अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 40) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

मनीष कोयल की ओर मुड़ते हुए विनया को दिल से चाहने के अहसास का अनुभव कर रहा था, परंतु अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में संकोच कर रहा था। उसकी नजरें विनया पर होने के बावजूद, वह अपनी भाभी की ओर उन्मुख होता हुआ कोयल की ओर बढ़ रहा था। इसी बीच, विनया तेजी से … Read more

अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 39) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

अचानक कमरे की लाइट ऑन हुई और ऑंखों पर पड़े इस प्रकाश ने विनया की ऑंखें बंद कर दी और वो चीख कर डगमगा गई, डगमगाते ही उसने खुद को बलिष्ठ हाथों में पाया। “तुम डरती भी हो, मुझे तो लगा था केवल डराती हो।” मनीष विनया को बाॉंहों में लिए उसकी कजरारी नैनों में … Read more

अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 38) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

“भैया, टिकट तो आप आज देख रहे थे। फिर ये दोनों”…संपदा मिन्नी, विन्नी के अंजना के पास जाने के बाद मनीष से धीरे से पूछती है। “ये तो परसों ही करा दिया था मेरी बहन, मिन्नी, विन्नी इसी शर्त पर आई हैं कि दो दिन से ज्यादा नहीं ठहरेंगी तो लौटने की टिकट देख रहा … Read more

अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 37) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

“बेटा, विनया को अकेले खाने की आदत नहीं है। वो अकेली नाश्ता तो नहीं करेगी। क्यों ना हम डॉक्टर से मिल कर घर ही आ जाएं।” गाड़ी के आगे बढ़ते ही अंजना पीछे छूटते जा रहे पेड़ पौधों को देखती हुई कहती है। “ओह हो माँ, कितना सोचती हो। भैया ने उसकी भी व्यवस्था कर … Read more

अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 36) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

सुबह की बेला जब सूर्योदय के साथ हवा में ठंडक भरी होती है, जिसके साथ जुड़ कर हृदय भी ताजगी व मिठास से भरा सुगंध लिए नए दिन का स्वागत करता है। रात का अंधेरा दबे पाॅंव विलीन होता नई उम्मीदों का किरण बिखेरता है, उस समय शोर और शंका के बजाय  शांति का अनुभव … Read more

अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 35) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

“मम्मी, कैसा लग रहा है आपको। हाउ आर यू फीलिंग दिनभर।” रात के खाने के बाद मुठ्ठी को माइक की तरह बनाती हुई संपदा नाटकीय अंदाज में कहती है। “फीलिंग बेटर माई डियर।” झिझकती हुई संपदा के अंदाज में ही अंजना जवाब देने की कोशिश करती है। “मम्मी बेटी की गुफ्तगू चल रही है, मुझे … Read more

अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 34) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

“समधन जी का स्वास्थ्य अब कैसा है बेटा।” विनया के मम्मी पापा घर में प्रवेश करते हुए पूछते हैं और उनके पीछे पीछे ड्राइवर के साथ उनका बेटा बहू कई पैकेट्स हाथ में लिए आते हैं। “आंटी, ये सब क्या है?” संध्या का चरण स्पर्श करता हुआ मनीष पूछता है। “लंच का समय हो रहा … Read more

आत्मग्लानि – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : भोला झुक्की के बाहर बैठा सुबक रहा था। उसकी बड़ी बहन माया उसके बगल में बैठी उसका सिर सहला रही थी। स्कूल जाने के नाम पर बाबू मारता है और स्कूल में मैडम देखते ही गुस्सा हो जाती हैं। कहकर भोला मुॅंह दबाए निःशब्द रो रहा था। भोला और उसकी … Read more

अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 33) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

“आप कमरे में चलिए पापा, मैं कुछ व्यवस्था करता हूॅं।” मनीष अपने पापा से कहता है। “बेटा, पहले अपनी माॅं को डॉक्टर से दिखा ला, उसके बिना ये घर नहीं चल सकेगा।” मनीष के पापा बहुत ही धीमे और क्षीण स्वर में कुछ इस तरह कहते हैं जैसे यदि किसी और ने सुन लिया तो … Read more

अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 32) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

“हे भगवान! कैसी अतरंगी लड़की है। एक हमारी कोयल है, सारे काम नफासत से संभाल लेती है।” बुआ का विनया का कोसना शुरू हो गया और अनजाने में ही कोयल की प्रशंसा में भी कुछ शब्द उनके मुंह ने बरसा दिए। “हें!” कोयल को अपनी सास द्वारा प्रशंसा मिली, लेकिन उसने यह स्वीकारने में कठिनाई … Read more

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