दिव्या(भाग–4) : Moral stories in hindi

राघव, छोटी छोटी मुलाक़ातों में दिव्या से उसके मन की बातें जानने की कोशिश करता रहता था। वह हर मुलाकात में उसके सपनों, आकांक्षाओं और दुनिया के प्रति अपने दृष्टिकोण को समझने का प्रयास करता था। राघव ने दिव्या को उत्साहित कर, उसे उसकी ख्वाहिशों की पूर्ति के लिए प्रेरित करता रहता और उनके साथ … Read more

दिव्या(भाग–3) – आरती झा आद्या : Moral stories in hindi

राघव हड़बड़ा कर गाड़ी सड़क किनारे लगा लेता है। राघव को गाड़ी रोकता देख पीछे से आते हुए आनंद भी गाड़ी किनारे ले लेता है। दिव्या की चीख सुन चंद्रिका जल्दी से आकर दिव्या को अपने आगोश में समेट लेती है। दिव्या चंद्रिका के गले लगी बेहोश हो गई। राघव की गाड़ी में ही चंद्रिका … Read more

दिव्या(भाग–2) : Moral stories in hindi

राघव के घर को फूलों से इस तरह से सजाया गया था, जैसे नई नवेली दुल्हन विदा होकर आ रही हो। दरवाजा फूलों की बेहद सुंदर माला और रंग बिरंगे आलोकों से सजा हुआ था। गहरे गुलाबी, लाल और हरा फूल भी एक नई नवेली दुल्हन की तरह उत्साहित थे। कमरे में फूलों की रंगीन … Read more

दिव्या(भाग–1) : Moral stories in hindi

दिव्या, जैसा नाम, देखने में वैसी ही दिव्य। बड़ी बड़ी आँखें, मुस्कुराता चेहरा, सुतवां नाक, दूध की तरह गोरी,  गोल मटोल छोटी तीन साल की दिव्या..मनमोहिनी..जो भी देखता बस बच्ची को देखता रह जाता। माता– पिता, दादी की दुलारी..रोते को हँसा देने वाली..छोटी सी होते हुए भी और बच्चों की तरह जिद्द करना उसके स्वभाव … Read more

अंतर्मन की लक्ष्मी ( अंतिम भाग ) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

“टिंग, टोंग”, बातें करते करते विनया की ऑंख लगी ही थी कि मुख्य द्वार की घंटी किसी के आगमन की सूचना देने हेतु मुखर हो उठी। विनया हड़बड़ा कर उठ बैठी, “ओह हो, चाय का समय हो गया और मेरी ऑंख लग गई। दरवाजे पर कौन है।” घंटी की आवाज पर संपदा को उठकर दौड़ते … Read more

अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 44) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

जब हैप्पी बर्थडे के शोर ने घर को आवृत्त किया, विनया मनीष के बगल में आकर शर्मीली सी मुस्कान लिए हुए उस विशेष क्षण की ओर देख रही थी। शर्मीली मुस्कान के साथ उसकी आँखों में चमक थी, जो बता रही थी कि यह छोटा सा क्षण उसके लिए कितना महत्वपूर्ण था। संपदा विनया की … Read more

अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 43) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

“तुम दोनों, सौरभ बेटा तुम” मनीष के साथ बैठक में छोटी बल्ब की हल्की रोशनी में दीपिका और सौरभ को देखकर अंजना आश्चर्यचकित होकर कहती है। “शी.. शी..आंटी जी, आपकी बहू की नींद बहुत पतली सी है। कल उनका जन्मदिन है और अब मेरे पतिदेव और उनके पतिदेव के बीच दोस्ती हो गई है तो … Read more

अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 42) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

“ओह तुम तो डर ही गई। ऐसा क्या है इस डायरी में।” विनया के गोरा मुखड़े को पूर्णतः सफेद होते देख मनीष कहता है। नहीं कुछ नहीं, विनया के डायरी छीनने के प्रयास में डायरी मनीष के हाथ से छूट कर फिर से नीचे गिर गई। जब टीके विनया नीचे झुकती, मनीष झुक कर गिरने … Read more

अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 41) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

पति को रसोई के दरवाजे पर देख अंजना का ट्रे पकड़े अंजना का हाथ कांप गया था और दिल की धड़कन बेशक बढ़ गई लेकिन चेहरे पर शून्य का भाव पसर गया। जिसे अंजना के पति ने भी महसूस किया। “तुम अपनी चाय भी ले आना।” कातर दृष्टि से अंजना की ओर देखकर उसके पति … Read more

कन्यादान – आरती झा”आद्या” : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : ठकुराइन सरस्वती देवी हवेली में प्रसव पीड़ा से कराह रही थी। ठाकुर बलदेव सिंह के इशारे पर स्त्री चिकित्सक विभा रानी को हवेली में ही बुलवा लिया गया था। विभा रानी पूरे लाव लश्कर के साथ हवेली में उपस्थित गईं। विवाह के चौदह साल के बाद हवेली में किलकारी गूंजने … Read more

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