और नहीं बस और नहीं – सुषमा यादव

दोस्तों, अपशब्दों से किया गया अपमान हमारे मनमस्तिष्क पर बहुत गहरे छाप छोड़ते हैं, और इसका असर हमारे दिलों दिमाग पर एक लंबे समय तक बना रहता है, अपमान जनक बातें हमारे दिल में चुभती हैं, जो एक तमाचे की तरह होती है जिसकी गूंज हमें सुनाई तो नहीं देती है पर ये तमाचा एक मौखिक अपमान की तरह

हमारे दिमाग में नकारात्मकता पैदा करती है,

 

, इसी उक्ति को चरितार्थ करती हमेशा की तरह ये मेरी एक और सच्ची एक सफलतम, लोकप्रिय डाक्टर के अपमान की कहानी पेश है,,

 

देश के प्रसिद्ध अस्पताल का हाॅस्टल,,,निधि ने बेल बजाई,उसकी मां मीना ने दरवाज़ा खोला,, खोलते ही बेटी दौड़ कर धड़ाम से बिस्तर पर कटे हुए वृक्ष की भांति गिर कर फूटफूट कर रोने लगी, मीना ने घबराकर पूछा, क्या हुआ बेटा ? 

पेपर ख़राब हो गया क्या,, रोते हुए उसने कहा, नहीं, मां, पेपर तो बढ़िया गया है,पर वो सर,, उन्होंने आज़ सब जूनियर , सीनियर और परीक्षा में बाहर से आये एक्जामिनर डाक्टरों के सामने मेरा बहुत अपमान किया,हिचक हिचक कर रोते हुए उसने कहा,जानती हैं, मम्मी, मेरे सभी प्रश्नों के सही जवाब देने से सब इतने खुश हुए कि वाह वाह, कर उठे, तालियां तक बजी,,,बेटा, तुम बहुत आगे जावोगे,तुम्हारा भविष्य उज्जवल है, मैं बहुत खुश होकर जैसे ही धन्यवाद कहा कर मुस्कुराते हुए आगे बढ़ी, वैसे ही मुकुल सर ने पीछे से कहा,,डा, निधि, यहां आईये, मैंने कहा,,जी सर, उन्होंने कठोर नजरों से घूरते हुए पता नहीं कहां का प्रश्न पूछ लिया, इससे पहले कि मैं बोल पाती, हमेशा की तरह कहना शुरू कर दिया,,, अरे, आप सबने देखा, कैसे चुप हो गई, एक छोटा सा सवाल का जवाब नहीं बता पाई, पता नहीं, कहां से पढ़ कर आई है और ना जाने किस मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस किया है,,इसको कुछ नहीं आता जाता, शब्दों में ज़हर घोलते और आग्नेय नेत्रों से,हिकारत से देखते हुए बोले,,चलो निकलो यहां से, आईं हैं एमडी, बनने,, और मैं मुंह छुपा कर भागते हुए चली आई,

मीना यह सब सुनकर धम से बैठ गई,, बेटी का करुण क्रंदन सुनकर उसका दिल हाहाकार कर उठा,,उसकी आंखों से भी आंसूओं की बरसात होने लगी, उसने अपनी बेटी को सीने से लगा लिया,,मत रो बेटा,, पता नहीं, क्यों वो शुरू से ही तुम्हारे पीछे पड़े हैं,,

उसके बालों को सहलाते हुए मीना अतीत के दुखों के सागर में डूबने उतराने लगी,



,जब मैसूर मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस करने के बाद देश के इतने बड़े अस्पताल में एमडी करने आई तो सबकी खुशियां का पारावार ना रहा,,बहन, जीजा, दादाजी, नाना जी और मां को उस पर बहुत गर्व हुआ, हां इतना ही उसका परिवार था, पापा तो दूसरे साल ही भगवान के प्यारे हो गए थे,,

लेकिन पता नहीं क्या हुआ कि सबकी खुशियों को ग्रहण लग गया,निधि के एचओडी डा.,मुकुल बात बात पर सबके सामने और मरीजों के सामने भी उसे खूब जली कटी सुनाते, कहां से बारहवीं पास किया है, ठीक ठाक अंग्रेजी बोल लेती हो, अरे, ये म,. प्र,. .के किसी गांव से आई है, ये क्या मरीजों का अच्छे से इलाज करेगी,, वो कुछ ज़बाब नहीं देती थी, उसके आंखों में आसूं और होंठों पर चुप्पी छाई रहती,जब शाम को घर आती तो फ़ोन पर रो रोकर सब बताती, पापा की राजकुमारी लाड़ली दुलारी पापा के जाने के बाद खामोश हो गई थी, सहते हुए एक साल बीता, दूसरे साल मां साथ में रहने कुछ दिन के लिए दिल्ली आई, एक दिन शाम को वापस आकर बोली, मम्मी, क्या मेरे बिना आप रह लोगे?? और चुपचाप लेट गई, मीना ने झकझोरते हुए कहा,उठो और अभी वापस चलो, तुम्हें इतना परेशान किया जा रहा है कि तुम आत्महत्या करने पर उतारू हो गई हो,, ऐसा करते हैं दोनों मर जाते हैं,

