेरी बहू हैं ,,मेरे घर रहेगी !

संजय बुआ जी की इज्जत करता था !शालू और बच्चों को लेकर किराये पर रहने लगा ! पर उसके स्वभाव में कोई परिवर्तन नहीं आया !

शालू बहुत ही हिम्मत वाली और समझदार पत्नी थी ! उसने संजय को फिर से पहले वाला संजय बनाने का ठान लिया ! फिर क्या था ! सुबह से तैयार होकर शालू नौकरी पर जाने लगी ! रात को लेट आती ! कुछ दिन तो संजय को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ा ! पर एक दिन एक आदमी संजय के घर आया ,,कहता – भाई कितना लोगे भाभी को एक रात देने  का ,,जब निकलती हैं सज धज के तो सच बताऊँ मन करता हैं उठा ले जाऊँ !



संजय के तन बदन में आग लग गयी ! उस आदमी को मार मारकर अधमरा कर दिया ! और बोला -खबरदार मेरी बीवी को गलत नजर से देखा तो ,,अबकी बार जान नहीं ली ,,अगली बार ऊपर ही नजर आयेगा ! समझा क्या ! उस दिन संजय ने बहुत शराब पी ! गिरता हुआ शालू के पास आया ! उसे मारने के लिए बेल्ट उठायी ही थी  कि शालू के गालों,आँखों ,उसके शरीर पर आज इतने दिनों बाद  उसकी नजर गयी ! आँखें बिल्कुल धंस चुकी थी !

ज़िन गालों पर वो प्यार का चुम्बन अंकित करता था ,,उस पर हाथों और बेल्टों के लाल- नीले निशान पड़े हुए थे ! शालू का शरीर एक 60 साल की वृद्धा की तरह लग रहा था आज उसे ! संजय जोर जोर से अपना माथा पटककर रोने लगा ! शालू से भी रहा नहीं गया ,,उसका चेहरा ऊपर करके उसके सीने से लग गयी !

संजय – शालू ,,मै  बहुत नीच आदमी हूँ ,,मैने अपनी इतनी भोली,,सुन्दर ,,मुझे टूटकर चाहने वाली बीवी का क्या हाल कर  दिया है ,,मैं  तुम्हारी नजरों में एक बहुत बुरा आदमी हूँ ना शालू ,,मैने तुम्हे बहुत दुख दिये हैं ,,तुम्हारी बहुत बेइज्जती की ,,मैं तुम्हारी माफी के काबिल नहीं ! तुम मुझे छोड़कर जाना चाहती थी ना  ,,चली जाओ ,,पर मैं तुम्हारे बिना नहीं जी पाऊंगा ,,खुद को भी खत्म कर लूँगा ! संजय चाकू लेकर खुद की नस काटने लगा !

शालू -तुम पागल हो गए हो क्या ,,मैं तुम्हे छोड़कर कहीं नहीं जा सकती मेरे जानू ,जाना होता तो जब तुमने मुझ पर पहली बार हाथ उठाया था तब ही चली जाती !! ,मुझे पता हैं तुमने बहुत गलत किया हैं ,,पर गलती इंसानों से ही होती हैं !! इन  बच्चों की तरफ देखों रोज मुझसे कहते हैं ,,

मम्मी पापा ठीक हो जायेंगे ,,आप रो मत ,,हम फिर पहले की तरह पापा के साथ घुमने जायेंगे ! तुम इन मासूम बच्चों को इतनी बड़ी सजा क्यूँ दे रहे हो ! शालू ने संजय के हाथ से चाकू छीनकर फेंक दिया ! घंटों संजय शालू और बच्चों को पकड़कर रोता रहा ! गलतियों की माफी मांगता रहा ! आज संजय पूरी तरह से प्रायाश्चित कर चुका था !

अगले दिन से शालू और संजय दोनों ने एक साथ एक जगह काम करने का फैसला लिया ! बच्चें अपने मम्मी पापा को एक साथ खुश देखकर ख़ुशी से फूले नहीं समाते ! धीरे धीरे उनके परिवार की आर्थिक स्थिति सुधरने लगी ! संजय और शालू पहले की तरह एक दूसरे की इज्ज़त करने लगे ! मजाल हैं ऐसा कोई दिन जाता हो अब जब संजय शालू को अकेला छोड़ता हो ! दीवाना तो वो हमेशा से था शालू का पर कुछ बुद्धि और वक़्त ने हालात खराब कर दिये पर शालू की समझदारी से एक टूटा हुआ रिश्ता फिर पल्लवित होने लगा !

दोस्तों ,ऐसे हालात में कोई भी पत्नी तलाक दे देती ! पर क्या इंसान को एक मौका देना ठीक नहीं ! आज के समय में ज्यादातर शादीशुदा रिश्ते के खत्म होने का एकमात्र कारण इंसान का आत्मसम्मान ,,उसका इगो हैं ! क्या रिश्ता खत्म करके इंसान खुश रहता हैं ,,एक बार जरूर पुछियेगा ऐसे इंसान से ! देखियेगा कैसे अपने दिल में छुपे दर्द को सिस्कती हुई आवाज से बयां करेगा !

स्वरचित

मीनाक्षी सिंह

मौलिक अप्रकाशित

आगरा

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