भई वाह !! परिवार हो तो ऐसा  – मीनाक्षी सिंह : i Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : मधू जी – अरे सुनते हो ,,बहू को दर्द शुरू हो गए हैं ,,आकाश को फ़ोन कर दो ,,जल्दी आ जाये ! तब तक हम गाड़ी से अस्पताल पहुंचते हैं ! 

कैलाश जी – हाँ हाँ ,,ठीक हैं ,,तुम बहू को संभालों ,,मै गाड़ी निकालता हूँ ! समीर ( कैलाश जी का छोटा बेटा ) जल्दी चल ,,एटीएम लेते चलना ,,रास्ते में पैसे निकाल लेंगे ! 

समीर – ठीक हैं पापा !! आप घबराओ नहीं ! सब अच्छे से हो जायेगा ! 

मधू जी – अंजू ( मधू जी की बहू ) घबरा मत बेटी ,,पहला बच्चा हैं ,,इसलिये रो रही हैं ,,पगली हैं बिल्कुल ,,ले ये दूध पी ले घी वाला ! मधू जी ने दोनों हाथ भरके गेंहू अंजू के बेड के पास रख दिये और मन में जच्चा बच्चा की सलामती के लिए प्रार्थना की ! 

तब तक आकाश भी अपने विद्यालय से आ गया ! (अंजू के पतिदेव जो इंटर कॉलेज में पढ़ाते हैं ) 

अंजू के पिता जी फौज में थे ! उनका अकस्मात ही दुर्घटना में देहांत हो गया था ! अंजू की माँ पर तो दुखों का पहाड़ टूट पड़ा ! 

दो बेटियां ,एक 15 साल का लड़का ,,अपरिपक्व गृहस्थी छोड़कर  चले गए अंजू के पिताजी ! बड़ी बेटी का तो ब्याह हो गया था पिताजी के सामने ही ! अब अंजू की बारी थी ! अंजू पढ़ने में बहुत होशियार और घर के कामों में पारंगत थी ! पिताजी के जाने के बाद घर ,,बाहर के सब काम वही करती ! माँ की ऐसी हालत नहीं थी कि वो कुछ समझ पाये ! छोटी सी उमर में बहुत समझदार हो गयी थी अंजू ! अपनी माँ ,भाई की देखभाल ,घर बाहर के काम संभालते हुए अपनी पढ़ाई भी निरंतर जारी रख रही थी !

कहते हैं ना ईश्वर भी मेहनत करने वालों का साथ देता हैं ,,अंजू की बिजली विभाग में सरकारी नौकरी लग गयी ! माँ की भी हालत सुधरने लगी ! बड़ी बहन भी सरकारी अध्यापिका बन गयी ! अंजू की माँ को अब अंजू के ब्याह की चिंता लगी रहती ! अंजू 26 वर्ष की जो हो गयी थी ! बिन बाप की लड़की के लिए अच्छा रिश्ता मिलना भी इतना आसान कहाँ हैं ! अंजू धार्मिक भी बहुत थी ! बंशी वाले की कृपा  से अंजू के मामा जी को किसी ने आकाश का रिश्ता बताया ! वो गए देखने ! आकाश के पिता कैलाश जी कहते – हमारे यहाँ पूर्व के तरफ से शादी नहीं हुई हैं अभी तक ! 



बात बन नहीं पायी ! परिवार बहुत ही अच्छा लगा था अंजू की माँ और मामा जी को ! अंजू की माँ ने बहुत हिम्मत करके एक बार फिर बात करने की सोची कैलाश जी से ! उन्होने फ़ोन किया !  अंजू की माँ ने कहा – भाई साहब ,,वैसे तो मेरी बेटी का विवाह कहीं ना कहीं हो ही जायेगा ,,पर आपका परिवार हमें बहुत ही अच्छा लगा ! पढ़ा लिखा ,सभ्य ,नजदीक !

बिन  बाप की लड़की हैं ,,पता नहीं कहाँ कहाँ देखना पड़ेगा मुझे ! अब शरीर में भी इतनी जान नहीं रही  कि बेटी के लिए रिश्ता देख पाऊँ ! मेरी अंजू आपके घर में खुशहाली लायेगी ,बहुत ही  समझदार ,,परिपक्व लड़की हैं ! इसलिये नहीं कह रही कि वो मेरी बेटी हैं ! वो हैं ही ऐसी ! कोई दबाव नहीं डाल रही आप पर,,एक बार  और विचार कर लेते आप लोग !  अंजू की माँ की भावुक  सी बातों  ने कैलाश जी का मन पिघला दिया ! वो विवाह के लिए राजी हो गए ! 

अंजू की माँ की आँखों से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे ! 

कैलाश जी और उनके परिवार ने विवाह की सब तैयारी में अंजू की माँ की पूरी सहायता की ! 

विदाई बेला पर मधू जी ने अंजू की माँ को गले लगा लिया – और बोली ,,अब अपनी बेटी की फिक्र छोड़ दिजिये ! आपसे वादा करती हूँ अंजू की आँखों में आंसू नहीं आने दूंगी ! बहुत दुख सहा हैं आपने और मेरी बेटी ने ! आप और आपके बेटे भी अब हमारे हुए ,,चलिये हमारे साथ ,,बीटिया के पास ही रहियेगा ! 