बहुत समझाने पर उसने किसी तरह तीन साल बिताए और उस दिन एमडी का फाइनल एग्जाम था,

इतने में बेल बजी,चार पांच डाक्टरों ने प्रवेश किया, और निधि को पैकिंग करते देख कर बोले,जा रही हैं, हां, मैं अब दुबारा यहां नहीं आऊंगी,, उन्होंने मुझे बार बार अपमानित किया, बस और नहीं अब और नहीं, मैं नहीं सह सकती,, लेकिन सुपर स्पेशियलिटी के लिए,,, नहीं, उसके लिए भी नहीं, मीना ने अपना आप खो दिया और गुस्से से चिल्लाते हुए बोली,,, उन्होंने मेरी बेटी को क्या उठाईगीर समझ रखा है, उसके सर्टिफिकेट्स देख लेते,देश के प्रसिद्ध बोर्डिंग स्कूल से पढ़ कर आई है, आज़ सबके सामने मेरी बेटी को अपमानित और जलील किया है, मैं उनको आज बददुआ देती हूं, वो कभी ना ख़ुश रहें, हां आंटी जी, आज़ तो उन्होंने हद कर दी,सारे  डॉक्टर्स

दुखी हैं, निधि के मृदुल व्यवहार के कारण सभी लोग और खासकर मरीज़ बहुत खुश रहते हैं,यह बहुत लोकप्रिय है,



सबने बहुत रोका पर निधि नहीं मानी, इतना अपमान मैं हरगिज़ बर्दाश्त नहीं कर सकती, और मीना और निधि वापस अपने घर चले गए,

वो अब चेन्नई शंकर अस्पताल में जाने की तैयारी कर ही रही थी,कि फोन आया, आज़ का समाचार देखिए, उसने मोबाइल ऑन किया, उस अस्पताल में डॉक्टरों ने एचओडी के खिलाफ हड़ताल शुरू कर दिया है पूछने पर पता चला कि एक डॉक्टर को मरीजों के सामने डांट रहे थे, तो उसने गुस्से में कह दिया,आपके इसी तानाशाह रवैया के कारण यहां से एक बेहतरीन डाक्टर चली गई , इतना सुनते ही डा, मुकुल ने एक तमाचा खींच कर मार दिया,

और आंटी से कहना,उनका श्राप उन्हें लग गया है, उन्हें उस पद से हटा दिया गया और उन्होंने माफ़ी भी मांगी,,हम सब बहुत खुश हैं,अब आप यहां आ जाईए,हम सबने आप के अपमान का बदला ले लिया है,

निधि ने  वापस दिल्ली पहुंच कर अस्पताल के चेंबर में जैसे ही खुश होते हुए प्रवेश किया, अंदर क़दम रखते ही हक्का बक्का रह गई, सामने वो ही सर बैठे थे, फौरन कुछ बोले बिना पलटी,इतने में बड़े मधुर आवाज़ में सर बोले,डा, निधि, आपका इस अस्पताल में तहेदिल से स्वागत है,, आईये और ज्वाइनिंग लेटर लीजिए, उनके बदले सुर और बदले व्यवहार से आश्चर्य चकित हो कर वह आगे बढ़ कर बोली, थैंक्यू सर, आप एक बहुत ही ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ और काबिल डाक्टर हो, आपकी प्रशंसा तो गार्ड, नर्स, सभी डॉक्टर्स के साथ मरीज़ भी करते हैं,, मैंने आपकी ख़ामोशी के कारण आप को पहचानने में गलती कर दी थी,। बाद में पता चला उन्होंने सबसे माफी मांग ली, बहुत पहुंच वाले थे, पुनः एचओडी बना दिए गए,

उसके बाद तो डाक्टर निधि सबकी पसंदीदा डाक्टर बन गई और डॉक्टर मुकुल ने पूरे साल बहुत मान सम्मान दिया,

, कोशिश करना चाहिए कि जाने अनजाने हमसे किसी का अपमान ना होने पाए, यदि वो डॉक्टर सचमुच में निराश होकर आत्मघाती कदम उठा लेती तो सबके पछताने के सिवाय कुछ नहीं हाथ लगता और वो अपने आप को कभी माफ ना कर पाते,,,है,ना,

#अपमान

सुषमा यादव प्रतापगढ़ उ प्र,

स्वरचित मौलिक अप्रकाशित

 

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