अपेक्षाओं से आजादी – छवि गौतम : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : ” भईया पतो ना काई काम में इतनी बिज्जी रहवे तेरी बहू ; के बालको को टाइम से रोटी भी ना दे सके । सबरे दिन बालक यूं ही भूखे इधर से उधर डोले”, ।

कम से कम बालको का तो ध्यान रखना चाहिए बस ब्रेड खिला खिलाकर फूल से बच्चो का पेट भर देती है जबी दोनो बालक दिन पर दिन सूखते जा रहे है टाइम से रोटी भी ना खिलावे । वो तो हम है यहां तो बालको का पेट भरते रहते है कुछ खिलापिला कर, हम ना हो तो !!!!!”, । देवकी और किशोर जी अपने बेटे ध्रुव से अपनी बहू जया की शिकायत करते हुए बोले।

” क्यों !!!! ?? जया खाना नही बनाती क्या ??,” धुर्व ने अपनी मां से पूछा।

कमरा में से ही ना निकलती पूरे दिन फोन में और लैपटॉप में ही पता नही क्या करती रहती है ऑफिस के बहाने से बस कमरे में ही बैठी रहती है “, देवकी जी ने जवाब दिया”,।

अरे आप आज जल्दी आ गए ध्रुव ,” जया किचन से पानी लाते हुए बोली”,।

जया की आवाज सुन देवकी जी थोड़ा झेपते हुए घंटा भर हो गया है आए हमने सोचा तू सो गई है इसलिए आवाज नही लगाई तुझे मैं तो अभी चाय बनाने जा ही रही थी।

हां आ गया तो!!!! “तुम्हे कोई परेशानी हो गई है क्या? बोलो तो वापस चला जाता हूं । ध्रुव ने जया की बात का गुस्से में जवाब देते हुए कहा”,।

जया वैसे अपने पति की नाराजगी का कारण बखूबी जान चुकी थी लेकिन कुछ बोलकर अपने पति पत्नी के रिश्ते का तमाशा वो अपने सास ससुर के सामने नहीं बनाना नही चाहती थी इसलिए उसने सब कुछ सुनके भी अनसुना कर ध्रुव से ये सवाल किया। ध्रुव और बाकी सब को ऐसे दिखाया जैसे वो अपनी सास ससुर के ध्रुव को सिखाने वाली बात उसने सुनी ही नही वो उससे अनजान है ।

“नही ध्रुव मेरा वो मतलब नहीं था मैंने बस यूं ही पूछा”, जया ने साधारण रहते हुए ध्रुव से कहा।

“चाय का समय हो गया है मैं चाय बनाकर लाती हूं”, जया ने कहा।

ध्रुव,” रहने दो जया ये काम भी मां ही कर लेंगी तुम आराम करो अपने कमरे में जाकर। वैसे आज तुम कमरे से जल्दी कैसे निकल गई मेरे आने की भनक तुम्हे लग गई होंगी जरूर । तभी तुम बाहर आ गई चाय बनाने के लिए क्योंकि मुझे भी तो तुम्हे दिखाना होता है ना कि कितना काम करती हो तुम । वरना तुम्हे परिवार में कहां किसी की परवाह है । किसी की तो छोड़ो तुम्हे तो अपने बच्चो तक की भी चिंता नहीं है । ना उन्हे टाइम पर खाना देती हो बनाकर और ना ही प्यार । पता नही कैसी मां हो तुम जया । मुझे लगता था की तुम सिर्फ मम्मी पापा का ही ख्याल नही रखना चाहती लेकिन आज मुझे पता चला की तुम तो अपने बच्चो का भी ख्याल नही रखना चाहती हो । इसलिए देखो हमारे दोनो बच्चे कितने कमजोर हो रहे है ।अगर तुम्हे गुस्सा आता है बच्चो पर तो अपनी फ्रस्ट्रेशन निकालने के लिए उन्हें पीट तो देती हो , लेकिन प्यार से कभी उन्हें खाना खिलाते मैने तुम्हे कभी नही देखा”, ।

आज ध्रुव के मुंह से ये सब सुनकर जया के सब्र का बाण टूट और कर्तव्य निष्ठा का भूत उतर चुका था ।

जया,” क्यों ध्रुव मुझ से इतनी अपेक्षा किस लिए ? और मैं काम नही करती या खाना नही बनाती ये आपको बताने वालो ने बताया लेकिन मैं जानना चाहती हूं की खाना अगर मैं नही बनाती तो कौन बनाता है । आप सब भी अच्छे से जानते है की मेरा ऑफिस अभी वर्क फ्रॉम होम ही चल रहा है और मैं पूरी कोशिश करती हूं की सारा काम मैं खुद ही करू इसलिए मैं ऑफिस के साथ साथ घर की भी हर जिम्मेदारी उठाने से कभी पीछे नहीं हटती

लेकिन अगर कभी मेरी मीटिंग है या मेरा ऑफिस का काम है महीने में एक दो बार खाना मम्मी जी ने बना भी लिया तो मुझ पर इस बात का अहसान क्यों ? जैसे ये घर मेरा है मुझ से पहले तो उनका है ।हमारे बच्चे क्या सिर्फ मेरे अकेले के बच्चे तो नही है आपके भी है लेकिन आप उनकी सुबह से लेकर रात तक कौन सी जिम्मेदारी उठाते है । जो आप मुझे ये बोल रहे है की मै अपने बच्चो के लिए एक अच्छी मां नही हूं तो क्या आप एक अच्छे पिता है ? पूरा दिन घर के और ऑफिस के काम करते हुए मै भी थक जाती हूं जिसमे बच्चे कितना परेशान करते है

