रिश्ते को भी रिचार्ज करना पड़ता है (भाग 3) – आरती झा आद्या : Moral stories in hindi

“दिल्ली प्रोद्योगिकी संस्थान… मेरे ख्वाबों की ताबीर, जिसके लिए मैंने दिन-रात एक करके मेहनत की थी और जहाॅं मुझे पहुँचाने आप सब चले थे। तब मैंने सोचा नहीं था कि वहाँ कोई ऐसी मिल जाएगी जो मेरे दिल दिमाग, मेरी जिन्दगी के दरवाजे पर बिन दस्तक दिए दाखिल हो जाएगी। आप तो जानती ही हैं, … Read more

रिश्ते को भी रिचार्ज करना पड़ता है (भाग 2) – आरती झा आद्या : Moral stories in hindi

“अम्मा कल हमलोग शहर जा रहे हैं। नीतू की कक्षाएँ परसों से शुरू होने वाली है।” नवीन की माँ आशा चाय देती हुई कहती है।  “अच्छा, खूब मन लगाकर पढ़ बचिया। पढ़ लिख जाएगी तो जिंदगी बन जाएगी।” सुचित्रा जी चाय के घूंट के साथ कहती हैं।  तुम्हारे ही पढाई पढ़ाई की जिद्द के कारण … Read more

रिश्ते को भी रिचार्ज करना पड़ता है – आरती झा आद्या : Moral stories in hindi

सुचित्रा जी के चेहरे पर आज एक अद्भुत उत्साह और खुशी का संगम था। उनकी ऑंखों में चमक थी और मुस्कान ने उनके चेहरे पर चमक बिखेर दी थी। पचहत्तर साल की उम्र के बावजूद, उनके पैर नृत्य करते हुए खुशी से उछल रहे थे, जैसे कि वे अपने सपनों के साथ एक नए युग … Read more

धिक्कार – आरती झा ‘आद्या’ : Moral stories in hindi

“देखिए मिसेज दत्ता, मैं आपको अधिक से अधिक दवा ही दे सकती हूॅं। आपकी दिनचर्या तो आप ही सुधार सकती हैं। देखिए आपका कोलेस्ट्रॉल, शुगर सब की रिपोर्ट गड़बड़ है। सुबह-शाम की नित्य सैर आपके लिए, आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत ही आवश्यक है।” डॉक्टर माया क्लिनिक में नीरा दत्ता की रिपोर्ट्स देखती समझा रही … Read more

एकता – आरती झा आद्या : Moral stories in hindi

दोपहर का समय श्याम अपने घर एक पुलिया के नीचे बनी छोटी सी झुग्गी में आकर टूटे हुए खाट, जिसके एक ओर का पाया टूट जाने के कारण ईंट लगाकर कामचलाऊ बना लिया गया था, उस खाट के बग़ल में जमीन पर सिर घुटनों में डाल बैठ गया। श्याम के नौ और दस साल के … Read more

औकात – आरती झा आद्या : Moral stories in hindi

“सुनिए जी, त्योहार का समय है, सोच रही हूॅं बच्चों के लिए कुछ कपड़े ले आया जाए।” माधवी फलियां छीलती हुई अपने पति अभय से कहती है। “क्यों, बच्चों के पास कपड़े नहीं हैं क्या।” अभय समाचारपत्र मोड़ कर रखते हुए तुनक कर कहता है। हाॅं हैं, लेकिन त्योहार पर तो नए कपड़े लेने ही … Read more

प्यार का मौसम – आरती झा आद्या : Moral stories in hindi

“नीले गगन के तले.. धरती का प्यार पले”, गुनगुनाता पार्थ अपनी मस्ती में चला जा रहा था। धरा गुनगुनाते पार्थ की आवाज़ सुनकर अपनी पढ़ाई छोड़ झट से अपने कमरे की खिड़की पर आ खड़ी हुई। पार्थ और धरा पड़ोसी थे.. . धरा स्नातक की द्वितीय वर्ष की छात्रा थी और पार्थ इंजीनियरिंग पूर्ण कर … Read more

समयचक्र – आरती झा आद्या : Moral stories in hindi

“ई फोन भी ना, बजता है तो बजता ही चला जाता है। कोनो बच्चा भी घर में नहीं है, ई संजना भी ना जब आएगी कोनो ना कोनो नया चीज पकड़ा कर चल जाएगी।” अपनी बड़ी सी कोठी के आकार के घर के ओसारे पर सूप में चावल लिए बीनती विमला बड़बड़ा रही थी। “जी … Read more

कछुआ और खरगोश –  आरती झा आद्या : Moral stories in hindi

छठी में पढ़ने वाले रोहित के स्कूल बस से उतरते ही उसके सवाल जवाब शुरू हो जाते था। स्कूल में किसने क्या किया! किसे आज सजा मिली। किसे टीचर ने प्यार किया। किससे लड़ाई हुआ, किससे आज से बात नहीं करनी है। आज उसकी नजर में कौन अच्छा बच्चा था, कौन उसे पसंद नहीं है। … Read more

दिल तो बच्चा है जी – आरती झा आद्या : Moral stories in hindi

दोनों बेटे की परवरिश, पति की आज्ञा का पालन.. दूसरों के मन मुताबिक चलते चलते विद्या भूल ही गई थी कि उसकी अपनी भी कुछ इच्छाएँ थी। बड़े बेटे सुजय ने अपने ही साथ पढ़ने वाली सौम्या से विवाह किया था। सौम्या अपनी माँ स्वाति की तरह ही बहुत मधुर स्वभाव की थी। उसी शहर … Read more

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