ससुराल गेंदा फूल, – सुषमा यादव

जीवन भर की पूंजी हमारा परिवार होता है। एक परिवार में प्यार, अनुभव, संस्कार, तथा अनुशासन के बहुत मायने होते हैं। इनके बिना एक खुशहाल परिवार बिखर सकता है,, जीवन में संघर्ष, कठिनाईयां, परेशानियां तो आती रहतीं हैं, हमें धैर्य पूर्वक सबका सामना करना चाहिए।

परिवार में हर व्यक्ति की सोच, व्यवहार में अंतर होता है,पर हमें सबके साथ सामंजस्य बना कर चलना चाहिए।

थोड़ा सा समझौता,, खुशियां अपार,,यही मूलमंत्र जीवन में अपना लेना चाहिए।

परिवार मानव जीवन को संतुलित बनाए रखने का वह आधार है, जिसमें हर सदस्य शारीरिक रूप से स्वस्थ, समर्पित, आर्थिक रूप से व्यवस्थित, और मानसिक रूप से संतुष्ट होता है। सबकी जिम्मेदारियां बंटी हुई होती है।

परिवार में सभी को यथोचित सम्मान मिलना चाहिए,,
अब मैं अपने छोटे से खुशहाल परिवार के बारे में आपके साथ कुछ यादगार सफ़र तय करतीं हूं।

मेरी शादी एक छोटे से परिवार में हुई थी, परिवार के मामले में मैं बहुत धनी नहीं थी,, मायके में तो तीन भाइयों के बीच मैं अकेली बहन थी,पर ससुराल में सास ससुर और पति देव बस इतने लोग।। मुझे मिला कर चार हो गये।

जब शादी के बाद मैं पहली बार गई तो मेरी हट्टी कट्टी, लंबी चौड़ी सासू जी  मुझे अपनी गोद में उठा कर अंदर ले गईं। मैं उन्हें देख कर बहुत डर गई थी,, सबने उनसे कहा,, मास्टरनी बहू ले आई हो, ये तुम्हे कौन सा सुख देगी, तुमसे ही सारा काम करवायेगी,,



मेरी सास ने उन्हें डपट दिया,, और कहा, देखते नहीं हो, कितनी दुबली पतली चिड़िया सी दुल्हन ले कर आया है मेरा बेटा।। इससे मैं कोई काम करवाऊंगी भला।

मैं बहुत डरी सहमी हुई थी,सब रस्में कराने के बाद मुझे कमरे में आराम करने को भेज दिया गया,एक लड़की गरम गरम दूध और खाना लेकर आई,, भाभी,काकी ने भेजा है,, मुझे बहुत खुशी हुई कि मेरा ख्याल है उन्हें,,

जितने दिन मैं रही मुझे बहुत प्यार दुलार,मान सम्मान मिला।

जब कभी छुटियां होती,हम दोनों गांव आ जाते, गांव में मेरे सास ससुर और ये मेरा हर तरह से ध्यान रखते,, सासू जी, ससुर जी से मेरे लिए कभी रसगुल्ला मंगाती, कभी समोसे, जलेबी, ये प्रतिदिन शाम को मेरे लिए पान ज़रूर ले आते, मुझे पान बहुत पसंद है। बस एक बात का ख्याल रखना पड़ता कि मुझे लंबा घूंघट डालना पड़ता, और पैरों मे छन छन बजती पायजेब,, पहने रहना होता,, ससुराल में मेरा हुलिया ही बदल जाता,, मैं भी नई नवेली दुल्हन बन कर इतराती रहती।  अगर मेरी सास को घूंघट में ही रहना पसंद है तो मैं भी उनका हमेशा मान रखती,,,, जो मुझे देखता, बड़ी तारीफ करता,, एक डॉक्टर की बेटी होकर और खुद मास्टरनी होते हुए कितने घूंघट में रहती है, मेरे पूरे परिवार के साथ मैं भी खुशी से फूल कर कुप्पा हो जाती,, ये अक्सर मुझे चिढ़ाते,, तुम तो सारी जिंदगी दुल्हन ही बन कर रहोगी,,

ये कुछ कहते तो मेरे सास ससुर मेरा ही पक्ष लेते।

मेरी सास जब तक रहीं, कभी उन्होंने मुझे बर्तन चौका नहीं करने दिया, खाना मैं जरूर बनाती परंतु सासु मां चूल्हे में लकड़ी रख कर जला देती और बटुआ भी चढ़ा देती,, मतलब सब व्यवस्था कर देतीं थीं। 



मेरे सिर में तेल की खूब मालिश करतीं,,सब बहुत ही अच्छे से पेश आते, कभी कभी मुझे अपने भाग्य पर बहुत नाज़ होता। चूल्हे में बहू की आंख में धुआं लगता है,आदेश हुआ,, गैस की व्यवस्था करो ,, तड़के उठ कर बाहर जाना होता है,,नया मकान सर्व सुविधायुक्त बन गया,।।।

मेरी दो बेटियां हो गईं तब मेरी सास दुःखी हो गईं,,हमारा इकलौता बेटा है, अगर पोता नहीं हुआ तो हमारा वंश कैसे चलेगा,, वो नाराज़ भी रहने लगी,पर इन्होंने और उनके भाई ने समझाया, तुम अपने पूर्वजों के बारे में जानती हो,,??  तुम्हारी इतनी सुंदर प्यारी पोतियां हैं,,किस बात की चिंता करती हो। बेटे ने कहा,, अम्मा,तुम्हारा अंतिम संस्कार मैं करूंगा,, तुम मेरी फिकर छोड़ो।

सासू जी को भी समझ आ गई और उसके बाद पोते की बात कभी नहीं छेड़ी।।

पर समय हमेशा एक सा नहीं रहता,, मेरी प्यारी सास जो सबके लिए बहुत ही कठोर थीं पर मेरे लिए बहुत नरम दिल वालीं थीं, एक दिन हम सबको छोड़कर चलीं गईं,, मायके, और ससुराल में मैं इकलौती बहुत ही दुलारी और सबकी चहेती थी,सासू मां और फिर मां के भी जाने के बाद मैं बहुत दुःखी हो गई थी,पर इन्होंने, दोनों बेटियों ने मुझे संभाला,,बारी बारी से सब चले गए,, मुझे जो भी जिम्मेदारी भगवान ने दिया,, प्रभू कृपा से सब पूरी किया,

अब मेरी दोनों बेटियां, दामाद और एक प्यारी सी नातिन यही मेरा छोटा सा परिवार है।

मेरी दोनों बेटियां और दामाद जी मेरा हर तरह से ध्यान रखते हैं,,जरा सा सिरदर्द हुआ नहीं कि सब परेशान हो जाते हैं,, तुरंत डॉक्टर के पास ले जाते हैं। 

जब भी बड़ी बेटी के पास जाती हूं, दोनों बड़ी सेवा करते हैं,,खूब घुमाते हैं। 

बस भगवान से प्रार्थना है कि मेरे छोटे से परिवार को किसी की नजर ना लगे। सब खूब खुश रहें, स्वस्थ रहें,उनकी जिंदगी में कभी भी कोई परेशानी ना आए।।
हंसते खेलते उनकी जिंदगानी गुज़र जाए।।
सुषमा यादव, प्रतापगढ़, उ, प्र,
स्वरचित मौलिक अप्रकाशित।।।

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