उषा (अंजू की माँ ) – नहीं नहीं समधन जी ,,क्यूँ पाप चढ़ा रही हैं आप मुझ पर ! आपने इतना कह दिया यहीं मेरे लिए बहुत हैं ! वरना आजकल इस तरह के लोग कहाँ मिलते हैं ! कुछ बहुत अच्छे कर्म किये हैं मेरी अंजू ने जो ऐसा परिवार मिला हैं उसे ! अंजू रोते रोते  कहती गयी – मम्मी ,,दवाई टाइम से लेना ,,पापा को याद करके रोना मत ! अब मैं  भी नहीं हूँ जो तुम्हे  संभाल सकूँ ! वादा करो नहीं रोओगी मुझे याद करके ! विजय ( अंजू का भाई ) माँ का ख्याल रखना ,,फ़ोन में ही मत लगे रहना ! माँ क हाथ बंटाना ! पढ़ाई करना ! अंजू माँ के सीने से लगकर सिस्कियां भरती रही ! 

मधू जी – रो मत अंजू  ,,तुझसे वादा करती हूँ हर सप्ताह तू उषा जी से मिलने  आयेगी और उनके पास रुका करेगी ! उषा जी कोई तकलीफ ,दिक्कत हो तुरंत फ़ोन कीजियेगा ! हम सब हाजिर हो जायेंगे ! अब आपको दूसरा परिवार मिल गया हैं !

अंजू ने ससुराल की ज़िम्मेदारी बखूबी निभायी ! सब उसे बहुत प्यार से रखते ! देवर जी तो भाभी के आने से हर काम समय से करने लगे थे ! उनकी लेट लतीफी की आदत भी खत्म हो गयी ! हर हफते  आकाश अंजू को उषा जी के पास लेकर जाते ! मधू जी अंजू के मायकें वालों के लिए खाना भी बनाकर रख देती और ढ़ेरों खाने पीने का सामान यह सोचकर कि वैसे ही बिमार रहती हैं उषा जी ! परेशान होंगी ! आज कोई काम ना करें बस अपनी बेटी से बातें करें ! उषा जी खुद की किस्मत पर नाज करती कि ईश्वर ऐसा परिवार देने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद ! अंजू विवाह के छह महीने बाद गर्भवती हो गयी ! मधू जी अंजू से कोई काम नहीं करवाती यह सोचकर कि वैसे ही पूरे दिन बेचारी ऑफिस में थक जाती हैं घर पर भी काम करेगी तो बच्चे पर और अंजू की सेहत पर असर पड़ेगा ! अंजू के ऑफिस में भी जब सब अंजू का लंच देखते तो तारीफ किये बिना ना रहते ! मधू जी हर दो घंटे में अंजू के खाने के हिसाब से अलग अलग लंच रख देती ! 



अब अंजू के डिलीवरी का समय पास आ गया था ! अंजू को प्रसव पीड़ा शुरू हो गयी थी ! 

डॉक्टर ने कहा – ओपरेशन करना पड़ेगा ,,पानी खत्म हो गया हैं ,,बच्चें को ऑक्सीज़न नहीं मिल रही हैं ! 

तुरंत अंजू का ऑपेरेशन हुआ ! अंजू ने एक प्यारी सी बेटी को जन्म दिया ! अंजू का पूरा परिवार  ख़ुशी के मारे फूला नहीं समा रहा था !

देवर जी बिग बाजार से तरह तरह के कपड़े ले आये अपनी न्नही गुड़िया के लिए ! उन्हे  क्या पता कि नए कपड़े नहीं पहनाते जन्मे बच्चें को ! 

उषा जी भी समधन जी के साथ अस्पताल में 5 दिन रही ! लगता ही नहीं था कि ये समधन हैं ,,अपनी छोटी बहन की तरह उषा जी का ख्याल रखती मधू जी ! पूरे अस्पताल में मिठाई बांटी गयी ! 

अंजू के वार्ड को फूलों से ,,गुब्बारों से सजाया गया ! कैलाश जी पोती को गोद में लेकर बोलते – ये मेरा चिराग हैं ! मेरी पोती मेरे वंश को रोशन करेगी ! उसका नाम रखा कैलाश जी ने परू ! 



मधू जी भी अंजू का शुक्रिया अदा करती – मुझे इतना प्यारा तोहफा देने  के लिए थैंक यू  बेटा ! 

उषा जी की आँखों से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे ! 

अंजू के मामा जी से भी नहीं रहा गया वो भी भावुक होकर बोल पड़े – भई वाह ,,परिवार हो तो ऐसा !! 

पाठकों ,,आप लोग सोच रहे होंगे कि कुछ ज्यादा ही मीठी हो गयी कहानी ! ये कहानी नहीं हैं मेरी छोटी बहन के परिवार की कहानी हैं !मै अंजू की बड़ी  बहन हूँ ! अंजू ने अभी करवाचौथ के दिन ही परू को जन्म दिया हैं ! ऐसे भी परिवार होते हैं ! दुनिया में हर तरह के इंसान हैं ! मै भी अपनी अंजू को देखती हूँ तो बहुत खुश होती हूँ कि जितने दुख सहे उसने ईश्वर ने ऐसा  ससुराल मिलने से उसके सारे दुखों को हर लिया ! सभी लोग मेरी अंजू और उसकी परू को आशिर्वाद दिजिये ! मैं भी जा रही हूँ अपनी परू को देखने !! 

स्वरचित 

मौलिक अप्रकाशित

मीनाक्षी सिंह 

आगरा

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