अगर वो मेरी बात नही सुनेगे तो मैं उन्हे सही करने के लिए अगर डांटती हूं या कभी एक थप्पड़ लगा देती हूं तो आपके अनुसार मैं एक अच्छी मां नही हूं। वाह ध्रुव क्या बात है आपकी मतलब जब बच्चे घर में किसी को परेशान करे या बच्चे किसी से नही संभाले जाते तो भेज दिया जाता है मेरे पास और जब मैं खुद परेशान हूं तो मैं किसके पास भेजूं क्या कोई मुझे ये बताएगा ।
मैं अगर कभी किसी दिन व्यस्त हो भी गई खाना बनाने के समय पर, और मम्मी ने खाना बनाकर बच्चो को खिला भी दिया तो मुझ पर इस बात का भी कोई अहसान नहीं है क्योंकि उनका हक सिर्फ दादा दादी कहलाने तक ही खत्म नही हो जाता ना । दादी है अगर अपने पोते को कुछ बनाकर खिला रही है तो मैं तो उसे उनका प्यार समझती थी लेकिन यहां तो हर बात का मुझ पर अहसान की भावना लिए सब काम हो रहा था । रिश्ते में तो हम सब एक दूसरे से बंधे है फिर अपेक्षा सिर्फ और सिर्फ मुझ से ही क्यों ध्रुव ?
मेरा पूरा दिन कब शुरू होकर कब खत्म होता है ये मुझे पता तक नहीं लगता अपनी हर कोशिश रखती आई हूं की मैं एक अच्छी बहू , पत्नी और एक मां बन सकू लेकिन ये मेरे अकेले के करने या सोचने से नही होगा क्योंकि हर इंसान अपने विचार और सोच अलग रखता है । आप किसी के लिए अगर मर भी जाओ तो कमी निकालने वाले लोग उसमे भी दोष आपका ही ढूंढेंगे।
जानते हो ध्रुव जो ये घर तुम्हे ऑफिस से आने पर सुकून का अहसास करवाता है वो इसलिए क्योंकि इसे संवारने में मै अपना समय और एनर्जी दोनो लगाती हूं । एक दिन भी अगर मैं किसी भी चीज के हाथ ना लगाऊं और घर यूं ही बिखरा हुआ गंदा तुम्हे मिले उस दिन तुम्हे अहसास होगा की घर में भी कितना काम होता है । जो मैं ऑफिस और बच्चो के साथ साथ अकेले संभालती हूं वो भी किसी से बिना शिकायत किए । लेकिन क्यों करू मैं ऐसा ? मैं भी तो इंसान हूं मुझ से भी तो भूल चूक गलतियां हो सकती है लेकिन वो गुनाह बनाकर आपको क्यों दिखाया जाता है ।

आज से मैं भी तुम्हारी ही तरह सिर्फ ऑफिस का काम ही करूंगी । क्योंकि आपके और मम्मी पापा जी के अकॉर्डिंग तो घर , खाना , और बच्चे तो आप लोग ही संभालते है मैं तो सिर्फ अपने रूम में फोन और लैपटॉप में टाइम पास करती रहती हूं इसलिए आज से मैं खुद को ये आप सब की अपेक्षाओं से आजाद करती हूं और खुद को अपनी बुराइयों के साथ स्वीकार भी करती हूं ।
लेकिन मैं कैसी मां हूं कैसी नही ये मुझे बताने का हक मैने किसी को नही दिया है मेरे बच्चो को मुझे कब क्या कैसे सिखाना है ये मै खुद तय करूंगी ।

ध्रुव को जया की बात सुनकर खुद पर बहुत ग्लानि हो रही थी क्योंकि वो खुद आंखो से देखकर भी वो नही देख पाया जो उसे खुद भी नजर आ रहा था जया पूरे दिन ऑफिस और घर के चक्कर में अपने लिए समय तक नहीं निकाल पाती थी लेकिन अपने माता पिता के पोते के मोह में आकर उसने जया का दिल दुखाने की गलती तो कर दी थी । जिसके लिए ध्रुव जया से माफी मांगता है और जया से वादा भी करता है की वो खुद भी घर के कामों में और बच्चो को संभालने में जया की पूरी मदद करेगा । जया द्वारा पढ़ाया ये सबक का पाठ ध्रुव और जया की घर की शांति के लिए काफी फायदेमंद रहा।

दोस्तो ये हम सब ज्यादातर औरतों की मिलती जुलती कहानी है ज्यादातर मांओ को बच्चो के लिए सुनने को मिल ही जाता है की समय पर खाना नही खिलाती , बच्चे कुछ गलत करे तो मां की गलती और अच्छा करे तो पिता का नाम जोड़ दिया जाता है ।
रचना कैसी लगी टिप्पणी करके जरूर बताइएगा आपकी प्रतिक्रिया के इंतजार में…

छवि गौतम।

#इल्जाम

 

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